अजय सेतिया / पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों की घोषणा हो चुकी है | इसे मिनी आम चुनाव कहना गलत नहीं होगा क्योंकि इन चुनावों के नतीजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का इम्तिहान होना है | भाजपा का उतार चढाव भी इन्हीं चुनाव नतीजों से तय होगा क्योंकि पंजाब को छोड़ कर बाकी सभी चारों राज्यों उतर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी भाजपा की सरकारे हैं | देश की सब से ज्यादा दिलचस्पी उतर प्रदेश में है , क्योंकि उतर प्रदेश ही देश का राजनीतिक थर्मामीटर है | नरेंद्र मोदी खुद उतर प्रदेश से सांसद हैं , इसलिए भाजपा के लिए वहां सत्ता में बने रहना बहुत जरूरी है | उत्तराखंड और मणिपुर भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इन दोनों राज्यों में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा सरकार बनी थी | लेकिन भाजपा का सब से बड़ा इम्तिहान गोवा में होना है , जहां भाजपा मोदी के राष्ट्रीय पटल पर आने से पहले ही स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आ चुकी थी | हालांकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2017 में हुए चुनाव में भाजपा हारी थी , उसे 13 सीटें मिलीं थी , और कांग्रेस को 17 , लेकिन महार…
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अजय सेतिया / जर्मनी से काम कर रहे खालिस्तानियों के संगठन सिख फार जस्टिस ने कहा है कि उस ने फिरोजपुर में प्रधानमंत्री की सुरक्षा भंग करने में मदद की | किस की मदद की , पंजाब सरकार की या किसानों की या दोनों की | सिख फार जस्टिस ने यह भी कहा है कि यह पहला कदम था , याद रखना चाहिए कि इंदिरा गांधी का क्या हश्र हुआ था | सिख फार जस्टिस का यह ब्यान मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को गलत साबित करता है | जिन्होंने बुधवार शाम को प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी जान को कोई खतरा नहीं था | अब सीधा सवाल यह बनता है कि प्रधानमंत्री की कार के बिलकुल पास पहुंच जाने वाले छह लोग कौन थे | उन्हें प्रधानमंत्री की कार के बिलकुल बगल में पहुंचने में किस ने मदद की | अपन आगे चल कर पंजाब सरकार की मिलीभक्त के कुछ और सबूत भी देंगे | पर पहला सवाल यह है कि क्या सिख फार जस्टिस उन छह लोगों को वक्त पर हथियार उपलब्ध नहीं करवा सका , इस लिए दुर्घटना नहीं हो सकी | अगर उन छह लोगों के पास हथियार भी होते , तो क्या होता | जर्मनी से काम कर रहे खालिस्तानी आतंकवादी संगठन ने प्रधानमंत्री की हत्या का इरादा जाहिर कर दिय…
और पढ़ें →अजय सेतिया/ पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ क्या सिर्फ खिलवाड़ हुआ | बठिंडा से लौटते हुए प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन अति महत्वपूर्ण है कि वह ज़िंदा लौट रहे हैं | यह संदेश उन्होंने एयरपोर्ट पर अधिकारियों पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को भेजा | उन्होंने से कहा- “अपने मुख्यमंत्री को मेरा शुक्रिया कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा पहुंच सक |” मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी का कहना है कि उन की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था | अगर ऐसा होता तो पंजाबी अपने मेहमान को अपनी जान पर खेल कर बचाते | क्योंकि दुर्घटना नहीं हुई , इस लिए मुख्यमंत्री को यह कहने का हक है | पर मुख्यमंत्री ने खुद बताया है कि भाजपा वर्करों और भीड़ का रास्ता रोकने के लिए मंगलवार को किसान सडक पर धरना दे रहे थे | जिसे पंजाब सरकार के अधिकारियों ने रात को हटा दिया था | फिर सवाल पैदा होता है कि जब प्रधानमंत्री बुधवार को सुबह बठिंडा से सडक के रास्ते हुसैनीवाला के लिए चल पड़े थे , तो 20 ट्रेक्टरों पर भर कर किसान वहां दुबारा कैसे पहुंच गए | किस ने किसानों को जा कर बताया कि प्रधानमंत्री हेलीकाप्टर की बजाए सडक के…
