संसद में भी तृणमूल का असली रूप

Publsihed: 06.Aug.2021, 10:00

अजय सेतिया / संसद के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था ,जब कोई सांसदनिलंबित किए जाने के बाद सुरक्षा कर्मी से भिड गया हो | जबरदस्ती सदन में घुसने की कोशिश की हो और रोके जाने पर दरवाजे का शीशा तोड़ दिया हो | लेकिन तृणमूल कांग्रेस जिस तरह की हिंसा पश्चिम बंगाल में कर रही है , वह हिंसा अब संसद के भीतर भी पहुंच गई है | संसद के इतिहास में 2021 का मानसून सत्र हिंसा की इस वारदात के लिए याद किया जाता रहेगा | 19 दिन के मानसून सत्र के तेरहवें दिन यह शर्मनाक घटना तब हुई जब राज्यसभा के सभापति वेंकैयानायडू ने हंगामा करने वाले तृणमूल कांग्रेस के छह सांसदों डोला सेन, नदीम उल हक, अबीर रंजन, अर्पिता घोष, शांता छेत्री और मौसम नूर को निलंबित कर दिया था | 

कोविड के कारण क्योंकि सांसदों को फासले पर बिठाया जाता है , इसलिए राज्यसभा और लोकसभा की इनर लाबी को भी सदन के चेंबर का हिस्सा बनाया गया है | इस लिए इन छह सांसदों को इनर लाबी में आने से भी रोका गया था | क्योंकि बार बार स्थगन के कारण सांसद सेंट्रल हाल से सदन में प्रवेश करते हैं, इसलिए सेंट्रल हाल के राज्यसभा गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को निलंबित सांसदों को नहीं आने देने की हिदायत दी जा चुकी थी |  लेकिन सदन की कार्यवाही खत्म होते ही जब इन छह सांसदों ने सेंट्रल हाल से चेम्बर में घुसने की कोशिश की तो सुरक्षाकर्मी चन्द्र कला सियाग ने उन्हें रोका | नियम यह है कि जब तक सदन के दरवाजे बंद नहीं किए जाते , तब तक सदन की सुरक्षा यथावत रखी जाती है | रोके जाने के  बावजूद सभी निलंबित सांसद चन्द्रकला सियाग को धक्का मारते हुए लाबी में घुस गए | उन्हें रोकने लिए अन्य महिला सुरक्षा कर्मी भी वहां पहुंच गई थी | तभी सांसद अर्पिता घोष ने अपने मोबाईल को मुठ्ठी में पकड़ कर राज्यसभा के एक बंद दरवाजे के शीशे पर जोरदार चोट मार कर तोड़ दिया | शीशे का एक टुकडा उछलकर चन्द्रकला की आँख के पास और गले में लगा | चन्द्रकला की आँख तो बच गई लेकिन गले में छर्रे की तरह चोट लगी है | 

चन्द्रकला ने राज्यसभा सचिवालय को सांसद अर्पिता घोष के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करवाई है | जिसकी जानकारी उप सभापति ने अगले दिन की कायर्वाही शुरू होते ही सदन को दी | इस घटना का जिक्र करते हुए उपसभापति ने यह भी बताया कि राज्‍यसभा के चेयरमैन शिकायत की जांच कर रहे हैं, तो तृणमूल कांग्रेस ही नहीं विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडके ने भी सांसद अर्पिता घोष का बचाव किया | अर्पिता घोष के बचाव में विपक्ष का कहना है कि सदन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद निलंबित सांसद अपना सामान उठाने आए थे | अगर उन के कोई कागजात उन की सीटों पर रह गए थे तो उन्हें सुरक्षाकर्मियों से कह कर मंगवाया जा सकता था | विपक्ष के सांसद वाकआउट के बाद भी सुरक्षा कर्मियों से अपने बैग और कागजात बाहर मंगवाते हैं | सुरक्षा कर्मी सदन के भीतर भी उन की सहायता के लिए होते हैं , जैसे रूल बुक या कोई दस्तावेज मंगवाना या मंत्री को उस के बैंच पर भेजना | 

हाउस स्थगित हो जाने के बाद स्वाभाविक रूप से चैम्बर बंद किया जाता है और जब सुरक्षाकर्मी चेंबर बंद करते हैं तो उस की पूरी तलाशी भी लेते हैं | अगर किसी सांसद का कोई सामान सदन में रह गया हो तो सुरक्षाकर्मी पूरी छानबीन के बाद ही दरवाजे बंद करते हैं , जो भी सामान मिलता है , उसे गेट के पास सुरक्षा कक्ष में पहुंचा दिया जाता है | सांसदों ने सुरक्षाकर्मियों से अपने कागजात मंगवाने की बजाए पहले तो जबरदस्ती चेंबर में घुसे और बाद में चोट मार कर दरवाजे का शीशा तोड़ा | अपन विधानसभाओं में हिंसा की वारदातें देखते रहे हैं , लेकिन संसद के इतिहास में पहली बार ऐसी कोई हिंसक घटना हुई है | लेकिन हैरानी की बात यह है कि माफी मांगने की बजाए समूचा विपक्ष सांसद का बचाव कर रहा है | संसदीय कार्यमंत्री जोशी ने सही कहा है कि तृणमूल कांग्रेस जिस तरह की हिंसा बंगाल में कर रही है , अब उस की झलक संसद में भी दिखाई देने लगी है , जो बेहद शर्मनाक है | 

 

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