संसद के गतिरोध में नीतीश कुमार

Publsihed: 02.Aug.2021, 22:56

अजय सेतिया / अगर अपन मोदी सरकार के समर्थक हैं | तो अपन को बुरा नहीं लगेगा कि संसद में हंगामें के बीच क़ानून बन रहे हैं | सरकार कह सकती है कि उस का काम बिल पास करवाना है | और संसद का काम बिल पास करना है | पर संसद का काम सिर्फ बिल पास करना नहीं है | संसद जनता की नुमाईंदगी करती है | और संसद का काम हर उस बात पर डिस्कशन करना भी है , जिस का जनता से ताल्लुक है | जिस से जनता का सरोकार है, जिस का लोकतंत्र से वास्ता है | सो जब संसद की बात आती है तो अपन को विचारधारा और पार्टी लाईन से ऊपर उठ कर भी सोचना चाहिए | क्योंकि संसद देश का सर्वोच्च लोकतांत्रिक मंदिर है | वह मंदिर , जिस की चौखट पर नरेंद्र मोदी ने सिर झुकाया था | वह मंदिर जिस की बदौलत जम्मू कश्मीर को नेहरू राज की गुलामी से मुक्त कर के  370 हटाई जा सकी | उस मंदिर का दुरूपयोग करके कांग्रेस ने जब जब लोकतंत्र की हत्या की, जनता ने उसे मुहं के बल गिरा दिया |

उसी संसद में सोमवार को ग्यारहवां दिन भी हंगामें की भेंट चढ़ गया | क्योंकि सरकार जासूसी वाले पेगासस सोफ्टवेयर पर बहस करवाने को तैयार नहीं | और विपक्ष उस पर बहस के बिना संसद चलने नहीं दे रही | अपन पहले भी कई बार लिख चुके हैं कि संसद बहुमत से नहीं , समन्वय से चलती है | कुछ बातें विपक्ष की माननी पडती है | विपक्ष को कुछ बातें सरकार की माननी पडती है | जिद्द से संसद नहीं चलती | जब जब संसद में हंगामा हुआ है अपन को उन संसदीय कार्य मंत्रियों की याद आती है , जो समन्वय में अधिकतम सफल रहे हैं | सब से पहले अपन को प्रमोद महाजन का नाम याद आता है | जब संसद चल रही होती थी तो वह अपना ज्यादातर समय विपक्षी बेंचों पर विपक्ष को साधने में लगाते थे | अपन को कुमार मंगलम की याद भी आती है , जो कांग्रेस छोड़ने के बाद वाजपेयी सरकार में ही संसदीय कार्य मंत्री थे | अपन को नरसिंह राव सरकार के संसदीय कार्यमंत्री विद्या चरण शुक्ला की याद भी आती है |

अपन ने तो मानसून सत्र के पहले दिन ही 20 जुलाई को लिख दिया था कि सरकार के लिए मानसून सत्र मुश्किल भरा होगा | पर अपन यह नहीं समझते थे कि सरकार हंगामें के बीच बिल पास करवाने में कामयाब हो जाएगी | लोकसभा से ज्यादा कमाल तो राज्यसभा में हो रहा है | जहां जदयू के सांसद और उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह कमाल की फुर्ती दिखा रहे हैं | कृषि बिलों में भी उनने ही फुर्ती दिखाई थी | दो साल पहले 2019 में उन ने ही इसी तरह ट्रिपल तलाक कानून पास करवाया था | तो अपन ने खुशी जताई थी क्योंकि यह क़ानून मुस्लिम महिलाओं को मुल्लाओं की गुलामी से राहत देने वाला था | पर वोट बैंक की राजनीति करने वाले मुस्लिम परस्त नेताओं को मिर्ची लगी थी |  तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि क्या हम पिज्जा डिलिवर कर रहे हैं | अब जब विपक्ष और सरकार के गतिरोध के बीच बिल पास हो रहे हैं | तो उसी डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि क्या हम पापड़ी चाट बना रहे हैं | हालांकि किसी भी दिन संसद सलीके से नहीं चली | अब तो विपक्ष समानातर मोक संसद सत्र की योजना बना रही है |

अपन ने हरिवंश नारायण सिंह का नाम जानबूझ लिया | वह पत्रकार थे , चन्द्रशेखर जब प्रधानमंत्री थे , तो उन के मीडिया सलाहाकार थे | नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा में भेजा और मोदी से समझौते में उपसभापति बनवा दिया | उन्हीं नीतीश कुमार ने सोमवार को विपक्ष के एजेंडे का समर्थन किया | तो अपन को ताज्जुब हुआ | नीतीश कुमार ने उस पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग की है , जिसे मोदी सरकार संसद में बहस के लायक भी नहीं समझती | नीतीश कुमार ने कहा कि संसद में चर्चा होनी और पूरी तरह से जांच होनी चाहिए | वह कभी खुद को प्राईम मिनिस्टर मेटीरियल समझने लगे थे | विपक्ष के काफी करीब चले गए थे | रो-धो कर एनडीए में वापिस आने के बावजूद नीतीश कुमार राजनीति की अपनी गोटियाँ खेल रहे हैं | मोदी सरकार के स्टैंड के खिलाफ नीतीश कुमार की यह राजनीतिक गोटी दो नावों में सवार होने वाली है |

 

 

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