Current Analysis

Earlier known as राजनीति this column has been re-christened as हाल फिलहाल.

बहुसंख्यक विद्रोह की ओर तो नहीं?

Publsihed: 16.Nov.2008, 20:39

भारत के संविधान में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग कानून और सेक्युलरिज्म परस्पर विरोधी हैं। सरकारें विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाकर सेक्युलरिज्म की भावना के अनुरूप काम नहीं कर रहीं।

परिदृश्य-एक
सत्रह सितंबर 1787 को तैयार अमेरिकी संविधान को लागू करने के लिए तेरह में से नौ राज्यों की पुष्टि होना जरूरी था, जो जून 1788 आते-आते हो गई थी, लेकिन दो बड़े राज्यों न्यूयार्क और वर्जिनिया ने पुष्टि नहीं की।

ओबामा की जीत से उत्साहित मायावती

Publsihed: 09.Nov.2008, 20:37

परिदृश्य- एक

अमेरिका का गठन होने के बाद वहां के नेताओं को लगता था कि दास्ता प्रथा धीरे-धीरे अपने आप खत्म हो जाएगी, जबकि ऐसा हुआ नहीं। जार्ज वाशिंगटन ने 1786 में फैसला किया कि दास्ता प्रथा को कदम दर कदम खत्म करने के लिए कार्य योजना बनाई जानी चाहिए। उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र ने 1787 में एक अध्यादेश जारी करके दास प्रथा खत्म कर दी। इक्कीस साल बाद जब 1808 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुलामों का व्यापार बंद किया गया, तब भी अमेरिका के कई दक्षिणी राज्यों में दास्ता प्रथा चालू थी।

बिखराव के मुहाने पर देश

Publsihed: 02.Nov.2008, 20:39

 

देश को बिखरता देख अमेरिका ने अपना संविधान बदल लिया था। असंतुलित विकास ने समाज में बिखराव पैदा कर दिया है। वोट बैंक की राजनीति ने वैमनस्य बढ़ा दिया है। क्या हमें भी संविधान बदलने की जरूरत है।

 

परिदृश्य- एक

 

1775 तक ब्रिटेन की सीमाएं मौजूदा अमेरिका तक फैली थी। यह वह साल था, जब तेरह राज्यों ने ब्रिटेन से आजादी का बिगुल फूंक दिया। जंग अभी चल ही रही थी कि इन तेरह राज्यों ने चार जुलाई 1776 को पैनसेलवानिया राज्य के फिलाडेलफिया नगर में आजादी का ऐलान कर दिया और सभी ने मिलकर एक नया संविधान बनाना शुरू कर दिया।

सिर्फ तकनीकी आधार पर खड़ी सरकार

Publsihed: 27.Oct.2008, 05:39

सरकार शीत सत्र के समय मानसून सत्र को घसीट रही है।  वह 21 जुलाई से शुरू हुए सत्र को लंबा खींच रही है ताकि अविश्वास प्रस्ताव न आए। सत्र जितना लंबा होगा सरकार की उम्र भी उतनी ही लंबी होगी।

इमरजेंसी में इंदिरा गांधी ने संसद का मनमाने ढंग से इस्तेमाल किया था। उन्होंने लोकसभा की अवधि पांच साल से बढ़ाकर छह साल कर दी थी। संसद का उसी तरह मनमाने ढंग से दुरुपयोग अब फिर शुरू हो गया है। लोकसभा में बहुमत का बेजा फायदा उठाने से लोकतंत्र का कितना नुकसान होता है, शायद कांग्रेस को इसका आभास नहीं है।

राज करेंगे बांग्लादेशी

Publsihed: 20.Oct.2008, 06:00

2001 में असम के राज्यपाल एसके सिन्हा ने चेतावनी दी थी कि घुसपैठियों को बाहर नहीं निकाला गया तो सिविल वार की स्थिति पैदा हो जाएगी। 2005 में राज्यपाल अजय सिंह ने कहा था कि असम में हर रोज छह हजार बांग्लादेशी घुसपैठ करते हैं।

अक्टूबर के पहले हफ्ते में असम के उदलगुरी और दारांग जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों और बोडो आदिवासियों में हुए खूनी संघर्ष में डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए। यह तो अभी शुरूआतभर है, आने वाले समय में असम हिंदू-मुस्लिम दंगों का मुख्य केंद्र बनने जा रहा है। कांग्रेस 1971 के बाद से बांग्लादेशियों की घुसपैठ को बढ़ावा देती रही है, जिसके नतीजे निकलने शुरू हो गए हैं।

मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ खड़े हों

Publsihed: 12.Oct.2008, 20:39

पाकिस्तान में पढ़े-लिखे मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ खड़े हो गए हैं। जबकि भारतीय बुध्दिजीवी मुसलमान उल्टे मुठभेड़ों पर सवाल उठा रहे हैं और मीडिया पर हमलावर हो गए हैं।

पाकिस्तान में मुसलमानों का पढ़ा-लिखा तबका अब आतंकवाद को लेकर गंभीर हो गया है। वहां के राजनीतिक दल भी पहले से ज्यादा गंभीर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें देश का अस्तित्व खतरे में लगने लगा है। भारत तीस साल से आतंकवाद का सामना कर रहा है, लेकिन यहां के राजनीतिक दलों ने अभी राजनीतिक चश्मा उतारने की जहमत नहीं उठाई है। पिछले दिनों पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने यह कबूल किया है कि आतंकवाद को गंभीरता से नहीं लिया गया तो उनके देश की हालत भी अफगानिस्तान जैसी हो जाएगी।

बजरंग दल भाजपा के रास्ते का कांटा

Publsihed: 06.Oct.2008, 03:36

कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली की मुठभेड़ पर सवाल उठाकर आतंकवादियों के तुष्टिकरण का रास्ता अपना लिया है, तो भाजपा बजरंग दल की हरकतों पर मौन है। ईसाईयों की हिंदुत्व विरोधी हरकतें बजरंग दल को हिंसा करने की इजाजत तो नहीं देती।

भारतीय जनता पार्टी ने आतंकवाद और महंगाई को अपना चुनावी मुद्दा बना लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडालीसा राइस की लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात के बाद एटमी करार का विरोध भाजपा का मुख्य एजेंडा नहीं रहेगा। ऐसा लगता है कि कोंडालीसा राइस ने आडवाणी से मुलाकात कांग्रेस के आग्रह पर की है। कांग्रेस एटमी करार के चुनावी मुद्दा बनने से भयभीत है,

देश के साथ विश्वासघात

Publsihed: 27.Sep.2008, 22:10

एटमी करार से देश का परमाणु शक्तिसंपन्न होने और सुरक्षा परिषद सीट का दावा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया। मनमोहन सिंह एटमी ऊर्जा के लिए देश की सुरक्षा को गिरवी रखने के साथ-साथ आतंकवाद के लिए देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी याद किए जाएंगे।

एटमी करार के कारण भारत-अमेरिका के रिश्तों में व्यापक बदलाव आ रहा है। पाकिस्तान में भी निजाम बदलने से अमेरिका के साथ उसके रिश्तों में बदलाव आ रहा है। परवेज मुशर्रफ के परिदृश्य से हटने को अलकायदा अपनी जीत मान रहा है।

धर्मांतरण के अधिकार से उपजा टकराव

Publsihed: 22.Sep.2008, 05:31

कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश में चर्च के खिलाफ आक्रोश हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ आई नई किताब 'सत्यदर्शनी' के कारण फैला। धर्म प्रचार के अधिकार का इस्तेमाल दूसरे धर्म के खिलाफ विषवमन के लिए नहीं होना चाहिए।

उड़ीसा में स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या के बाद उग्र हिंदू संगठनों ने ईसाईयों के खिलाफ जगह-जगह पर हिंसक वारदातें की। हिंसा में जानमाल की भारी हानि हुई। उड़ीसा की आग अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि कर्नाटक में हिंसक वारदातें शुरू हो गईं। कर्नाटक के बाद केरल और मध्यप्रदेश में भी हिंदुओं का गुस्सा ईसाईयों के खिलाफ फूट पड़ा।

भाजपा में मुद्दों पर भटकाव

Publsihed: 14.Sep.2008, 02:25

एटमी करार को लेकर भाजपा गंभीर दुविधा में फंसी है। नए खुलासों ने तेवर कड़े करने पर मजबूर तो किया, लेकिन चुनावी मुद्दे में शामिल नहीं हुआ करार विरोध। भाजपा फिलहाल देखो और इंतजार करो के मूड में।

अमेरिकी कांग्रेस से भारतीय एटमी करार को मंजूरी मिलने से ठीक पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उस गंभीर मुश्किल में फंस गए हैं, जो एक दिन आनी ही थी। मनमोहन सिंह तो इस वास्तविकता को जानते ही थे कि एटमी करार के बाद परमाणु विस्फोट नहीं कर सकेगा। वह इस बात को भी अच्छी तरह जानते थे कि अमेरिकी परमाणु ऊर्जा ईंधन कानून के मुताबिक भारत को बिना एनपीटी पर दस्तखत किए ईंधन सप्लाई की गारंटी नहीं मिल सकती।