अजय सेतिया / अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद पूरी दुनिया के इस्लामिक कट्टरपंथियों के हौंसले बुलंद हो गए हैं | ताज़ा घटना न्यूजीलैंड की है, जहां तीन सितंबर को सुबह आईएस आईएस के एक आतंकवादी ने एक माल में घुस कर छुरे से छह लोगों को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया , जिन में से एक की मौत हो गई और दो मौत से जूझ रहे हैं | जब न्यूजीलेंड जैसे यूरोप के दूर दराज देश में मुस्लिम कट्टरपंथियों के होंसले बुलंद हो चुके हैं तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि एशियाई देशों में आंतकवादी आने वाले दिनों में कैसा कहर बरपाएंगे | न्यूजीलैंड की घटना से पूरे यूरोप में मुस्लिम कट्टरपंथियों की ओर से आतंकवादी वारदातें बढने की आशंका व्यक्त की जा रही है | न्यूजीलेंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने शुक्रवार सुबह खुद मीडिया के सामने घटना के तथ्य रखते हुए कहा कि एक हिंसक कट्टरवादी ने ऑकलैंड के न्यू लिन उपनगर के लिनमॉल शॉपिंग सेंटर में आतंकवादी हमला किया | वह श्रीलंका का मुस्लिम नागरिक था और 10 साल से न्यूजीलेंड में रह रहा था | पुलिस की उस पर पहले से नजर थी , क्योंकि वह आईएस आईएस समर्थक हरकतें करता…
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अजय सेतिया / 21 अगस्त का अपना कालम देखें, अपन ने सवाल उठाया था कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद भी उस का प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदजादा कहीं दिखाई नहीं दे रहा | 2016 में अख्तर मंसूर के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद पाकिस्तान में हुई तालिबानियों की एक मीटिंग में उन्हें प्रमुख चुना गया था | अपनी आशंका यह थी कि वह पाकिस्तान की जेल में हो सकता है | पर अब तालिबान ने खुद बताया है कि वह शुरू से ही कंधार में है और जल्द ही जनता के सामने आएगा | लेकिन तालिबान का यह दावा गलत भी हो सकता है की वह हमेशा से ही कंधार में था , क्योंकि उसे 2016 में पाकिस्तान में हुई मीटिंग में चुना गया था | उस के बाद उस के अफ्गानिस्तान आने की संभावना न के बराबर है | खैर तालिबान का अपने शीर्ष नेताओं को पर्दे के पीछे रखने का इतिहास रहा है | तालिबान जब 1990 के दशक में सत्ता में था तब संगठन के प्रमुख नेता मुल्ला उमर भी कभी कभार ही काबुल की यात्रा करते थे | हिबतुल्लाह अखुंदजादा पाकिस्तानी तालिबान का भी सलाहाकार बताया जाता है |
अपन शुरू से लिखते रहे हैं कि तालिबान का अगला निशाना प…
और पढ़ें →अजय सेतिया / 26 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं , इन में बारह तो अमेरिका के सैनिक ही हैं | इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को समझ नहीं आ रहा कि उस ने आतंकवाद के साथ समझौता कर के सही किया या गलत किया | क्योंकि अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार अमेरिका को बार बार समझा रही थी कि तालिबान में किसी तरह का सुधार होने की कोई सम्भावना नहीं है | अफगानिस्तान सरकार के उपराष्ट्रप्ति रहे अमरुल्ला सालेह ने अब साफ़ साफ़ शब्दों में कहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान और अफगान नागरिकों के साथ धोखा किया है | आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का सहयोगी पाकिस्तान पिछले 20 साल से उसी की पीठ में छूरा घोंप कर तालिबान की मदद कर रहा था और अमेरिका हमेशा से इसे नजरअंदाज करता रहा | उन्होंने कहा है कि क्या यह सबूत काफी नहीं है कि पाकिस्तान ने ही अमेरिका से तालिबान की बातचीत शुरू करवाई थी | फिर अमेरिका ने चुनी हुई सरकार को तालिबान के साथ दोहा में बातचीत में शामिल होने के लिए मजबूर किया | अपने गलत फैसले पर पश्चाताप करने की बजाए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन अभी…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अमेरिका की ओर से जल्दबाजी में छोड़े गए आधुनिक हथियारों के विशाल जखीरे से लैस तालिबान पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली हो गया है | अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी , जिसे न 1982 में सोवियत संघ जीत पाया था और न 1996 से 2001 तक काबुल पर काबिज तालिबान जीत पाया था , लेकिन अब पहली बार अमेरिकी हथियारों की बदौलत तालिबान ने पंजशीर के रास्ते बंद कर के नार्दन अलांस को चुनौती दे दी है | अमेरिकी हथियारों से लैस तालिबान ने पहले अफगानिस्तानियों को देश छोड़ने से रोकने के लिए उन की मार पिटाई शुरू की थी और अब उन्हें हवाई अड्डे से भगाने के लिए बम धमाके शुरू कर दिए हैं | काबुल एयरपोर्ट पर हो रही इन वारदातों से अमेरिका का यह दावा भी खोखला साबित हो गया है एयरपोर्ट उस के कब्जे में है | एयरपोर्ट को अपने कब्जे में लेने के लिए अमेरिका ने पांच हजार सैनिक भेजे थे | साफ़ है कि तालिबान के कट्टरपंथी मुसलमानों ने अमेरिका को अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं |
इस बीच तालिबान ने यह भी साफ़ कर दिया है कि पाकिस्तान उनके 'दूसरे घर' जैसा है | एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्…
और पढ़ें →अजय सेतिया / लिखने को अपन आज भी अफगानिस्तान पर लिखते , वहां से कई नई खबरें आई हैं | एक खबर तो यह है कि अब जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है तो उसने पिछली सरकार के कर्मचारियों को चुन चुन कर ढूंढना शुरू कर दिया है | उन में से कुछ को गोली मार दी गई है | वहीं चौंकाने वाली खबर यह है कि तालिबान प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदजादा कहाँ है | वह न तो दोहा वार्ता में शामिल था और न ही अफगानिस्तान पर तालिबान के बाद कहीं दिखाई दे रहा है | अमेरिका ने उसे वार्ता में शामिल क्यों नहीं किया था | 50 वर्षीय हैबतुल्लाह अखुंदजादा को एक सैनिक/लड़ाके के बजाय एक कानूनविद के रूप में जाना जाता है | उसी ने तालिबान में इस्लाम की चरम व्याख्याओं को लागू करवाया था | क्या इसी लिए अमेरिका ने उसे वार्ता में शामिल नहीं किया | मई 2016 में जब तालिबान प्रमुख अख्तर मंसूर की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी | तब हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान प्रमुख बनाया गया था | खबर यह है कि अब्दुल गनी बरादर की तरह वह भी पाकिस्तान की जेल में है | लेकिन अमेरिका ने पाकिस्तान से अब्दुल गनी को रिहा करवाया , हैबतुल्ला…
और पढ़ें →अजय सेतिया / हालांकि इस खबर की पुष्टि नहीं हुई , लेकिन कहीं से कोई खंडन भी नहीं आया है कि अफगानिस्तान एयरफोर्स की पहली महिला पायलट साफिया फिरोज को पत्थर मार मार कर मार दिया गया है | वह पिछले पांच साल से अफगानिस्तान एयरफोर्स में पायलट के तौर पर तालिबानियों के खिलाफ लड रही थी | 1990 में जब रूस की सेनाएं वापस चली गई थी और अफगानी सरदार आपस में लड रहे थे तो साफिया का परिवार काबुल से भाग कर पाकिस्तान चला गया था , जहां उस का बचपन शरणार्थी के तौर पर बीता था | महिलाओं को आज़ादी बरकरार रखने के अफगानी दावे के बावजूद महिलाएं और महिलाओं को नौकरी देने वाले बेहद खौफ में हैं | आरटीए नाम के एक पश्तो टीवी चेनल की मशहूर एंकर शबनम डावरा जब गुरूवार को अपनी ड्यूटी पर गई तो उसे घर वापस भेज दिया गया | बाकी की महिला एंकरों को भी घर लौटना पड़ा |
लोगों के मन में 1996 से 2001 के तालिबानी शासन के दौरान सार्वजनिक तौर पर महिलाओं को कोड़े मारने, स्टेडियम-चौराहों पर फांसी देने और पत्थर मारने जैस…
और पढ़ें →अजय सेतिया/ तालिबान जैसी आतंकवादी और धार्मिक कट्टरवादी सरकारों के साथ संबंध रखने के मुद्दे पर भारतीय कूटनीतिज्ञ कहा करते थे कि “ट्रस्ट बट वेरीफाई” | हालांकि तालिबान की वापसी अमेरिकी कूटनीतिज्ञों के साथ समझौते के तहत हुई है , लेकिन यह समझौता ऐसा नहीं था कि अमेरिकी फौज की रवानगी से पहले ही वह हथियारों के बल पर कब्जा कर लेगा | बातचीत सत्ता में हिस्सेदारी की हो रही थी और तालिबान ने अमेरिका समर्थक सरकार को हथियारों के बल पर उखाड़ फैंका | अमेरिका का समर्थन होने के बावजूद चुने हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी रातों रात ओमान भाग गए | यह तय है कि बीस साल बाद अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद हालात पहले से भी ज्यादा अविश्वसनीय होंगे , क्योंकि अब तालिबान उन देशों के प्रति ज्यादा खूंखार हो सकता है , जिन्होंने तालिबान सरकार को अपदस्थ करने में अमेरिका का
