न तुम जीते, न हम हारे , हारी देश की जनता

Publsihed: 27.Dec.2017, 22:37

अजय सेतिया / कांग्रेस को बहुत  एतराज था कि मोदी ने संसद का शीत सत्र वक्त पर नहीं बुलाया | एतराज था कि गुजरात के चुनाव के कारण संसद की अनदेखी हुई | एतराज अपना भी था | अपना एतराज बुनियादी था | अपना एतराज यह था कि 2011 से संसद की अनदेखी हो रही है | पिछले सात साल से संसद का सत्र साल में तकरीबन 70 दिन चला है | जबकि 100 दिन सत्र चलाने की आम सहमती बनी हुई है | अपन ने तो यहाँ तक लिखा था कि संसद के दरवाजे पर घुटनों के बल बैठने से संसद का सम्मान नहीं होता | अलबत्ता संसद का सामना करने से संसद का सम्मान होता है | पर कांग्रेस ने पिछले दस दिन में जो कुछ किया वह क्या था | क्या वह संसद का सम्मान कर रही थी | जब उस ने झूठी शान के कारण दस दिन संसद नहीं चलने दी | नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात के चुनाव में मणिशंकर अय्यर के घर हुई ही डिनर मीटिंग पर बवाल काटा था | तो अपन को भी नहीं पचा था | अपन ने 12 दिसम्बर को अपने इसी कालम में लिखा था -" क्या मनमोहन ने भारत की पाक नीति के खिलाफ काम किया |" जिस में अपन ने दो टूक लिखा था -" कसूरी के आगमन पर मणिशंकर अय्यर ने विचार-विमर्श के लिए रात्रि भोज रखा | तो यह कोई षड्यंत्र नहीं हो सकता | कम से कम गुजरात के चुनाव से इस बैठक का कोई लिंक नहीं हो सकता | .........अब कोई यह कहे कि इस रात्रिभोज में गुजरात के चुनाव पर चर्चा हुई होगी | कोई यह कहे कि अहमद पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने पर रणनीति बनी होगी | तो अपनी सामान्य राजनीतिक समझ यह नहीं मानती | " पर नरेंद्र मोदी ने चुनावी लाभ के लिए इसे मुद्दा बना कर मनमोहन सिंह पर सवाल खड़े किए | तो कांग्रेस ने भी मनमोहन सिंह को मोदी के सामने खडा कर के चुनौती दिलवाई थी | कांग्रेस की और से भी मोदी को नीच कहा गया था | यह सब चुनावी खेल था | इस में कांग्रेस भी कम नहीं | याद करो 2004 में कफन चोर का कितना बड़ा फर्जी बवाल खडा किया गया था | अगर वह फर्जी बवाल खड़ा न किया होता तो वाजपेयी नहीं हारते | देश को दस साल डमी प्रधानमंत्री नहीं झेलना पड़ता | चुनाव में नीचता की हद पर सब जाते हैं | मोदी की तो अपनी गद्दी का सवाल था | गुजरात हार जाते तो खुद भी निपट जाते | आख़िरी दिनों में उन ने यह भी कह ही दिया था -" आप वोट नहीं देंगे, तो मैं कहाँ जाऊँगा |" पर कांग्रेस ने चुनाव में पाकिस्तान वाले एंगल को ले कर दस दिन राज्यसभा नहीं चलने दी | पिछले शुक्रवार को सेंट्रल हाल में बैठे मलिकार्जुन खड्गे से अपन ने पूछा था-" आप की यह अलग अलग रणनीति क्यों है | मनमोहन की इज्जत के सवाल पर राज्यसभा चलने नहीं दे रहे | जब कि लोकसभा मजे से चल रही है ?" तो उन का बहुत ईमानदार सा जवाब था, लोकसभा में हम हैं कितने | वे साढे तीन सौ हैं | पर राज्यसभा में गुलामनबी और आनन्द शर्मा की अलग कहानी है | गुलाम नबी कोई विवाद हल करना भी चाहें , तो आनन्द शर्मा दीवार बन कर खड़े हो जाते हैं | सोनिया गांधी ने सुलझे हुए गुलामनबी पर एक आनन्द शर्मा छोड़ रखा है | अरुण जेटली आसानी से आनन्द शर्मा से बात करने के मूड में नहीं आते | अब जब तक जेटली इशारा न करें आनन्द शर्मा से कौन बात करे | आखिर जेटली ने विजय गोयल को बातचीत करने का इशारा किया | पर साथ में यह भी कह दिया कि आनन्द शर्मा के पास आखिर में जाना | विजय गोयल पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री की जिम्मेदारी है | वह सब से पहले मनमोहन सिंह से मिलने गए | उन ने मनमोहन सिंह को सफाई दी कि मीडिया ने मोदी के भाषण पर मसाला लगाया | मोदी ने उनके बारे में चुनाव प्रचार में वो बातें नहीं कहीं , जो मीडिया में कही जा रही हैं | मनमोहन सिंह मान गए | तो विजय गोयल ने जा कर जेटली को बताया | फिर जेटली ने एक बयान तैयार किया | गोयल इसे लेकर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के पास गए | गुलामनबी ने कहा कि आनन्द शर्मा को भी दिखाओ | आनंद शर्मा को जेटली का बनाया बयान पसंद आना ही नहीं था. सो वह नहीं आया | आजाद और शर्मा ने खुद बयान का ड्राफ्ट बना कर दिया | जिसे जेटली ने नामंजूर कर दिया | तो संसद में हफ्ता भर गतिरोध चलता रहा | बीते शनिवार को गतिरोध तोड़ने की पहल फिर हुई | इस बार जेटली और गोयल दोनों गुलामनबी आजाद के घर गए | वहीं पर आनंद शर्मा को बुलाया गया , तब आमने सामने बैठ कर दो बयान तैयार हुए | एक जेटली को राज्यसभा में देना था और दूसरा आजाद को | चार दिन की छुट्टियों के बाद बुधवार को संसद शुरू हुई तो फिर पेंच फंस गया | एक शब्द को लेकर गतिरोध फिर उभर आया | चारों नेताओं की फिर से चर्चा हुई , जिसके बाद दो बजे जेटली और आजाद ने पहले से तैयार बयान राज्यसभा में पढ़ें | तब जा कर गतिरोध टूटा | अरुण जेटली ने अपने बयान में कहा -" पीएम मोदी की मनमोहन या हामिद अंसारी की देशभक्ति पर कोई सवाल खड़ा करने की मंशा नहीं थी | न ही अपने भाषणों में ऐसी कोई बात कही |  हम इन दोनों नेताओं की काफी इज्जत करते हैं |" गुलाम नबी ने कहा -" इस मामले पर स्पष्टीकरण देने के लिए धन्यवाद | चुनाव के दौरान अगर किसी कांग्रेसी की बात से पीएम के सम्मान को धक्का लगता हो, तो हम ऐसे किसी भी बयान से खुद को अलग करते हैं | प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी बयान कांग्रेस को मंजूर नहीं |" तो बताओ क्या निकला , उन ने तो माफी माँगी नहीं ,  आप ने खुद ही मांग ली | न कांग्रेस का कुछ बिगड़ा , न भाजपा का बिगड़ा | बिगड़ा देश की जनता का, जिस का संसद के हंगामें से करोड़ों रूपया बर्बाद हुआ | 

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