और पढ़ें →अजय सेतिया / इधर यूपी, उत्तराखंड, पंजाब , गोवा और मणिपुर में चुनाव प्रचार पूरे शबाब पर है , उधर कोरोना की तीसरी लहर दहलीज पर है | अब सवाल खड़ा हो रहा है कि केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की लाख कोशिशों के बाद भी चुनाव हो पाएगा क्या | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग से चुनाव टालने का आग्रह किया था | अपन ने इसी कालम में 28 दिसंबर को लिखा था कि महामारी में चुनाव कहीं महंगे न पड़ें | पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने तभी यह बयान दिया था कि केंद्र सरकार कोरोना के बहाने चुनाव टलवाना चाहती है | अब उसी पंजाब में कोरोना के हालात भयंकर हो गए हैं | पटियाला के मेडिकल कालेज और इंजीनियरिंग कालेजों में 200 से ज्यादा अध्यापकों और छात्रों में कोरोना पोजिटिव पाया गया है | चुनावों की सब से बड़ी भयानकता के लक्ष्ण मंगलवार सुबह उस समय मिले जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से चुनाव प्रचार कर के लौटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कोरोना पोजिटिव पाए गए |
अपन को अब भी लगता है कि चुनाव टालने पड़ेंगे और पाँचों राज्यों में छह महीने के लिए राष्ट्रपति राज लगाना पड़ेगा | लेकिन अगर चुनाव हुए…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अपन ऐसा हिंदुत्व कतई नहीं चाहते , जिस में दुसरे धर्मों और उन के अनुयाईयों के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाए , जैसा वे दुसरे धर्मों के बारे में करते हैं | हाल ही में एक वीडियो देखा जिसमें एक मुस्लिम मौलवी 2024 से 2027 तक सारी मूर्तियाँ तोड़ देने और हिन्दू धर्म को खत्म कर देने की बात कह रहे थे | मूर्तियाँ तोड़ना और गैर मुस्लिमों की हत्या इस्लाम का मुख्य एजेंडा है | इस्लाम अगर सारी दुनिया के साथ सौहाद्रपूर्ण ढंग से रहना चाहता है तो उसे नफरत की इन आयतों को हटाना होगा | लेकिन अगर कोई मुस्लिम इन आयतों को मानवता विरोधी बताता है , तो जाहिल मौलवी हाथ धो कर उस के पीछे पड जाते हैं | उस का निकाह केंसिल कर के उस बीवी को ही उस के खिलाफ खड़ा कर देते हैं | वसीम रिजवी के साथ यही हुआ | उस की बीवी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर मौजूद है , जिस में वह अपने पूर्व पति के बारे में बदतमीजी वाली भाषा का इस्तेमाल कर रही है | कुछ मुसलमानों की ओर से नफरत फैलाने वाले यूट्यूब चेनलों पर यह वीडियो देखा जा सकता है |
दूसरी तरफ भारत में कुछ राजनीतिक शक्तियाँ उलटे हिंदुत्व को बदनाम करने की सा…
और पढ़ें →अजय सेतिया / चलिए नए अंगरेजी साल का स्वागत करते हैं | अगर यह नया साल भारतीय हिन्दू पद्धति का होता | तो पटाखों , फुलझड़ियों , आतिशबाजी का विरोध करने वालों के बयान अखबारों में छपे होते | हिन्दू विरोधी गैंग सुप्रीमकोर्ट भी पहुंचा होता | इस गैंग ने वाशिंगटन पोस्ट और न्यूयार्क टाईम्स में हिन्दू विरोधी लेख लिखे होते | फिर भारत में बताया जाता कि हिन्दू नवजागरण से दुनिया कितनी भयभीत है | पर ऐसा कुछ नहीं हुआ | क्योंकि नववर्ष हिन्दू नहीं है | जब अपन यह कालम लिख रहे थे , तो दुनिया के कई ईसाई देशों में गजब की आतिशबाजी शुरू हो चुकी थी | न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में नए साल का जश्न शुरू हो चुका था, जिस की तस्वीरें गूगल दिखा रहा था | भारत में भी दीपावली पर आतिशबाजी का विरोध करने वालों ने रात को खूब आतिशबाजी की होगी | यह गैंग जाना पहचाना है | इस गैंग को कभी जेएनयू गैंग के तौर पर जाना जाता है | कभी खान मार्केट गैंग के तौर पर | इस गैंग की खासियत यह है कि इस में सारे के सारे कम्युनिस्ट बैकग्राऊंड के पूर्व अधिकारी या सोशलाईट या एनजीओ वाले होते हैं | वे कोई मौक़ा नहीं छोड़ते |
नरेंद्र मोदी…
और पढ़ें →अजय सेतिया / हिन्दू विरोधी मीडिया और जाने पहचाने हिन्दू विरोधी पत्रकारों ने टिप्पणियाँ की हैं कि काली चरण महाराज ने रायपुर की धर्म संसद में महात्मा गांधी को गाली निकाली थी | इसलिए छतीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने उन के खिलाफ दो थानों में ऍफ़आईआर दर्ज करवाई | और छतीसगढ़ की पुलिस आधी रात को चोरी छिपे मध्यप्रदेश में घुस कर कालीचरण महाराज को गिरफ्तार कर ले गई | यह अभी तक सामने नहीं आया कि कालीचरण ने महात्मा गांधी को क्या गाली दी थी | सार्जनिक मंच पर कोई कैसे गाली निकाल सकता है , वह भी धर्म संसद में | खोजबीन की तो पता चला कि उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी ने देश का सत्यानाश किया | अब इस में गाली कहाँ है | ऐसा मानने वाले लाखों–करोड़ों हैं कि देश का बंटवारा महात्मा गांधी के कारण हुआ |