साथ दिया था | इस लिए भारत के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब “ट्रस्ट बट वेरीफाई” वाली कूटनीति से भी ज्यादा सतर्कता की जरूरत पड़ेगी | अब नई नीति अपनानी होगी , “वेरीफाई एंड ओनली देन ट्रस्ट” यानी उनके रुख की पहले तस्दीक करें और फिर किसी बात…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने 30 अगस्त तक अमेरिकी और नाटो फौजों की अफगानिस्तान से वापसी की घोषणा की थी | जिस दिन यह घोषणा हुई , उसी दिन से तालिबानियों ने अपनी वापसी का एकतरफा एलान कर के प्रान्तों पर कब्जे शुरू कर दिए | नाटो फौजों की वापसी के एलान के बाद लाचार अफगानिस्तान सरकार ने तालिबानियों से सत्ता में हिस्सेदारी की पेशकश की | कतर की राजधानी दोहा में अफगान सरकार और तालिबानियों में बातचीत शुरू हुई थी , 12 अगस्त को विफल हो गई और उस के दो दिन के भीतर तालिबान ने लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया |
अमेरिका की 20 साल की मेहमत पर तालिबान ने 20 दिन में पानी फेर दिया | इस तरह मरने के बाद भी ओसामा बिन लादेन जीत गया और महाशक्ति अमेरिका अपने ढाई हजार सैनिक गवां कर और 20 हजार से ज्यादा सैनिकों को गंभीर हालत में अमेरिका वापस ले जा कर हार गया |
इस से पहले दस साल तक अपने कब्जे के बाद सोवियत संघ भी तालिबान से मात खा कर 1989 को इसी तरह लौटा था |
अपने दस साल के कम्युनिस्…
और पढ़ें →अजय सेतिया / याद होगी कांग्रेस की मोदी को बदनाम करने की रणनीति वाली टूलकिट , जिसे अपने ट्विटर हेंडल पर पोस्ट कर के भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने बवाल खड़ा कर दिया था | कांग्रेस ने इस टूलकिट से इनकार किया था और ट्विटर से इसे हटाने की मांग की थी | ट्विटर ने जब टूलकिट को मेनुपलेटिड मीडिया बता कर न सिर्फ हटा दिया था , बल्कि संबित पात्रा का अकाऊंट भी ब्लाक कर दिया था , तो कांग्रेस के नेता और कांग्रेस समर्थक मीडिया तालियाँ बजा रहा था | ये सब भारत सरकार की ओर से ट्विटर को दिए गए नोटिस की आलोचना कर रहे थे, जिस में ट्विटर को कहा गया था कि उसे भारत के लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी में दखल देने का अधिकार नहीं है | वह भारत के कानूनों का उलंघन न करे | ऐसा लगता था कि भारत का विपक्ष और विपक्ष समर्थक मीडिया उस समय ट्विटर के “पे रोल” पर थे , और ट्विटर के लिए काम कर रहे थे |
अब जब 9 वर्षी…
और पढ़ें →अजय सेतिया / भाजपा के नेता और सुप्रीमकोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय मुस्लिम विरोधी नारेबाजी के आरोप में गिरफ्तार और रिहा भी हो गए | पटियाला हाउस कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने उपाध्याय को 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी है | भारत के गृहमंत्री अमित शाह के निर्देशों पर काम करने वाली दिल्ली पुलिस ने किस आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया था , यह दिल्ली पुलिस अदालत को समझा नहीं सकी | उपाध्याय को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि उस के सामने जो साक्ष्य और वीडियो पेश किए गए हैं , उस से तो यह साबित ही नहीं हो रहा कि उपाध्याय ने जंतर मंतर पर मौजूद लोगों को किसी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नारेबाजी के लिए उकसाया था या उनके कहने पर किसी ने आपत्तिजनक नारेबाजी की है |
अदालत ने अमित शाह की दिल्ली पुलिस को लताड़ते हुए कहा कि जब वह अभी जांच कर रही है, उस के पास कोई सबूत नहीं है तो सिर्फ आशंका के आधार पर किसी को गिरफ्तार कर के उस की निजी स्वतंत्रता का हनन नहीं किया जा सकता…
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