ओछी राजनीति या सुरक्षा में चूक

Publsihed: 05.Jan.2022, 20:00

अजय सेतिया/ पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा के साथ क्या सिर्फ खिलवाड़ हुआ | बठिंडा से लौटते हुए प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन अति महत्वपूर्ण है कि वह ज़िंदा लौट रहे हैं | यह संदेश उन्होंने एयरपोर्ट पर अधिकारियों पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को भेजा | उन्होंने से कहा- “अपने मुख्यमंत्री को मेरा शुक्रिया कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा पहुंच सक |” मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी का कहना है कि उन की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था | अगर ऐसा होता तो पंजाबी अपने मेहमान को अपनी जान पर खेल कर बचाते | क्योंकि दुर्घटना नहीं हुई , इस लिए मुख्यमंत्री को यह कहने का हक है | पर मुख्यमंत्री ने खुद बताया है कि भाजपा वर्करों और भीड़ का रास्ता रोकने के लिए मंगलवार को किसान सडक पर धरना दे रहे थे | जिसे पंजाब सरकार के अधिकारियों ने रात को हटा दिया था | फिर सवाल पैदा होता है कि जब प्रधानमंत्री बुधवार को सुबह बठिंडा से सडक के रास्ते हुसैनीवाला के लिए चल पड़े थे , तो 20 ट्रेक्टरों पर भर कर किसान वहां दुबारा कैसे पहुंच गए | किस ने किसानों को जा कर बताया कि प्रधानमंत्री हेलीकाप्टर की बजाए सडक के रास्ते से हुसैनीवाला आ रहे हैं | सडक मार्ग से पहुंचने की जानकारी तो पुरी तरह सीक्रेट थी ,पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के अलावा कोई नहीं जानता था कि मौसम खराब होने के कारण रूट बदला गया | इस में निश्चित रूप से राजनीति है | राजनीति इस लिए नजर आती है क्योंकि यूथ कांग्रेस ने ठीक उसी समय इस तरह के ट्विट किए , जिनमें प्रधानमंत्री का मजाक बनाया गया था |   

 

मुख्यमंत्री चन्नी कहते हैं कि किसान अचानक पहुंचे थे | प्रेस से बात करते समय यह भी कह गए कि पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने की इजाजत माँगी थी , लेकिन उन्होंने इजाजत नहीं दी | मुख्यमंत्री जवाबदेय हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री का काफिला पहुंचने से पहले गिरफ्तारियों की इजाजत क्यों नहीं दी | अभी तीन दिन पहले दिल्ली में डाक्टर अपनी मांगों को ले कर स्वास्थ्य मंत्री के घर की तरफ बढ़ रहे थे तो दिल्ली पुलिस ने दो हजार डाक्टरों को गिरफ्तार कर लिया था | यहाँ तो प्रधानमंत्री का मामला था | किसान भी मुठ्ठी भर थे | जब पीएम् का काफिला सडक पर मौजूद था , उस समय मुख्यमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का फोन तक नहीं उठाया | अब वह फेडरल सिस्टम की दुहाई दे रहे हैं | इसलिए इस घटना को सुरक्षा में चूक कह कर नजरंदाज नहीं जा सकता | भारत के इतिहास में पहले ऐसे कभी नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री को सुरक्षा कारणों से अपने रूट से वापस जाना पड़ा हो | नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी ऐसा कभी नहीं हुआ | जो आतंकवादी भी कभी नहीं कर सके , वह कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने कर दिखाया | इसलिए सुरक्षा में चूक कह कर घटना को हल्का कर के नहीं देखना चाहिए | प्रधानमंत्री ने ज़िंदा लौटने की बात यों ही नहीं कही , उन की कार के साथ दौड़ते हुए छह लोग उन के खिलाफ नारे लगा रहे थे | उन के हाथ में हथियार भी हो सकते थे या होंगे भी | पंजाब के डीजीपी ने रोड रूट को हरी झंडी दी थी , इस का मतलब था कि दो घंटे के सडक रास्ते में चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात की जानी चाहिए थी | डीजीपी ने सडक मार्ग से जाने की हरी झंडी दे दी थी , तो उन्हें तुरंत चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात करनी थी |

 

कांग्रेस के कुछ नेता भले ही प्रधानमंत्री के वापस लौटने जश्न मनाने और तबज कसने वाले ट्विट कर रहे हों | पर इस घटना से पंजाब और पंजाबिय की बदनामी ही हुई | प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड तक ने ट्विट कर के शर्मिन्दगी का इजहार किया है | उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ है उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता | यह घटना पंजाबियत के खिलाफ है | फिरोजपुर में भाजपा की रैली में जाने के लिए प्रधानमंत्री का रास्ता सुरक्षित किया जाना चाहिए था | कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा है कि अगर मुख्यमंत्री और गृहमंत्री पाकिस्तान सीमा से दस किलोमीटर दूर प्रधानमंत्री को सुरक्षित रास्ता नहीं दे सकते तो उन्हें पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं | उन्होंने दो टूक कहा कि कांग्रेस सरकार को क़ानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने के लिए बर्खास्त करने की मांग की है | लेकिन अपन जानते हैं कि मोदी सरकार ऐसा नहीं करेगी | जब बंगाल में चुनाव से पहले भाजपा के कार्यकर्ता मूली-गाजर की तरह काटे और सूली पर चढाए जा रहे थे , जब बंगाल के राज्यपाल का रास्ता रोका जा रहा था , तब मोदी सरकार ने सरकार भंग नहीं की , तो अब क्या करेंगे |

 

 

 

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