अजय सेतिया / यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के मुद्दे पर हमलावर रूख अपनाने के बाद राहुल गांधी ने अपना स्टेंड बदल लिया है | सरकार ने विपक्ष को लाईन पर लाने के लिए नया तरीका अपनाया | उस ने विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक बुला ली , जिस के अध्यक्ष विदेश मंत्री होते हैं | विदेश मंत्री जय शंकर विदेश मामों के पुराने खिलाड़ी हैं | संसद के बजट सत्र में जब राहुल गांधी के पाक-चीन के नजदीक आने का ठीकरा मोदी की कूटनीति पर फोड़ा था तो जय संकर ने बड़े सलीके से उन का मुहं बंद किया था | राहुल गांधी विदेश मामलों की सलाहाकार कमेटी के मेम्बर हैं | यूक्रेन के मुद्दे पर सरकार की आलोचना करने के बाद अगर वह बैठक में नहीन आते वह खुद कटघरे में खड़े हो जाते | इस लिए वह कांग्रेस के बाकी सदस्यों आनन्द शर्मा और शशि थरूर के साथ खुद मौजूद थे | हालांकि राहुल गांधी ने बैठक में फिर वही चीन और पाकिस्तान की निकटता का मुद्दा उठाया , लेकिन उस के साथ रूस भी जोड़ दिया | उन्होंने कहा कि हाल ही में रूस, चीन और पाकिस्तान नजदीक आए हैं , जो भारत के लिए चिंता का विषय है | लेकिन अपनी बात पर जोर नहीं देते हुए राहुल गांध…
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अजय सेतिया / आप यूक्रेन की जंग को टीवी पर लाईव देख रहे हो , लेकिन क्या आप जानते हो कि यूक्रेन की इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार है | यूक्रेन की इस हालत के लिए जिम्मेदार है अमेरिकन राष्ट्रपति जो बिडेन और नाटो गठबंधन | इन दोनों की रूस को दी गई गीदड़ भभकियों ने जंग करवा दी | जो बिडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ वही किया , जो उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ सात महीने पहले किया था | पहले दोनों को सातवें आसमान पर चढा दिया और बाद में कहा भाग जाओ | लेकिन जेलेंस्की अशरफ गनी की तरह मैदान छोड़ कर भागे नहीं | अगर वह भाग गए होते तो जैसे अफगानिस्तान पर 24 घंटे से भी कम समय में तालिबान का कब्जा हो गया था , वैसे ही रूस का यूक्रेन पर 24 घंटे में कब्जा हो जाता |
यह तो युद्ध के अगले दिन ही पता चल गया था कि नाटो फौजें यूक्रेन की मदद के लिए आगे नहीं आएंगी | लेकिन युद्ध के छटे दिन जो बिडेन , ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और नाटो महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने साफ़ साफ़ कह दिया कि यूक्रेन को अपने आप निपटना होगा | नाटो ने एक तरह से रूस के आगे हथियार डाल दिए हैं…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अखिलेश यादव पूरी तरह आश्वस्त हैं कि यूपी का जनादेश उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाएगा | उतने ही आशान्वित योगी आदित्यानाथ और भारतीय जनता पार्टी है | लेकिन सच यह है कि भारतीय जनता पार्टी को पहले, दूसरे और तीसरे दौर के चुनाव में अच्छा खासा डेमेज हुआ है | उस की भरपाई बाद के चार दौरों में नहीं हो सकती | इस चुनाव की खासियत यह रही कि मुस्लिम वोटों का अखिलेश यादव के पक्ष में एकतरफा ध्रुविकरण हुआ , लेकिन हिन्दू वोटों का जैसा ध्रुवीकरण 2017 में था , वैसा नहीं हो पाया | भाजपा को दूसरा नुक्सान यह हुआ कि उसके गैर यादव पिछड़ों के वोट बैंक में भी अखिलेश यादव ने सेंध लगाई | तीसरा नुक्सान यह हुआ कि 2017 में जो जाट वोट एकतरफा उस के साथ था , उसमें भी किसान आन्दोलन के कारण अखिलेश यादव की सेंध लगी | चौथा सब से बड़ा नुक्सान यह हुआ कि अखिलेश यादव लगभग दो-तिहाई सीटों पर आमने सामने का मुकाबला बनाने में कामयाब रहे | यह हैरानी है कि हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए भाजपा रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण को उस तरह नहीं भुना पाई , जैसे वह पहले भुनाया करती थी |
इस सब…
और पढ़ें →अजय सेतिया / शरद पवार के अत्यंत करीबी और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं | नवाब मलिक ने 1993 के बम धमाकों के आरोपी मोहम्मद तौकीर की करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव खरीदी थी | मोहम्मद तौकीर टाडा में जेल में बंद था , टाडा के आरोपियों की जमीन सरकार अपने कब्जे में ले लेती है | लेकिन बड़ा सवाल यह है कि राज्य सरकार ने टाडा में बंद मोहम्मद तौकीर की जमीन कब्जे में क्यों नहीं ली थी | उस के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार थे , उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई | जब खरीद फरोख्त हो रही थी , केन्द्रीयएजेंसियों और उस समय की राज्य सरकार ने तब क्यों कार्रवाई नहीं की |
