अपने बंगाल में 30 साल से कम्युनिस्ट सरकार। इतना लंबा अर्सा स्थाई शासन मिल जाए। पर एक मार्केट की आग न बुझा सके। तो समझ लो- तीस साल क्या किया धरा होगा। बंगाल में उद्योगों का बंटाधार तो हुआ ही। गरीबी की हालत देखने लायक। पिछड़ेपन का ठीकरा अपन किसी और के सिर नहीं फोड़ सकते। सिर्फ नेता ही जिम्मेदार। फिर भी नेता नक चढ़े। बंगाल के फायर ब्रिगेड मंत्री प्रतिम चटर्जी का रवैया देखो। सोमवार को अपने राजस्थानी सांसद सुभाष महेरिया कोलकाता गए। साथ में दो मंत्री कालीचरन सर्राफ और खेमा राम मेघवाल भी थे। अपनी वसुंधरा राजे ने हालात जानने भेजा। पर नक चढ़े प्रतिम चटर्जी मिलने तक को राजी नहीं हुए। बोले- 'पहले से मुलाकात का वक्त क्यों नहीं मांगा।'
ताकि सनद रहे सो बता दें। जिस नंदलाल मार्केट में आग लगी। उस तिरपाल मार्केट के सारे दुकानदार राजस्थानी। सो वसुंधरा ने हालात जानने को डेलीगेशन भेजा। जिसका नक चढ़े मंत्री प्रतिम चटर्जी से वास्ता पड़ा। प्रतिम चटर्जी के बारे में बता दें। बाकी लेफ्टियों की तरह झोलाछाप नहीं। अलबत्ता पुराने डायमंड व्यापारी। फारवर्ड ब्लाक के टूटे हुए खेमे मार्क्सवादी फारवर्ड ब्लाक के एमएलए। नंदलाल मार्केट की आग पर काबू पा लेते। तो घमंड समझ में भी आता। वैसे अपन मंत्रालय का नाम देखकर हैरान। सिर्फ फायर ब्रिगेड का काम। डायमंड व्यापारी और इतना छोटा मंत्रालय। अपन को लगता है गुस्सा बुध्ददेव पर होगा। सो उनने अपनी कुंठा राजस्थान के मंत्रियों और सांसद पर उतारी। पर अपने नेताओं की कुंठाएं अजीब-ओ-गरीब। अब देखो मायावती मुफलसी में अपना जन्मदिन नहीं मना पाई होंगी। सो अब बचपन की कुंठा बाहर निकलने लगी। इस बार सरकारी पैसे से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक केक कटे। यों तो मायावती को सोनिया ने पिछली बार भी जन्मदिन की बधाई दी। पर इस बार बहन मायावती को सोनिया बेन का फोन आया। तो वह फूली नहीं समाई। शेरशाह सूरी जैसी एक हजार किमी की सड़क बनाने का ऐलान किया। तो सड़क का नाम मायावती होगा ही। दिल्ली में तो फाइव स्टार होटल में दावत हुई। बहाना बनाया गया प्रेस कांफ्रेंस का। पर केक कटा जन्मदिन का। ऐसी प्रेस कांफ्रेंस अपन ने पहले कभी नहीं देखी। स्टेज पर मायावती का सारा परिवार था। पिता, बहन, भाई, भौजोई, बच्चे-वच्चे सब। अनाप-शनाप सरकारी खर्च पर मुलायम विरोध प्रदर्शन न करें। सो मुलायम को हाऊस अरेस्ट कर दिया गया। यों कांग्रेस से रिश्ते अब वैसे नहीं रहे। पर अपने जन्मदिन पर कांग्रेस के खिलाफ नहीं बोली। राजनीतिक दलों के रंग भी न्यारे। राजनीतिक विरोधी हो। तो मामूली चोट भी हत्या बता दें। समर्थक हो, तो सौ खून माफ। कोलकाता के नंद बाजार की आग को ही लो। चार दिन से आग नहीं बुझी। पर कांग्रेस टिप्पणीं करने को तैयार नहीं। दो सौ करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका। सरकार को अपनी क्षमता पर जरा अफसोस नहीं। अफसोस होता, तो फायर ब्रिगेड मंत्री इस्तीफा दे चुके होते। पर इस्तीफा तो दूर की बात। राजस्थान के मंत्रियों से मुलाकात तक नहीं की। अपने सुभाष महेरिया ने कहा- 'मैं मामला संसद में उठाऊंगा।' तो बोले- 'कहीं भी उठाओ। मुझे परवाह नहीं।' बीजेपी के मंत्री राहुल सिन्हा साथ थे। उनने कहा- 'यह है सरकार का असली चेहरा।' पर मंगलवार को बुध्ददेव ने प्रतिम चटर्जी की क्लास ली। मंगलवार को अपने भैरोंसिंह शेखावत भी मौके पर पहुंचे। साथ में राजस्थान पत्रिका के संपादक गुलाब कोठारी भी थे। पत्रिका का समाज के दु:ख-सुख से पुराना नाता। शेखावत ने व्यापारियों के दु:ख-दर्द सुने। पर ऐसी घटनाओं के वक्त मीडिया का रोल भी अजीब। शेखावत पहुंचे, तो विजुअल मीडिया में होड़ मच गई। भीड़-भड्ड़के में कहीं धक्का-मुक्की न हो जाए। सो शेखावत दस मिनट में निकले। पर राजभवन में सबकी बात सुनी। नंदलाल मार्केट ही नहीं। काशीराम मार्केट के व्यापारी भी मिले। शेखावत ने भरोसा दिया- 'केंद्र सरकार तक आवाज पहुंचाएंगे।' पर बात बंगाल सरकार की। एक आग नहीं बुझ रही। बर्ड फ्ल्यू पर क्या काबू पाएंगे।
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