देश के हिन्दू कभी नहीं चाहते थे कि देश का बंटवारा हो , और भारत का एक भाग काट कर इस्लाम के नाम पर मुसलमानों को दे दिया जाए | क्या पाकिस्तान का निर्माण इस्लाम के नाम पर नहीं हुआ था | क्या यह सच नहीं है कि महात्मा गांधी ने खिलाफत आन्दोलन को समर्थन दे कर विभाजन की नींव रखी थी | क्या यह सच नहीं है कि खिल…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अपन 2008 से ही समय समय पर मालेगांव केस पर लिखते रहे हैं | 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधा बम फटा था | छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे | चूंकि यह मामला आतंक से जुड़ा हुआ था | इसलिए केस एटीएस को सौंप दिया गया | एफआईआर में यूएपीए और मकोका की धारा लगाई गई | 24 अक्टूबर को स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था | अशोक चह्वाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवराज पाटिल भारत के गृहमंत्री थे | दोनों जगह कांग्रेस सरकार और दोनों जगह महाराष्ट्र के कांग्रेसी | तो इस तरह आतंकवाद की एक घटना को हिन्दू आतंकवाद बनाने की साजिश रची गई | पहले हेमंत करकरे और बाद में परमवीर सिंह ने स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह पर अमानवीय अत्याचार किए |
मुस्लिमों को खुश करने के लिए भगवा आतंकवाद की पुरी तरह मनघडंत कहानी गढी गई | इस साजिश को बाद में पी.चिदंबरम ने आगे बढाया , जो शिवराज के बाद देश के गृहमंत्री बने | पहली अप्रेल 2011 को उन्हीं के आदेश से…
और पढ़ें →अजय सेतिया / कायदे से फरवरी-मार्च में पांच राज्यों में चुनाव होने हैं | पंजाब को छोड़ कर बाकी चार राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं | उधर कोरोना फिर से सिर उठा रहा है , ओमिक्रोन का खतरा अलग से है | पहले बिहार के और बाद में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनाव कोरोना के दौरान हुए थे | चुनाव न टालने पर चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री की भी आलोचना हुई थी | बंगाल और तमिलनाडू में चुनाव बाद कोरोना संक्रमन तेजी से फैला था | तमिलनाडू हाईकोर्ट ने भी कोरोना के चलते चुनाव करवाने पर सवाल उठाए थे | फिर महामारी की दूसरी लहर के कारण लोकसभा और विधानसभा के उपचुनावों को टाल दिया गया था | राज्यसभा और कुछ राज्यों की विधान परिषदों के चुनाव भी टाल दिए गए थे | अब जब तीसरी लहर की आशंकाए बढ़ गई हैं | तो यूपी की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले से आगाह किया है | आगाह ही नहीं किया , अलबत्ता चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री से चुनाव टालने की अपील की है | पर चुनाव टालने का मतलब होगा पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर पाँचों राज्यों में राष्ट्रपति राज | यानी पाँचों मुख्यमंत्रियों की छुट्टी | कोई अगर यह समझे…
और पढ़ें →अजय सेतिया / वैसे यह सही है कि चुनावों से पहले विपक्ष से जुड़े व्यापारियों पर छापेमारी राजनीतिक होती है | पर अगर गडबडी हो रही हो , तो छापेमारी क्या इस लिए नहीं की जानी चाहिए कि व्यापारी विपक्षी दल से जुड़ा है | मीडिया भी राजनीतिक दलों की तरह व्यवहार करने लगा है | भाजपा विरोधी मीडिया ने पहले बहुत हल्ला मचाया कि अखिलेश यादव से जुड़े लोगों पर राजनीतिक दबाव डालने के लिए छापेमारी की जा रही है | पर अब जब इत्र का धंधा करने वाले अखिलेश यादव के फाईनेंसर पीयूष जैन परिवार पर छापेमारी में 150 करोड़ रुपया नगद मिल गया तो उस के राजनीतिक संबंध को छुपा कर खबर दी जा रही है | असल में जीएसटी अधिकारियों ने पान मसाला कंपनी की फैक्टरी और गुटखा कारोबारी के ठिकाने पर भी छापेमारी की थी | वहीं से बिना जीएसटी चुकाए पीयूष जैन की कंपनी के फर्जी बिलों का भेद खुला |
पीयूष जैन के पास इतनी रकम कहां से आई? जैन कानपुर की एक पान मसाला कंपनी को इत्र की आपूर्ति करता है | इनका व्यापार क्या इतना बड़ा है? पीयूष जैन को यह साबित करने में मुश्किल तो होगी ही | यह मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनेग…
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