लेकिन अब जो अहम सवाल विचारणीय है , वह यह है कि गिरफ्तारी के बाद भी सवैधानिक पद पर बने रहना क्या भारतीय संविधान की सब से बड़ी कमजोरी साबित नहीं हो रहा | संविधान में राष्ट्रपति और राज्यपाल दो ऐसे संवैधानिक पद हैं जिन पर आसीन व्यक्ति को सिविल या आपराधिक मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता |…
और पढ़ें →अजय सेतिया / यूक्रेन की मौजूदा स्थिति को आप यहाँ से सोचना शुरू करिए कि 1947 में भारत एक विशाल देश था | उस समय सोवियत संघ भी एक विशाल देश था | हालांकि भारत में ब्रिटिश राज से पहले अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग राजाओं का शासन था | लेकिन भारत सदियों से एक सांस्कृतिक देश रहा था | ब्रिटिश राज के खिलाफ सारे देश ने एकजुट हो कर आज़ादी की जंग लडी और 15 अगस्त 1947 को दो अलग देशों के रूप में मान्यता पा ली | उधर 1917 में साम्यावादी क्रांतिकारियों ने रूस के जार सम्राट आलेक्सान्द्र करेंस्की का तख्ता पलट कर विजय हासिल कर ली | तभी गृह युद्ध शुरू हो गया , क्योंकि कई राज्यों ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था | खैर गृह युद्ध बोल्शेविकों की लालसेना विजयी रही और 1922 में सब को मिला कर सोवियत संघ नाम से नया देश बना लिया गया | लेकिन कम्युनिस्टों की तानाशाही के कारण 1991 आते आते यह प्रयोग विफल हो गया | सोवियत संघ टूट गया और उस का हिस्सा बने सभी 15 देश स्वतंत्र हो गए | बाकी बचा देश फिर से रूस बन गया |
इधर अब भारत को देखिए | 1947 में अंग्रेज क्रांतिकारियों से डर कर भारत के दो ट…
और पढ़ें →अजय सेतिया / यूपी की 113 सीटों पर चुनाव हो चुका , जिस में भाजपा को 40 से 50 सीटों के नुक्सान का आकलन बन रहा है | तीसरा दौर भी भाजपा के लिए आसान नहीं | तीसरे दौर की 59 सीटें तीन क्षेत्रों में बिखरी हैं | पश्चिमी यूपी की 19 सीटें , अवध रीजन की 27 सीटें और बुंदेलखंड की 13 की सीटें | इन तीनों क्षेत्रों में ओबीसी वोटर सब से ज्यादा मायने रखते हैं , लेकिन ओबीसी में भी यादव ज्यादा हैं | अगर पहले दो दौर के क्षेत्र को जाट लैंड कहा जाता है, तो इस तीसरे दौर के क्षेत्र को यादव लैंड कहा जाता है | पहले दो दौर की 113 सीटों पर जाट और मुस्लिम मायने रखते हैं | तो तीसरे दौर की 59 सीटों पर ओबीसी और दलित मायने रखते हैं | दलितों की सभी 59 सीटों पर मौजूदगी है, लेकिन 32 सीटों पर मायने रखते हैं | यादवों की 55 सीटों पर मौजूदगी है, लेकिन 24 सीटों पर ज्यादा मायने रखते हैं | ब्राह्मण 13 सीटों पर, मुस्लिम 11 सीटों पर , ठाकुर भी सात सीटों पर मायने रखते हैं , लेकिन पिछली बार भाजपा ने सारे जातीय समीकरण तोड़ कर 59 में से 49 सीटें जीत ली थीं | जबकि यादवों के प्रभाव वाली 24 सीटों में से सपा सिर्फ आठ…
और पढ़ें →अजय सेतिया / हिन्दू होने के कारण सुनील जाखड को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज पंजाब में कांग्रेस के हिन्दू नेताओं का कांग्रेस छोड़ना शुरू हो गया है | पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने कांग्रेस से अपना 46 साल का रिश्ता तोड़ते हुए सोनिया गांधी को पार्टी से इस्तीफा भेज दिया | सुनील जाखड को कांग्रस के 78 विधायकों में से 42 का समर्थ था , लेकिन सोनिया –राहुल ने चरनजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया , जबकि उसे सिर्फ 2 विधायकों का समर्थन था | उधर पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड ने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का एलान किया है | क्योंकि पहले सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया और बाद में बहुमत विधायकों का समर्थन होने बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया |
