India Gate Se

Published: 10.Feb.2022, 22:45

अजय सेतिया / आज अगर कट्टरपंथी मुस्लिमों के दबाव में स्कूलों कालेजों में हिजाब की इजाजत दे दी गई , तो कल को केरल और तमिलनाडू के ब्राह्मण कहेंगे कि उन के बच्चों को लूंगी में स्कूल जाने की इजाजत होनी चाहिए | उतर भारत के ब्राह्मण कहेंगे कि उन के बच्चे धोती कुर्ता पहन कर स्कूल जाएंगे | देश भर के जैन परिवारों के बच्चे मुंह पर सफेद पट्टी लगा कर स्कूल जाने की जिद्द करेंगे | जैन भी दो तरह के हैं , श्वेतांबर और दिगंबर | भारत एक सेक्यूलर देश है , हालांकि सेक्यूलर शब्द भी बाद में जोड़ा गया , लेकिन इस्लामिक देश तो नहीं है | नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ जो लोग सेक्यूलरिज्म और बाबा साहेब आम्बेडकर को कंधों पर उठा कर घूम रहे थे , वे अब इस्लाम को संविधान से ऊपर बताने लगे हैं | बाबा साहेब आम्बेडकर तो बुर्का और हिजाब के खिलाफ थे | उन्होंने कहा था कि मुस्लिम बीसवीं सदी के मुताबिक़ आधुनिक होने को तैयार ही नहीं है , वे महिलाओं को पर्दे से बाहर नहीं आने देना चाहते |

केरल हाईकोर्ट 2018 में इसी तरह के एक मामले में फैसला कर चुकी है , जिस में एक प्राईवेट स्कूल में यूनिफार्म के अलग फुल स्लीव की…

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Published: 10.Feb.2022, 22:40

अजय सेतिया  / स्कूलों और कालेजों में यूनिफार्म इस लिए लागू होती है , ताकि सभी को समान होने का एहसास हो | लेकिन कर्नाटक में इस्लामिक जेहादियों ने समानता के चीथड़े उड़ाने शरू कर दिए हैं | जिस जिस स्कूल और कालेज में कट्टरपंथियों के दबाव में मुस्लिम लडकियाँ हिजाब पहन कर आने की जिद्द कर रही हैं , उस सभी स्कूलों और कालेजों की रूल बुक में ड्रेस कोड अनिवार्य है | 2021 तक सभी लडकियाँ कालेज ड्रेस कोड का पालन कर रहें थी | तीन साल पहले भी एक कालेज में कुछ लडकियों ने हिजाब पहनने की जिद्द की थी | जिस पर बाद में आम सहमती हो गई थी कि कोई भी मजहबी पहचान वाले कपड़े पहन कर नहीं आएगा | संविधान में धार्मिक आज़ादी का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी मजहबी पहचान दिखाने के लिए सरकारी , गैर सरकारी संस्थानों के नियम कायदों का उलंघन करें | संविधान ने तो मुस्लिमों को शिक्षण संस्थान खोलने की इजाजत भी दी है , अगर उन्हें इस्लामिक पहनावा पहनना जरूरी है , तो वे मदरसों में पढ़ें , सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों कालेजों में पढना है , तो अपनी मजहबी पहचान अपने घर छोड़ कर आनी चाहिए | धार्मिक आज़ादी का मतलब आप अपने ढंग से…

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Published: 04.Feb.2022, 07:52

