अंग्रेजों की तरह कौन लड़वा रहा है सवर्णों और दलितों को
अजय सेतिया / दो सौ साल पहले पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव में पेशवाओं और अंग्रेजों की लड़ाई हुई थी | यह लड़ाई 1818 में हुई थी , जिस का स्मारक भी बना हुआ है | पेशवाओं के राज में दलितों को अछूत माना जाता था | इसलिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने दलितों के कंधे पर बन्दूक रख कर पेशवाओं के खिलाफ जंग लड़ी | अंग्रेजों ने स्थानीय महार समुदाय के लोगों को अपनी सेना में भर्ती किया | पेशवाओं की ओर से ठीक व्यवहार नहीं होने के कारण महार समुदाय के दलितों ने अंग्रेजों का साथ दिया | दलितों की ओर से अंग्रेजों का साथ दिए जाने के कारण पेशवा हार गए | अंग्रेज जीत गए, जिस कारण अंग्रेजों का पुणे पर कब्जा हो गया