अजय सेतिया / अपन 2008 से ही समय समय पर मालेगांव केस पर लिखते रहे हैं | 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधा बम फटा था | छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे | चूंकि यह मामला आतंक से जुड़ा हुआ था | इसलिए केस एटीएस को सौंप दिया गया | एफआईआर में यूएपीए और मकोका की धारा लगाई गई | 24 अक्टूबर को स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था | अशोक चह्वाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवराज पाटिल भारत के गृहमंत्री थे | दोनों जगह कांग्रेस सरकार और दोनों जगह महाराष्ट्र के कांग्रेसी | तो इस तरह आतंकवाद की एक घटना को हिन्दू आतंकवाद बनाने की साजिश रची गई | पहले हेमंत करकरे और बाद में परमवीर सिंह ने स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित और साध्वी प्रज्ञा सिंह पर अमानवीय अत्याचार किए |
मुस्लिमों को खुश करने के लिए भगवा आतंकवाद की पुरी तरह मनघडंत कहानी गढी गई | इस साजिश को बाद में पी.चिदंबरम ने आगे बढाया , जो शिवराज के बाद देश के गृहमंत्री बने | पहली अप्रेल 2011 को उन्हीं के आदेश से यह मामला एनआईए के सुपुर्द किया गया | 2008 से ले कर 2014 तक हिन्दू आतंकवाद की मनघडंत कहानी से हिन्दुओं को बदनाम करना जारी रखा गया | इसी बीच हिन्दू भावनाओं को उभार हुआ , जिस ने सोनिया-मनमोहन-राहुल को उखाड़ फैंका | तब जा कर जांच सही दिशा में चलनी शुरू हुई | आखिर 13 मई 2016 अपनी चार्जशीट में एनआईए ने कबूल किया कि उसे प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धनसिंह चौधरी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले | कर्नल पुरोहित को फिर भी बरी नहीं किया गया था | लेकिन एनआईए ने साफ़ कहा था कि इस मामले में मकोका नहीं लग सकता | जिसके बाद कर्नल पुरोहित और प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत दूसरे आरोपियों को जमानत मिल गई | श्याम साहू, शिव नारायण कालसंग्रा और प्रवीण तकलकी को तो सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था | राकेश धावड़े और जगदीश म्हात्रे पर से कई धाराएं हटाईं | प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय रहिकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधीर द्विवेदी के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश का ट्रायल चल रहा है |
लेकिन सेना कर्नल पुरोहित को बेगुनाह मान कर दुबारा वर्दी पहना चुकी है | उधर अदालत में अब तक 220 गवाहों का बयान दर्ज हुआ है | पन्द्रह गवाह सोनिया-मनमोहन सरकार की हिन्दू आतंकवाद की पुरी झूठी कहानी का भंडा फोड़ कर चुके हैं | 28 दिसंबर को पेश हुए गवाह ने तो सोनिया-मनमोहन सरकार की धज्जियां उड़ा कर रख दी | उस ने अदालत में कहा कि एटीएस ने योगी आदित्य नाथ , इंद्रेश कुमार, असीमानंद, देवधर और काकाजी के नाम लेने को कहा था | ऐसा नहीं करने पर बहुत प्रताड़ित किया गया था | पुलिस स्टेशन में बैठाकर रखा जाता था | दबाव में आकर ही उसने कुछ लोगों के नाम लिए थे | कौन थे उस समय के एटीएस चीफ – हेमंत करकरे | अगर वह 26/11 में शहीद हो गए , तो क्या उन के पुराने गुनाह माफ़ कर दिए जाएं | अदालत में यह गवाही उस समय हुई है , जब योगी आदित्यनाथ अपने जीवन की सब से बड़ी राजनीतिक लड़ाई लड रहे हैं | और कांग्रेस के अघोषित अध्यक्ष राहुल गांधी हिन्दू और हिंदुत्व के आतंकवाद राग फिर से अलाप रहे हैं | सवाल यह है कि देश जब सब कुछ जान चुका है , तब भी राहुल गांधी का हिन्दू हिंदुत्व विरोधी स्टेंड क्या गांधी परिवार को बेनकाब नहीं कर रहा |
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