अजय सेतिया / कांग्रेस के अंदरुनी लोकतंत्र की बिल्ली थैले से बाहर आ गई है | राहुल गांधी ने जालन्धर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री का चेहरा पार्टी वर्करों से पूछ कर तय होगा | हालांकि जब चन्नी को दो सीटों पर उम्मीन्द्वार बना दिया | तो साफ़ है कि वही चेहरा होंगे | आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान का नाम तय करने से पहले इसी तरह का नाटक किया था | कांग्रेस हाईकमान अब फोन काल के जरिए लोगों से पूछ रहा है कि चरनजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया जाए या नवजोत सिंह सिद्धू को | चन्नी चाहते हो , तो एक दबाएँ , सिद्धू चाहते हो तो दो दबाएँ | तीसरा कोई नाम सामने नहीं है | यह बात सामने आते ही कांग्रेस के अंदरुनी लोकतंत्र की पोल खुल गई | चार महीने पहले जब अमरेन्द्र सिंह ने इस्तीफ़ा  दिया था तो कांग्रेस हाईकमान ने विधायकों से पूछा था कि किसे मुख्यमंत्री बनाएं | हालांकि विधायकों ने एक लाईन का प्रस्ताव पास कर दिया था कि हाईकमान तय करे | पर दिल्ली से संदेश गया कि विधायकों की राय ली जाए | तब हाईकमान की तरफ से कोई चेहरा सामने नहीं था | दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक ने विधायकों से…

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Published: 02.Feb.2022, 20:14

अजय सेतिया / कुछ दिन पहले जब स्वामी प्रसाद मौर्य , दारा सिंह चौहान और धर्मपाल सिंह सैनी के बम फूटे थे | तो लोग कहने लगे थे कि ओबीसी भाजपा से खफा हो चुके है , अब भाजपा की हार तय है | पर अब स्वामी प्रसाद मौर्य खुद की सीट बचाने के लिए मारे मारे फिर रहे हैं | जैसे ही कांग्रेस के नेता आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य नई सीट ढूँढने लगे | तीन बार से पडरोना से जीत रहे स्वामी प्रसाद कुशीनगर जिले की फाजिल नगर सीट पर भाग गए हैं | हालांकि उनके लिए यह लड़ाई भी आसान नहीं होगी | इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है | स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं कि वह किसी से डरते नहीं हैं | वह तो अखिलेश यादव के कहने पर फ़ाज़िलनगर से लद रहे हैं | इज्जत गई , पर अकड नहीं गई वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए वह कहते हैं –“आरपीएन सिंह मेरे सामने कुछ भी नहीं हैं | पडरौना से सपा जिसे टिकट देगी,वह आरपीएन सिंह को  हरा देगा |” पर पड़रोना आरपीएन सिंह का घर है | वह पडरौना सीट से 1996, 2002 और 2007 में विधायक रहे हैं | यहां 'राजा साहब' के नाम से पुकारे जाने वाले आरपीएन कुर्मी-सैंथवार जाति से आते…

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Published: 24.Jan.2022, 19:00

अजय सेतिया  / पंजाब में भाजपा के लिए नया दरवाजा खुला है | वह जिस गठबंधन के साथ चुनाव लड  रही है , उस में बड़े भाई की भूमिका में है | पंजाब की भाजपा को यह मौक़ा पहली बार मिला है | वरना पहले जन संघ के रूप में और बाद में भाजपा के रूप में 50 साल से अकाली दल के साथ छोटे भाई की भूमिका में थी | अकाली दल और भाजपा के बीच 94-23 का स्थाई समझौता था | यह समझौता कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए हिन्दू-सिख एकता के आधार पर हुआ था | हालांकि पंजाब में 58.08 प्रतिशत सिख और 37.92 प्रतिशत हिन्दू हैं | इस आधार पर भाजपा का 42 सीटें मिलनी चाहिए थीं | पंजाब प्रदेश भाजपा ने कई बार सीटों पर फिर से बात करने की कोशिश भी की | लेकिन अरुण जेटली ने हमेशा भाजपा के नेताओं को ही चुप करवा दिया | 2017 के चुनावों से पहले तो पंजाब प्रदेश भाजपा गठबंधन तोड़ कर सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी | पर आलाकमान नहीं माना | खैर अब जब अकाली दल कृषि कानूनों के खिलाफ खुद गठबंधन छोड़ गया तो भाजपा के लिए नए विकल्प खुले हैं | अमरेन्द्र सिंह और सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी से नया गठबंधन बना है | जिस में भाजपा 65 , ढींढ…

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Published: 21.Jan.2022, 17:53

