अजय सेतिया / याद करिए अपन का 20 जुलाई का कालम “स्पीकर चला पाएँगे क्या लोकसभा” और दस दिन बीत जाने के बाद दो अगस्त का कालम “ अगले 9 दिन भी संसद क्या चलेगी “ | अपन ने साफ़ साफ़ लिखा था कि संसद नहीं चलेगी | संसद का ना चलना अलग बात है | यह कोई पहली बार नहीं होने वाला था | पर अपना कहना था कि स्पीकर पूरी तरह नाकाम होंगे क्योंकि इस बार मीडिया भी उन के साथ नहीं होगा | आखिर लोकसभा स्पीकर ओम बिडला को दो दिन पहले ही सत्रावसान करना पड़ा | राज्यसभा में तो वैसे भी भाजपा बहुमत में नहीं , सो वहां तो हंगामा होना ही था | पर ऐसा हंगामा होगा कि सभापति वंकैयानायडू की नींद हराम हो जाएगी | इस की कल्पना तो अपन ने भी नहीं की थी | राज्यसभा वरिष्ठ राजनीतिज्ञों के लिए बनाया गया सदन है | राज्यसभा धीर गंभीर सदन ही था | ताकि जनता से सीधे चुने गए लोकसभा के सांसद अनुभवहीनता के कारण क़ानून बनाते समय कोई गलटी कर दें , तो उसे राज्यसभा सुधार ले | राजीव गांधी के कार्यकाल को छोड़ दें , जब विपक्ष को बुल्डोज करने के लिए राजीव ब्रिगेड के पांच युवा राज्यसभा में भेजे गए थे | उस के बाद हाल ही के सालों तक राज्यसभा धीर गंभीर सीन…
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अजय सेतिया / संसद का मानसून सत्र विपक्ष की सब से बड़ी नाकामी का इतिहास बना कर जा रहा है | तीन दिन बाकी रह गए है | सरकार ने अपना सारा काम बाखूबी निकाल लिया | जितने बिल पास करवाने थे करवा लिए | रही सही कसर भी तीन दिनों में निकल जाएगी | इन बाकी तीन दिनों के लिए भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया है | अपना शुरू से ही आकलन था कि कांग्रेस पेगासस के फिजूल के मुद्दे पर वामपंथियों के जाल में फंस गई है | लोकसभा टीवी चेनल पर चर्चा के दौरान अपन ने बार बार अपनी इस बात को दोहराया कि विपक्ष पटरी से उतर गया | प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पिछले सात साल से वामपंथियों की बेतुकी राजनीति का शिकार है | वह अपनी साख बार बार गिराता है | कम से कम 2019 के चुनाव में हार के बाद कोई राहुल गांधी को समझाता , पर कांग्रेस में अब ऐसा कोई नहीं रहा | पेगासस का मुद्दा जनता का मुद्दा नहीं है | जनता के मुद्दे कृषि क़ानून , महंगाई , पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें और कोविड की दूसरी लहर में मोदी सरकार की ब्यूरोक्रेसी की विफलता थी | जिस में दो लाख से ज्यादा लोगों की जान…
और पढ़ें →अजय सेतिया / पाकिस्तान में सिधि विनायक मंदिर तोड़े जाने और अफगानिस्तान में गुरुद्र्वारे पर हमला किए जाने की ताजा घटनाओं ने एक बार फिर साबित का दिया कि मुस्लिम देशों में गैर मुस्लिमों का रहना कितना मुश्किल है | भारत में जब तीन इस्लामिक देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में सताए गए , हिन्दुओं, सिखों, बोद्धों , पारसियों और ईसाईयों को भारत की नागरिकता देने का क़ानून बना था तो भारत के कट्टरपंथी मुसलमानों ने कितना विरोध किया था | विपक्षी दलों , खासकर कम्युनिस्टों और कांग्रेसियों ने भी क़ानून का विरोध किया था , वे आज भी उस क़ानून का विरोध कर रहे हैं , जिस सिर्फ सताए गए गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने में थोड़ी ढील दी गई है | इस क़ानून बनाए जाने के ठीक बाद जब काबुल के गुरूद्वारे में तालिबानों ने 25 सिखों को मार दिया था , तो भारत के उदारवादी मुसलमानों ने कहीं कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया |
अब जब 4 अगस्त को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के भोंग शरीफ इलाके में सिधि विनायक मंदिर तोड़ा गया और वहां मौजूद हिन्दू औरतों पर लोहे के गार्डरों से हमला किया गया तो कांग्रेस समेत भारत के किसी…
