अंग्रेजों की तरह कौन लड़वा रहा है सवर्णों और दलितों को 

Publsihed: 02.Jan.2018, 21:05

अजय सेतिया / दो सौ साल पहले पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव में पेशवाओं और अंग्रेजों की लड़ाई हुई थी | यह लड़ाई 1818 में हुई थी , जिस का स्मारक भी बना हुआ है | पेशवाओं के राज में दलितों को अछूत माना जाता था | इसलिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने दलितों के कंधे पर बन्दूक रख कर पेशवाओं के खिलाफ जंग लड़ी | अंग्रेजों ने स्थानीय महार समुदाय के लोगों को अपनी सेना में भर्ती किया | पेशवाओं की ओर से ठीक व्यवहार नहीं होने के कारण महार समुदाय के दलितों ने अंग्रेजों का साथ दिया | दलितों की ओर से अंग्रेजों का साथ दिए जाने के कारण पेशवा हार गए | अंग्रेज जीत गए, जिस कारण अंग्रेजों का पुणे पर कब्जा हो गया | दलित पेशवाओं की हार को अपनी जीत मानते हैं | सो हर साल जीत का जश्न मनाने के लिए भीमा - कौरेगांव में जश्न मनाते हैं | जीत का जश्न मनाने के लिए स्मारक बनाया गया था | रोहित वैमूला का कार्ड फेल हो जाने के बाद इस बार नक्सलियों ने भीमा - कौरेगांव को चुना था | भीमा-कौरेगांव से भाजपा के खिलाफ दलितों और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने की रणनीति बनाई थी | जेएनयू की भारत तोड़ो ब्रिगेड के उमर खालिद को इस रणनीति में जोड़ा गया | रोहित वैमूला का आन्दोलन चलाने उमर खालिद भी हैदराबाद गए थे | रोहित वैमूला दलित नहीं था | पर बिहार विधानसभा चुनाव से पहले रोहित वैमूला की आत्महत्या का राजनीतिक इस्तेमाल किया गया था | रोहित वैमूला को दलित बता कर भाजपा पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया | राहूल गांधी भी उस आन्दोलन में कूदे थे | पर बाद में हुई जांच से दूसरी कहानी निकली | वह पिछड़े परिवार से था | पति से तलाक के बाद रोहित की मां ने वजीफे के लिए रोहित के दलित होने का सर्टिफिकेट बनवाया था | बिहार के चुनाव में रोहित की लाश को इस्तेमाल करने के बाद मुद्दा भी खत्म हो गया था | गुजरात के चुनाव में दलित नेता जिग्नेश मवानी ने भाजपा को नाकों चने चबा दिए | इस लिए नक्सलियों ने दलितों को भाजपा से तोड़ने की नई रणनीति बनाई | इसी रणनीति के तहत भीमा-कोरेगांव के "विजय दिवस " कार्यक्रम आयोजकों में घुसपैठ बनाई गई | भीमा-कौरेगांव से मोदी के खिलाफ लड़ाई का बिगुल बजाने रणनीति थी | इस की भनक अपन को तभी लग गई थी जब आयोजकों ने जिग्नेश मवानी उमर खालिद को भी बुलाने का एलान किया | यह वही उमर खालिद है, जिस ने जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे- इंशा अल्लाह , इंशा अल्लाह के नारे लगाए थे |  जैसी आशंका थी , हूँ-ब-हूँ  वही हुआ | अंग्रेजों की जीत पर मनाए जा रहे जश्न का ही सोमवार को कुछ लोगों ने  विरोध किया | जिसके बाद हिंसा भड़की | जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे | तभी भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं | हिंसा में एक आदमी की मौत हो गई | पुलिस ने घटना के बाद कुछ समय के लिए पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर यातायात रोक दिया | मवानी ने अपने भाषण ने कहा कि भीमा-कौरेगांव की लड़ाई को आगे ले जाना होगा | कांग्रेस के नेता मवानी ने साफ़ कहा कि सडकों पर लड़ाई करनी होगी |उन के इस भाषण के बाद मंगलवार को मुंबई, पुणे और औरंगाबाद में कई जगहों पर हिंसा फैल गई | मुंबई में कई जगहों पर पत्थरबाजी की घटना भी हुई | एक दलित ने आत्मदाह की कोशिश की | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नेताओं से अपील की कि वे बयानबाजी से बचें | फडणवीस की इस अपील के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का ट्विट जारी हुआ | जिस में राहुल गांधी ने भाजपा और आरएसएस को निशाना बनाया | उन ने ट्विट में कहा-" यह आरएसएस और बीजेपी का फासीवादी दृष्टिकोण है कि दलितों को भारतीय समाज में निम्न स्तर पर ही बने रहना चाहिए |  उना, रोहित वेमुला और अब भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध के सशक्त प्रतीक हैं |" तो क्या भीमा-कौरेगांव से दलितों-सवर्णों का संघर्ष करवाने में कांग्रेस भी शामिल थी | राहुल गांधी के बयान में ऊना और रोहित वैमूला का जिक्र इसी ओर इशारा करता है | शिवसेना के प्रवक्ता संजय राऊत का बयान काबिल-ए-जिक्र है | उन ने कहा -" हिंसा के पीछे जरुर कोई न कोई है | जो महाराष्ट्र में जातीय हिंसा फैला कर शान्ति भंग करना चाहता है |" महाराष्ट्र के ये दंगे दलितों और सवर्णों के बीच है | दलितों-सवर्णों की इसी फूट का अंग्रेजों ने फायदा उठाया था | अंग्रेजों ने दलितों को पेशवाओं के खिलाफ इस्तेमाल किया था | अब फिर दलितों को मोहरा बनाया जा रहा है | लेकिन कौन कौन हैं इस के पीछे | मुख्यमंत्री फडनवीस ने अदालती जांच के आदेश दे दिए हैं | वैसे रोहित वैमूला की घटना के बाद छूपा किस से है | उमर खालिद और जिग्नेश मवानी को लाने की रणनीति कहाँ बनी, किस ने बनाई | क्या पूरे देश में जातीय संघर्ष की रणनीति है | भाजपा को हारने के लिए क्या यही जरुरी है | 

 

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