बिना मजबूत एनडीए दूसरी टर्म नहीं मिलेगी मोदी को 

Publsihed: 20.Dec.2017, 21:53

अजय सेतिया / गुजरात के चुनाव नतीजों की जितनी समीक्षा करते हैं | उतने गंभीर अर्थ निकल रहे हैं | यह तो भाजपा का नेतृत्व भी मानेगा कि जैसा गुजरात वैसा सारा देश | पर जिस तरीके से मोदी ने गुजरात की नैया पार की | उसी तरीके से सारे देश की नैया पार नहीं हो सकेगी | मोदी ने खुद को गुजरात का बेटा बता कर एक तरह से रहम की भीख माँगी | आखिर में उन्होंने यह भी कह दिया कि अगर गुजरात ने उन्हें हरा दिया तो वह कहाँ जाएंगे | इस तरह की इमोशनल अपील वह यूपी , बिहार,राजस्थान और मध्यप्रदेश में तो नहीं कर सकते | जहां से 2014 में भाजपा को छप्पर फाड़ सीटें मिली थी | बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र,कर्नाटक और तमिलनाडू में भी ऐसी इमोशनल अपील नहीं कर सकेंगे | गुजरात में भाजपा की जीत का एक बड़ा कारण नरेंद्र मोदी का गुजराती होना है | सोचो , अगर वह खुद सिर्फ गुजरात के मुख्यमंत्री होते | तो यह भी समझ लें कि 2002 में भाजपा को 127 सीटें मिलीं थी | पांच साल बाद 2007 में 117 सीटें मिली थी | फिर पांच साल बाद 2012 में 115 सीटें मिलीं | और इस बार जैसे 99 सीटें मिली हैं , यह सब को पता है | गुजरात की जनता में निराशा का आलम यह था कि भाजपा अपनी 12 सीटें "नोटा" के कारण हारी | भाजपा इन सीटों को जितने वोटों से हारी है, नोता के वोट उस से ज्यादा पड़े | भाजपा के गिर-पड कर जीतने का दूसरा पहलू देखिए | चार बड़े शहरों में भाजपा 99 में से 46 सीटें जीती | अहमदाबाद 21/16 , सूरत 16/15 , वडोदरा 10/9 , राजकोट 8/6 | यानी 55 सीटों में से 46 सीटें और बाकी की 127 में से सिर्फ 53 सीटें | इस का मतलब है कि भाजपा ने शहरों को संतुष्ट किया | वह भी आख़िरी समय में जीएसटी की दरें घटा कर और रिटर्न भरने की अवधि बढ़ा कर | पेट्रोल और डीजल का गुस्सा अभी बाकी है | किसानी के प्रभाव वाले कच्छ सौराष्ट्र ने तो भाजपा को बहुत करारा झटका दिया है | समीक्षा का अब एक और पहलू सामने आया है | मायावती की बहुजन समाज पार्टी और शरद पवार की एनसीपी ने भी भाजपा की मदद की | इन दस सीटों पर गौर करिए | गोधरा-258 , पोरबंदर-1855 , राजकोट-2179, प्रांतिज-2551, विजापुर-1164 , हिम्मतनगर-1712 , फतेपुरा -2711, बोताड़-906 , ढोलका-327 और उमरेठ-1883 सीटें भाजपा जीती है | भाजपा ये सीटें 258 से 2711 वोटों के मार्जिन से जीती है | इन दस विधानसभाओं में अगर भाजपा विरोधी वोट बसपा और एनसीपी को न पड़ते | तो ये सभी दस सीटें कांग्रेस जीतती | हालांकि राजनीति में दो जमा दो चार नहीं होता | पर यह तो तय है कि इन दोनों दलों को मिले वोट भाजपा को नहीं पड़ते | तो कुल मिला कर बसपा, एनसीपी और जीएसटी के जुगाड़ ने भाजपा को जीत दिलाई | यानी 2019 के लिए नए समीकरण शुरू हो चुके हैं | भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने एनडीए से बाहर निकलने की भूमिका बनानी शुरू कर दी है | गुजरात के चुनाव नतीजों को शिवसेना ने कांग्रेस के पक्ष में बताया है | शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है | आदित्य ठाकरे ने एक साल में एनडीए से बाहर आने की बात भी कह दी है | यानी शिवसेना सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर लौटने वाले राहुल के यूपीए में जाने की तैयारी में है | और गुजरात में भाजपा को फायदा पहुँचाने वाली महाराष्ट्र की एनसीपी एनडीए में जाने की तैयारी में हैं | उत्तर प्रदेश के स्थानीय चुनावों ने भी भाजपा की जमीनी हकीकत जाहिर की है | भले ही शहरों के नगर निगम भाजपा जीती है | पर गाँवों में भाजपा 25 फीसदी सीटें भी नहीं जीत सकी | इन्हीं चुनावों से मायावती की बसपा ने अपनी जमीन फिर से स्थापित करने के संकेत दिए हैं | वह समाजवादी पार्टी पर भारी पड़ती दिखाई देती है | बिहार का महा गठबंधन फेल होने के बाद यूपी का गठबंधन बनने के भी आसार नहीं दिखते | मायावती सपा और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का सोच रही होती | तो गुजरात में भाजपा को फायदा पहुँचाने वाला खेल नहीं खेलती | मायावती के दिमाग में जरुर कुछ नया खेल चल रहा है | बसपा के राज्यसभा सांसद संसद की कार्यवाही में हिस्सा लेते दिखाई नहीं दे रहे | यानि कुछ पक रहा है | गुजरात के नतीजों से भाजपा और मोदी को भी एहसास हो गया है कि 2019 मुश्किल हो गया है | बिना एनडीए को मजबूत किए उस का बेड़ा पार नहीं होगा | अब तक जितने लोकसभा उपचुनाव हुए वे सभी भाजपा हारी है | मध्यप्रदेश की झाबुआ और पंजाब की गुरदासपुर सीट भाजपा ने उपचुनाव में हारी हैं | अभी सात लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होना है | ये सभी चुनाव गुजरात विधानसभा चुनावों के साथ हो सकते थे | पर चुनाव आयोग ने ऐसा न कर के आलोचना झेली है | इन सीटों पर चुनाव ज्यादा देर टाला नहीं जा सकता | फरवरी के शुरू तक चुनाव होना जरूरी है | इन में चार सीटें राजस्थान की अजमेर , अलवर और यूपी की गौरखपुर, फूलपुर 2014 में भाजपा जीती थी | बिहार की अररिया राजद जीती थी |  पश्चिम बंगाल की एक उलूबेरिया सीट तृणमूल कांग्रेस जीती थी | सातवीं सीट जम्मू कश्मीर की है , वहां चुनाव होगा या नहीं ,अभी नहीं कह सकते | भाजपा का इम्तिहान राजस्थान और यूपी में होना है | नीतीश कुमार के साथ आने के बाद एनडीए की ताकत का भी अररिया में इम्तिहान होगा | जो सीट 2014 में राजद की टिकट पर तस्लीमुद्दीन जीते थे | वैसे भाजपा के सामने गुजरात ही नहीं, सबक सीखने को 2004 के चुनाव नतीजे भी हैं | ‘इंडिया शाइनिंग’ से आत्ममुग्ध एनडीए ने चुनाव से पहले अपने तीन महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिए थे |  जिन्होंने 1999 में उसे दोबारा सत्ता में पहुंचाया था | 

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