संसद का आपराधिक इतिहास बनाने वाले

Publsihed: 11.Aug.2021, 11:20

अजय सेतिया / संसद का मानसून सत्र विपक्ष की सब से बड़ी नाकामी का इतिहास बना कर जा रहा है | तीन दिन बाकी रह गए है | सरकार ने अपना सारा काम बाखूबी निकाल लिया | जितने बिल पास करवाने थे करवा लिए | रही सही कसर भी तीन दिनों में निकल जाएगी | इन बाकी तीन दिनों के लिए भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया है | अपना शुरू से ही आकलन था कि कांग्रेस पेगासस के फिजूल के मुद्दे पर वामपंथियों के जाल में फंस गई है | लोकसभा टीवी चेनल पर चर्चा के दौरान अपन ने बार बार अपनी इस बात को दोहराया कि विपक्ष पटरी से उतर गया | प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस पिछले सात साल से वामपंथियों की बेतुकी राजनीति का शिकार है | वह अपनी साख बार बार गिराता है | कम से कम 2019 के चुनाव में हार के बाद कोई राहुल गांधी को समझाता , पर कांग्रेस में अब ऐसा कोई नहीं रहा | पेगासस का मुद्दा जनता का मुद्दा नहीं है | जनता के मुद्दे कृषि क़ानून , महंगाई , पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें और कोविड की दूसरी लहर में मोदी सरकार की ब्यूरोक्रेसी की विफलता थी | जिस में दो लाख से ज्यादा लोगों की जान गई | पर वामपंथियों ने बेसिर पैर का पेगासस का मुद्दा थमा कर विपक्ष को पटरी से उतार दिया | जबकि सरकार अपने एजेंडे में कामयाब रही | 

विपक्ष को झक मार कर मंगलवार को ओबीसी वाले बिल पर सरकार का समर्थन करना पड़ा | जो विपक्ष किसी भी मुद्दे पर सरकार का साथ नहीं दे रहा था | उस ने राज्यों को ओबीसी सूची बनाने का अधिकार देने वालेबिल पर सरकार का साथ दिया | संविधान संशोधन वाला यह बिल लोकसभा में पास हो गया | पर मंगलवार को जिस दिन विपक्ष सरकार के आगे झुका , उसी दिन अपनी साख गिरा ली | अब तक वह यह कर अपने हंगामें का बचाव कर रहा था कि अरुण जेटली ने भी संसद की कार्यवाही रोके जाने को विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार कहा था | राज्यसभा में मंगलवार को जो कुछ हुआ उस से संसदीय इतिहास में काला दिन लिखा गया | कांग्रस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने चेयरमेन के सामने रखी महासचिव की बेंच पर चढ़ कर सदन की रूलबुक वायस चेयरमेन पर दे मारी | लोकसभा में चुनावों में बुरी तरह पिट्टी कांग्रेस और बाकी विपक्षी दल अब राज्यसभा में अपना गुस्सा निकाल रहे हैं | पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस की सांसद अर्पिता घोष ने लाबी का शीशा तोड़ दिया था | जिस का कांच एक सुरक्षाकर्मी की गर्दन पर लगा | मंगलवार को कांग्रेस के सांसद बाजवा ने यह हरकत की | इन हरकतों की राज्यसभा सांसदों से कल्पना भी नहीं की जा सकती | 

विपक्ष अपने एजेंडे से ही खुद पटरी से नहीं उतरा | जनता में अपनी छवि भी खराब कर ली क्योंकि जिस मुद्दे पर उस ने संसद के 17 दिन बर्बाद किए , वह जनता का मुद्दा था ही नहीं | इधर संसद में हंगामा कर के सांसद अपनी छवि धूमिल कर रहे हैं | और उधर मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसदों पर कडा रूख अख्तियार कर लिया | ये जो आपराधिक छवि वाले नेताओं को टिकट दे कर संसद और विधानसभाओं में भेज रहे हैं | उन राजनीतिक दलों की सुप्रीमकोर्ट ने क्लास ली | आपराधिक छवि वाले उम्मीद्वारो का रिकार्ड छुपाने की कोशिश करने पर माकपा पर सब से ज्यादा 5 लाख रूपए का जुर्माना हुआ है | यह माकपा वही दल है , जो खुद को सब से ज्यादा दूध का धुला बताती है | 370 हटाए जाने पर भी वही सब से ज्यादा चिल्लाती है | नागरिकता संशोधन क़ानून पर भी वही सब से ज्यादा चिल्लाती है | और तीन तलाक प्रतिबंधित करने पर भी सब से ज्यादा तिलमिलाती है | शरद पवार की एनसीपीपर भी 5 लाख का जुर्माना लगा है | कांग्रेस और भाजपा भी नहीं बची | राजद, जनता दल, लोक जनशक्त‍ि पार्टी और सीपीआई के साथ साथ उन पर भी एक एक लाख रूपए का जुर्माना लगा है |

शायद सुप्रीमकोर्ट का यह नया आदेश कारगर हो | जिस में राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट के होमपेज पर उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी देनी होगी | मुखपृष्ठ पर एक कैप्शन हो , जिसमें लिखा हो 'अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार' | पहले कम सर्कुलेशन वाले अखबारों में जानकारी दे कर राजनीतिक दल जानकारी छुपा लेते थे | अब सुप्रीमकोर्ट ने चुनाव आयोग को जिम्मेदारी दे दी है कि वह अपनी मोबाईल एप्लिकेशन में उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी दे | 

 

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