गुजरात-हिमाचल में यही नतीजे निकलने थे 

Publsihed: 18.Dec.2017, 20:01

अजय सेतिया /गुजरात और हिमाचल में भी भाजपा जीत गई | अपन ने अपने कालमों में बार बार यही लिखा था | भाजपा ने गुजरात पर छटी बार भी कब्जा बरकरार रखा | यह छोटी मोटी बात नहीं | 1990 से भाजपा का गुजरात पर कब्जा है | हिमाचल में भी कांग्रेस की सरकार गई | अब कांग्रेस की सिर्फ चार राज्यों में ही सरकार रह गई | भाजपा की 14 राज्यों में सरकारें हो गई | पांच राज्यों में एनडीए की सरकारें पहले से हैं | 2018 में आठ राज्यों में चुनाव होंगे | जिनमें चार राज्य तो भाजपा के ही हैं | पर उन का इम्तिहान तो बाद में होगा | पहले गैर भाजपाई त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और कर्नाटक में चुनाव होंगे | अमित शाह ने चारों को जीतने का लक्ष्य घोषित कर दिया है | कर्नाटक बड़ा राज्य है | गुजरात हिमाचल का नतीजा आते ही कर्नाटक की बयानबाजी तेज हो गई | सिद्धारमैया ने कहा-" कर्नाटक पर गुजरात का असर नहीं होगा |" पर बीएस येदुरप्पा ने कहा-" गुजरात का असर कर्नाटक पर भी होगा |" पर फिलहाल अपन ताज़ा नतीजों पर चर्चा करें |  पहले छोटे राज्य हिमाचल की बात | हिमाचल में भाजपा तो जीत गई | पर उस का मुख्यमंत्री पद के उम्म्मीन्द्वार प्रेम कुमार धूमल के हारने की खबर ने अपन को चौंकाया | हालांकि सैनिकों के  वोट गिने ही नहीं गए थे | न्यूज चैनलों ने उन्हें हारा हुआ बता दिया | भाजपा ने पहले धूमल को न सिर्फ मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने से परहेज किया गया था | अलबत्ता उन्हें  सीट बदलने को मजबूर किया गया था | धूमल को वह सीट दी गई, जो उन के लिए बहुत कमजोर थी | भाजपा के ही कुछ नेता उन्हें निपटाने की साजिश रच चुके थे | साजिश जब चल रही थी , तभी जमीनी खबर आई कि धूमल को प्रोजेक्ट नहीं किया | तो भाजपा वीरभद्र के हाथों निपट जाएगी | मजबूरी में धूमल को प्रोजेक्ट तो किया गया | पर साजिश अपना काम पहले ही कर चुकी थी | अपन को कुछ दिन पहले भाजपा के ही एक नेता ने बताया कि धूमल हार रहे हैं | अपना अनुमान था कि प्रोजेक्ट करने से धूमल को फायदा हुआ होगा | भाजपा को तो फायदा हुआ, वह कम से कम 10 सीटें धूमल की वजह से जीती | पर कालम लिखने तक धूमल अधर में थे | अगर वह हारे , तो सीएम बनते बनते रह जाएंगे | जैसा इस बार उत्तराखंड में अजय भट के साथ हुआ | वह जीतते तो वही सीएम् बनते | उत्तराखंड का उदाहरण 2012 का भी है | धूमल हारे तो जो 2012 में भुवन चंद खंडूरी के साथ उत्तराखंड में हुआ था | वही 2017 में धूमल के साथ हिमाचल में हो जाएगा | खंडूरी की वजह से भाजपा 31 सीटें ले गई थी | जब कि खंडूरी को आख़िरी तीन महीनों में मुख्यमंत्री न बनाया जाता | तो भाजपा 10- 12 सीटों पर लुढक रही थी | साजिश में खंडूरी को ही हरा दिया गया | खैर अपना अनुमान है कि धूमल जीते तो वही सीएम बनेंगे | पर खुदा-न-खास्ता वह हारे | तो जय राम ठाकुर हिमाचल के मुख्यमंत्री होंगे | अब बात गुजरात की | गुजरात का चुनाव भाजपा बहुत कम सीटों से जीती | बहुमत के लिए 92 सीटें चाहिए थी | अपन जब लिख रहे हैं, भाजपा 99-100 में झूल रही थी | यानी 8 सीटों का बहुमत | अब नरेंद्र मोदी इसे जीएसटी और नोटबंदी की जीत बताएं | तो कैसे चलेगा | शाम छह बजे भाजपा दफ्तर पहुंचे मोदी ने यही कहा है | उन ने कहा-" जो लोग कह रहे थे कि लोग जीएसटी के कारण नाराज हैं | उन्हें धक्का लगा है | उन्होंने एलान किया कि अब वह चुनाव सुधारों के अपने एजेंडे पर आगे बढ़ेंगे | उन का इरादा लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाना है | वह चाहते हैं कि टर्म भी पांच साल फिक्स हो जाए | उपचुनावों का झंझट ही खत्म हो | पर उस में कई खतरे हैं | जिन पर फिर कभी चर्चा करेंगे | फिलहाल बात गुजरात और जीएसटी की | हाँ मोदी और अमित शाह को बधाई देनी पड़ेगी कि उन ने वक्त रहते सुधार किया | ठीक चुनाव के बीच जीएसटी में सुधार किया | रिटर्न भरना आसान किया गया | लग्जरी चीजों की तादाद घटाई गई | सोचो , अगर ऐन वक्त पर जीएसटी रेट न घटाए होते | तो भाजपा का क्या हाल होता | अहमदाबाद और सूरत पूरी तरह भाजपा के खिलाफ थी | आप ने जीएसटी ठीक किया | तो उसी "सूरत " ने भाजपा को छप्पर फाड़ वोट दिए | नतीजा यह निकला कि भाजपा को सूरत ने 16 में से 15 सीटें जीता दीं | सोचो , अगर जीएसटी ठीक न किया होता | तो सूरत में भाजपा को बामुश्किल 5-7 सीटें मिलतीं | अहमदाबाद में भी 15 सीटें नहीं मिलती | वहां भी 5-7 सीटें ही मिलती | यानी जीएसटी 20 और सीटों का नुकसान कर देता | ऐसा होता, तो गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनती | जीएसटी में सुधार ने 20 सीटें बढाई , तब जा कर 99 सीटें आईं | अन्यथा कांग्रेस वाली 80 सीटें भाजपा की आती | और 99 सीटें कांग्रेस की आती | अब जाते जाते कच्छ सौराष्ट्र की बात | यह किसानी का इलाका है | जहां भाजपा की सीटें कांग्रेस से कम आई हैं | यानी किसानों की समस्याएं खतरे की घंटी है | मोदी चुनाव सुधारों का चक्कर छोड़ें | पहले किसानों की सुध लें | 

आपकी प्रतिक्रिया