पंजाब की कांग्रेस चुनावों के दौरान ही बिखराव के मुहाने पर आ कर खडी हो गई है | मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट नहीं किए जाने से खफा नवजोत सिंह सिद्धू ने अब खुद को अपने निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित कर लिया है | सिद्धू ने…
और पढ़ें →अजय सेतिया / इसे कहते हैं , खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना | तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के गुजारा भत्ते को लेकर जो गलती कांग्रेस ने 1986 में की थी , अब वही गलती समाजवादी पार्टी ने कर दी है | कांग्रेस ने गुजारे भत्ते पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को क़ानून बना कर बदल दिया था | कांग्रेस के पास उस समय प्रचंड बहुमत थी , उस के बाद वह कभी भी लोकसभा में बहुमत नहीं पा सकी | अब समाजवादी पार्टी की नेत्री रुबीना खानम ने धमकी दी है, जो मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पर हाथ डालने वालों के हाथ काट देंगे | यह धमकी सीधे सीधे कर्नाटक हाईकोर्ट के उन जजों को है , जिन्होंने स्कूलों कालेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगाने का अभी अंतरिम फैसला दिया , सुनवाई के बाद अंतिम फैसला देना अभी बाकी है|
सपा नेत्री की इस धमकी ने हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण का वह काम कर दिया , जो योगी आदित्य नाथ नहीं कर पा रहे थे | अखिलेश यादव ने पश्चिमी उतर प्रदेश में बढत बनाने के लिए जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के साथ गठबंधन किया था | इस गठबंधन का मकसद यह था कि भाजपा हिन्दू वोटों का ध्रुविकरण न कर सके और जाट-मुस्लिम मिल कर भाजप…
और पढ़ें →अजय सेतिया / लखनऊ की सत्ता में जब-जब परिवर्तन हुआ, आवाज पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आई | वेस्ट यूपी से आई आवाज राजनीतिक दशा और दिशा को तय कर देता है । किसान आंदोलन के बाद से पश्चिमी यूपी को बैटलफील्ड के रूप में देखा जा रहा है । माना जा रहा था कि पहले और दूसरे फेज में भाजपा को कम से कम 40 सीटों का नुक्सान होगा , पिछली बार 113 सीटों में से भाजपा को 91 सीटें मिलीं थी , तो इस बार 51 तक बताई जा रही थी | लेकिन, क्या इस बार की वोटिंग में ऐसा कोई संकेत दिखा है ? आंकड़ों पर गौर करेंगे तो ऐसा कोई बड़ा अंतर पड़ता नहीं दिख रहा है । पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें , तो पाएंगे कि हर बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है । इन बढ़ते वोट प्रतिशत का असर सत्ता में परिवर्तन के रूप में भी सामने आया है । लेकिन इस बार वेस्टर्न यूपी में यह ट्रेंड नीचे जाता दिख रहा है । अपन 2007 से शुरू करते हैं , पहले फेज की 58 सीटों पर 48 प्रतिशत वोटिंग हुई थी , 2012 में बढ़ कर 61 प्रतिशत हो गई , 2017 में 64 प्रतिशत | वोट प्रतिशत बढ़ता गया और सत्ता परिवर्तन होता गया | लेकिन इस बार दो…
और पढ़ें →अजय सेतिया / शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई का भारत के हिजाब आन्दोलन में कूदना आन्दोलन के पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिश की ओर इशारा करती है | वह इस लिए क्योंकि पिछले तीन सालों से अचानक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हस्तियाँ भारत के विभिन्न आंदोलनों का समर्थन कर रही हैं | 370 हटाए जाने के मुद्दे पर , नागरिकता संशोधन क़ानून बनाए जाने के मुद्दे पर , कृषि कानूनों के मुद्दे पर ., और अब यूनिफार्म बनाम हिजाब के मुद्दे पर | कृषि कानूनों के खिलाफ पॉप स्टार रिहाना,पोर्न स्टार मियाँ खलीफा , पर्यावरण स्टार ग्रेटा थनबर्ग और अब हिजाब के मुद्दे पर मलाला युसूफ | यह टूलकिट से टूल बनने का सफर है | तो सवाल उठना स्वाभाविक है कि इन हस्तियों की भारत में इतनी दिलचस्पी का कारण क्या है | इस के पीछे की अंतर्राष्ट्रीय साजिश यह है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय जगत में सम्मानजनक जगह बना रहा है , जो सभी शक्तिशाली देशों को हजम नहीं हो रहा | भारत में काम कर रहे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने इन सभी मुद्दों को अतंर्राष्ट्रीय मीडिया में भारत की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया | जबकि भारतीय मीडिया के एक वर…
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