और पढ़ें →अजय सेतिया / टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन ने एक बार फिर इस खेल के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित किया है | मनप्रीत सिंह के नेतृत्व वाली पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता | रानी रामपाल की कप्तानी वाली भारतीय महिला हॉकी टीम कांस्य पदक के मुकाबले में ब्रिटेन से 3-4 के अंतर से हार गई | महिला हॉकी टीम अपना मुकाबला आज हारी जरूर लेकिन वह अपने जुझारू प्रदर्शन से खेलप्रेमियों का दिल जीतने में कामयाब रही | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला हॉकी टीम से फोन पर बात कर के उन की हौंसला अफजाई की | यह पहला मौक़ा है जब देश के प्रधानमंत्री ने सिर्फ पीआईबी से बयान जारी करवा कर बधाई नहीं दी | बल्कि हारी हुई अपनी टीम की भी हौंसला अफजाई की |
मोदी पहले ही एलान कर चुके थे कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदला जाएगा | मोदी ने इस मौके पर इस सर्वोच्च पुरस्कार का नाम भी बदल दिया | अब खेल रत्न पुरस्कार का नाम “ मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार होगा | हालांकि मोदी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं | पर शुक्रवार की घटना से साबित हुआ कि मोद…
और पढ़ें →अजय सेतिया / संसद के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था ,जब कोई सांसदनिलंबित किए जाने के बाद सुरक्षा कर्मी से भिड गया हो | जबरदस्ती सदन में घुसने की कोशिश की हो और रोके जाने पर दरवाजे का शीशा तोड़ दिया हो | लेकिन तृणमूल कांग्रेस जिस तरह की हिंसा पश्चिम बंगाल में कर रही है , वह हिंसा अब संसद के भीतर भी पहुंच गई है | संसद के इतिहास में 2021 का मानसून सत्र हिंसा की इस वारदात के लिए याद किया जाता रहेगा | 19 दिन के मानसून सत्र के तेरहवें दिन यह शर्मनाक घटना तब हुई जब राज्यसभा के सभापति वेंकैयानायडू ने हंगामा करने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सांसदों डोला सेन, नदीम उल हक, अबीर रंजन, अर्पिता घोष, शांता छेत्री और मौसम नूर को निलंबित कर दिया था |
कोविड के कारण क्योंकि सांसदों को फासले पर बिठाया जाता है , इसलिए राज्यसभा और लोकसभा की इनर लाबी को भी सदन के चेंबर का हिस्सा बनाया गया है | इस लिए इन छह सांसदों को इनर लाबी में आने से भी रोका गया था | क्योंक…
और पढ़ें →अजय सेतिया / उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल का एक सर्कुलर विवादों में फंस गया है | यह सर्कुलर कोविड के मौके पर मोहर्रम का जलूस प्रतिबंधित किए जाने और पुलिस अफसरों को उन इलाकों की निगरानी के लिए जारी किया गया था , जहां पहले मोहर्रम के मौके पर शिया-सुन्नी तनाव होता रहा है | मोहर्रम 10 से 19 अगस्त तक मनाया जाता है |
मोहर्रम शिया मुसलमानों के लिए त्यौहार नहीं है , यह मातम है क्योंकि उस दिन पैगंबर मोहम्मद के नवासे (नाती)इब्र अली यानि इमाम हुसैन का धोखे से कत्ल कर दिया गया था | डीजीपी से यह गलती जरुर हुई की अज्ञानतावश उन्होंने सर्कुलर में त्यौहार लिखवा दिया | वैसे सर्कुलर में ऐसी कोई बात नहीं थी की इसे साम्पदायिक रंग दिया जाता क्योंकि पुलिस के सर्कुलर में अधिकारियों को उन स्थानों पर सतर्क रहने को कहा ही जाता है , जहां पहले हिन्दू मुस्लिम या शिया सुन्नी झगड़ा हुआ हो | लेकिन यह सर्कुलर और चुनाव के मौके पर राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है , हमें समझना चाहिए कि मोहर्रम है क्या ? ताकि मोहर्रम को त्यौहार बताने की जो गलती डीजीपी मुकुल गोयल से हुई , वह बाकी हिन्दू न करें | शिया किस के…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अपन ने कल जब संसद के गतिरोध में नीतीश कुमार के नए दांव पर लिखा था | तो अपन ने यह भी लिखा था कि नीतीश कुमार को एक बार प्रधानमंट्री मेटीरियल होने का भ्रम हो गया था | पर अपन को यह नहीं पता था कि नीतीश कुमार को एक बार फिर से प्रधानमंत्री मेटीरियल होने का भ्रम पैदा हो गया है | तभी उन्होंने पेगासस मुद्दे पर विपक्ष की लाईन अपनाते हुए संसद में चर्चा की मांग रखी है | मोदी सरकार पेगासस के मुद्दे को फालतू का मुद्दा बना कर खारिज कर चुकी है | तो उस मुद्दे को महत्वपूर्ण बता कर मोदी सरकार के खिलाफ स्टेंड लेना राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत है | नीतीश कुमार ने सिर्फ पेगासस मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ स्टेंड नहीं लिया है | जनगणना के मुद्दे पर भी मोदी सरकार के खिलाफ स्टेंड लिया है | जदयू ने जाति आधारित जनगणना की माग की है | |