अजय सेतिया / इंडिया गेट के मेहराब के नीचे, जहां शहीदों की याद में ज्योति प्रज्वलित है – उस के ठीक पूर्व में एक खाली कोनोपी यानि छतरी है | आज़ादी से पहले इसमें इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम  प्रतिमा लगाई गई थी | साठ के दशक में एक मुहिम चली कि ब्रिटिश मेमोरिय्ल्स को हटाया जाए , इस मुहिम के तहत इस छतरी में लगी जार्ज पंचम की प्रतिमा को हटा दिया गया | उस समय एक मुहिम यह भी चली थी कि जार्ज पंचम की जगह पर महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाई जाए | मुहिम का एक पहलू यह भी था कि छतरी को हटा कर वहां गांधी की विशालकाय प्रतिमा लगाई जाए , दूसरी मुहिम यह थी कि इसी छतरी के अंदर गांधी की प्रतिमा स्थापित की जाए | खैर प्रतिमा बनाई गई , वह बहुत बड़ी थी , अगर उसे छतरी की जगह पर ही लगाया जाता , तो छतरी को हटाना ही पड़ता | लेकिन तभी कांग्रेस के ही एक नेता ने मुहिम चला दी कि छतरी को हटा कर वहां सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए , न कि गांधी की | कांग्रेस सरकार बड़ी दुविधा में फंस गई क्योंकि उस समय तक सुभाष चन्द्र बोस को ले कर अनेक तथ्य अखबारों में छपने शुरू हो गए थे , जिन में कुछ तथ्य नेहरू औ…

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Published: 18.Jan.2022, 19:51

अजय सेतिया / जब हम उतर प्रदेश के चुनावी समर की बात करते हैं , तो हमें पश्चिम बंगाल के चुनाव की याद आती है | चुनाव से ठीक पहले वहां बड़े पैमाने पर दलबदल हुआ था , तृणमूल कांग्रेस के कई मंत्री सांसद विधायक भाजपा में शामिल हुए थे | हवा ऐसी बनी थी कि भाजपा स्पष्ट बहुमत ले कर आएगी | लेकिन हुआ क्या | भाजपा 294 सीटों के सदन में सौ का आंकडा पार नहीं कर पाई , 77 पर अटक गई , जो सदन का एक चौथाई ही बनता है | अब वैसी ही हवा उतर प्रदेश में भाजपा से बड़े पैमाने पर दलबदल करवा कर सपा के पक्ष में बन रही है | इस का मतलब यह नहीं है कि सपा को फायदा नहीं होगा , पर उतना ही होगा , जितना भाजपा को बंगाल में हुआ था | भाजपा वहां तीन सीटों से 77 पर पहुंच गई , तो सपा भी 47 से बढ़ कर ज्यादा से ज्यादा 100 हो जाएगी | सपा ने पिछ्ला चुनाव कांग्रेस के साथ मिल कर लडा था , प्रशांत किशोर चुनाव के रणनीतिकार थे , सपा को 47 और कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं थी | सपा को 21.7 प्रतिशत वोट मिला और कांग्रेस को 6.25 प्रतिशत | जबकि अकेले चुनाव लड़ने वाली बसपा को सपा से ज्यादा 22. 23 प्रतिशत मिला था , हालांकि सीटें सिर्फ 19 मिली थीं | जबक…

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Published: 14.Jan.2022, 08:15