जाति आधारित आखिरी जनगणना 1931 में हुई थी | अंग्रेजों ने हिन्दुओं में फूट डालने के लिए जनगणना करवाई थी | 1941 में ब्रिटिश सरकार का सारा ध्यान दुसरे विश्व युद्ध पर था | इस लिए जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जाहिर नहीं किए गए | आज़ादी के बाद 1951 मे…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अगर अपन मोदी सरकार के समर्थक हैं | तो अपन को बुरा नहीं लगेगा कि संसद में हंगामें के बीच क़ानून बन रहे हैं | सरकार कह सकती है कि उस का काम बिल पास करवाना है | और संसद का काम बिल पास करना है | पर संसद का काम सिर्फ बिल पास करना नहीं है | संसद जनता की नुमाईंदगी करती है | और संसद का काम हर उस बात पर डिस्कशन करना भी है , जिस का जनता से ताल्लुक है | जिस से जनता का सरोकार है, जिस का लोकतंत्र से वास्ता है | सो जब संसद की बात आती है तो अपन को विचारधारा और पार्टी लाईन से ऊपर उठ कर भी सोचना चाहिए | क्योंकि संसद देश का सर्वोच्च लोकतांत्रिक मंदिर है | वह मंदिर , जिस की चौखट पर नरेंद्र मोदी ने सिर झुकाया था | वह मंदिर जिस की बदौलत जम्मू कश्मीर को नेहरू राज की गुलामी से मुक्त कर के 370 हटाई जा सकी | उस मंदिर का दुरूपयोग करके कांग्रेस ने जब जब लोकतंत्र की हत्या की, जनता ने उसे मुहं के बल गिरा दिया |
उसी संसद में सोमवार को ग्यारहवां दिन भी हंगामें की भेंट चढ़ गया | क्योंकि सरकार जासूसी वाले पेगासस सोफ्टवेयर पर बहस करवाने को तैयार नहीं | और विपक्ष उस पर बहस के बिना संस…
और पढ़ें →अजय सेतिया / जैसा अपन ने 20 जुलाई को लिखा था कि संसद चलाना इस बार आसान नहीं होगा | तो दस दिन संसद नहीं चली | मानसून सत्र के बाकी 9 दिन बचे हैं | 19 जुलाई को सत्र शुरू हुआ था और 13 अगस्त तक चलना है | बीते दस दिनों में कायदे से लोकसभा को 54 घंटे काम करना था | पर काम हुआ सिर्फ सात घंटे , वह सरकारी धक्केशाही से | राज्यसभा अलबत्ता थोड़ी ज्यादा 11 घंटे चली | वैसे चली वली कुछ नहीं , क्योंकि सरकार ने बिना बहस बिल पास करवाए और मंत्रियों ने बिना बहस एक तरफा बयान टेबल पर रख दिए | इसे कायदे से संसद चलना नहीं कहते | पच्चासी फीसदी समय की बर्बादी ही नहीं हुई , 133 करोड़ रुपए को चूना भी लगा | अपन ने पहले दिन आशंका जता दी थी कि सत्र बेकार जाना है | अपन ने लिखा था-“ जब से कोविड शुरू हुआ है, संसद ढंग से नहीं चल रही | पिछले साल शीत सत्र तो हुआ ही नहीं था | बाकी सारे सत्र भी आधे अधूरे हुए | वैसे सरकार ने तो राहत महसूस की है | कोविड के बहाने उसे विपक्ष के हमलों से निजात मिली थी | पर इस बार का सत्र सर…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अपने 'मन की बात' में एक सांसद ने राजनीति को अलविदा कह दिया | उन्होंने फेसबुक पर लिखा-“ मैं राजनीति से सन्यास ले रहा हूँ | मैं राजनीति में सिर्फ समाज सेवा के लिए आया था , पर अब मैने अपनी राह बदलने का फैसला किया है | लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है | राजनीति से अलग होकर भी अपने इस उद्देश्य को पूरा कर सकता हूँ | मेरे इस फैसले को 'वो' समझ जाएंगे | मैं हमेशा एक टीम का खिलाड़ी रहा हूं | हमेशा एक टीम को सपोर्ट किया है- मोहनबागान | एक ही पार्टी का समर्थन किया है- भाजपा | यह ट्विट भाजपा के आसनसोल से सांसद बाबुल सुप्रियो का है, जिन्हें हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाया गया है | मंत्रिमंडल से हटाए गए बाबुल सुप्रियो का यह कदम भाजपा के लिए बड़ा संदेश है , अगर वह समझे |
अलबत्ता भाजपा ही नहीं , सभी राजनीतिक दलों के लिए संदेश है | समाज की किसी फिल्ड में काम कर के शोहरत हासिल करने वालों को सिर्फ चुनाव जीतने के लिए पार्टी का टिकट देना सभी राजनीतिक दलों की आदत बन गई है | ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं , जहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं…
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