अजय सेतिया / योगी सरकार से इस्तीफों का दौर तीसरे दिन भी जारी रहा | तीसरे दिन तीसरे मंत्री धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफा दिया | स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान पहले इस्तीफा दे चुके थे | इन के साथ सात विधायक भी भाजपा छोड़ चुके हैं | इन सभी इस्तीफों की ख़ास बात यह है कि सभी ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं | तीनों मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफों की एक बात सामान्य है कि सभी के इस्तीफों की भाषा एक ही है | तीसरी बात यह सामान्य है कि तीनों मंत्रियों ने इस्तीफे के बाद अखिलेश यादव के साथ खड़े हुए एक जैसी फोटो खिंचवाई है | इस से साफ़ दिखाई देता है कि ये सभी तस्वीरें कुछ दिन पहले तीनों ने इक्कठे जा कर एक एक कर खिंचवाई थी | इस बात का सबूत यह है कि तीनों मंत्रियों के इस्तीफों के तुरंत बाद और अखिलेश यादव के साथ मुलाकातों से पहले ही तस्वीरें जारी कर दी गईं | योगी सरकार का सूचना तन्त्र इतना कमजोर था कि उसे इन मुलाकातों की भनक तक नहीं लगी | जबकि मुम्बई में बैठे शरद पवार तक को पता था कि लखनऊ में क्या खिचडी पक रही है | उन्होंने दो दिन पहले ही कह दिया था कि तीस विधायक इस्ती…

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Published: 12.Jan.2022, 21:59

अजय सेतिया / मुम्बई और दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर चल रही है तो यूपी , पंजाब और गोवा में दलबदल की लहर चल रही है | पंजाब में अकाली दल साफ़ हो रहा है , उस के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं और कई ओर शामिल होने वाले हैं | अगर वे भाजपा में टिके रहते हैं , तो भाजपा को एक फायदा यह होगा कि उसे अच्छे खासे सिख नेता मिल जाएंगे | भाजपा पंजाब में इस लिए पाँव नहीं जमा पाई क्योंकि सिख भाजपा में शामिल नहीं हुए | भाजपा हिन्दुओं की पार्टी बन कर रह गई , जिन की संख्या पंजाबी सूबा बनने के बाद बहुत घट चुकी है | हिन्दू भी भाजपा की बजाए कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा करते हैं क्योंकि भाजपा तो अकालियों की गौद में जा बैठी थी | नतीजतन भाजपा न हिन्दुओं की पार्टी बन सकी , न सिखों की |

भाजपा अगर अकाली दल से गठबंधन तोड़ कर अकेले लडती और धीरे धीरे अपनी ताकत बढाती , तो बड़ी पार्टी बन सकती थी | आप सोचिए 2017 में जब भाजपा सारे देश में जीत रही थी , पंजाब में उस का सिर्फ एक विधायक जीत सका , जबकि केंद्र में भाजपा कुछ नहीं थी , तब भी एक बार भाजपा के 20 विधायक जीत गए थे | अगर भाजपा 2017 में अकेले लडती , तो अक…

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Published: 11.Jan.2022, 21:10

अजय सेतिया / गोवा में भाजपा सरकार का मंत्री माइकल लोबो चुनाव का एलान होने के बाद पार्टी छोड़ गया | तो उत्‍तरप्रदेश के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा छोड़ गए | माइकल लोबो पूरे पांच साल भाजपा सरकार में मंत्री रहे और आखिर में भाजपा को दगा दे गए | मौर्य चुनावों से पहले पार्टी छोड़ने के आदि हो गए हैं | पिछले चुनावों से पहले उन्होंने बसपा छोड़ कर भाजपा ज्वाईन की थी | अब भाजपा छोड़ कर सपा | चुनावों से पहले दलबदल अनैतिक राजनीति की पराकाष्ट है | कोई मंत्री अपनी ही पार्टी से कैसे खफा हो सकता है , अगर खफा था तो चुनावों की घोषणा का इन्तजार क्यों कर रहा था | आख़िरी समय तक पद पर चिपके रहना राजनीति का सब से घटिया स्तर है | स्वामी प्रसाद के समर्थन में चार विधायकों बृजेश प्रजापति, भगवती प्रसाद सागर और रोशन लाल वर्मा ने भी भाजपा का साथ छोड़ दिया है | स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा ने क्या नहीं दिया | उन्हें पांच साल मंत्री बनाए रखा और उन की बेटी संघमित्रा गौतम को बदाऊँ से लोकसभा का टिकट दे कर संसद में पहुंचा दिया | अब बेटी की बात चली है तो बताते जाएं कि बिधुनी से भाजपा विधायक विनय शाक्य के भी भाज…

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