हिजाब ने बिगाड़ दिया अखिलेश का खेला

Publsihed: 11.Feb.2022, 23:57

अजय सेतिया / लखनऊ की सत्ता में जब-जब परिवर्तन हुआ, आवाज पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आई |  वेस्ट यूपी से आई आवाज राजनीतिक दशा और दिशा को तय कर देता है । किसान आंदोलन के बाद से पश्चिमी यूपी को बैटलफील्ड के रूप में देखा जा रहा है । माना जा रहा था कि पहले और दूसरे फेज में भाजपा को कम से कम 40 सीटों का नुक्सान होगा , पिछली बार 113 सीटों में से भाजपा को  91 सीटें मिलीं थी , तो इस बार 51 तक बताई जा रही थी | लेकिन, क्या इस बार की वोटिंग में ऐसा कोई संकेत दिखा है ? आंकड़ों पर गौर करेंगे तो ऐसा कोई बड़ा अंतर पड़ता नहीं दिख रहा है । पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़ों को देखें , तो पाएंगे कि हर बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है । इन बढ़ते वोट प्रतिशत का असर सत्ता में परिवर्तन के रूप में भी सामने आया है । लेकिन इस बार वेस्टर्न यूपी में यह ट्रेंड नीचे जाता दिख रहा है । अपन 2007 से शुरू करते हैं , पहले फेज की 58 सीटों पर 48 प्रतिशत वोटिंग हुई थी , 2012 में बढ़ कर 61 प्रतिशत हो गई ,  2017 में 64 प्रतिशत | वोट प्रतिशत बढ़ता गया और सत्ता परिवर्तन होता गया | लेकिन इस बार दो प्रतिशत घट कर 62 प्रतिशत वोटिंग हुई है | 

पश्चिमी उतर प्रदेश में बड़े उल्ट फेर की उम्मींद इस लिए मानी जा रही थी , क्योंकि किसान आन्दोलन के कारण जाट भाजपा के खिलाफ बताए जा रहे थे | इस इलाके के अब तक के सब से बड़ी जाट नेता रहे चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव के साथ समझौता किया है , इसलिए जाटों का रूख समाजवादी पार्टी की तरफ बताया जा रहा है | जबकि पिछली बार भाजपा की छप्पर फाड़ जीत का कारण जाटों का एक तरफा भाजपा को वोट करना था | दुसरी तरफ मुस्लिम अखिलेश यादव और मायावती में बंटे हुए थे | इस बार मुस्लिम भाजपा को हराने के लिए एक तरफा सपा के साथ आकर खड़ा दिखाई दे रहा था | इसलिए माना यह जा रहा था कि मुस्लिम जाट गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ेगा | लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसा हुआ , और अगर हुआ , तो दूसरे फेज में क्या होगा | नहीं , जो अखिलेश यादव सोच रहे थे , वैसा नहीं हुआ | मुस्लिम वोटों में भले ही 2017 जैसा बिखराव नहीं हुआ , लेकिन बिखराव हुआ है | बसपा और असुदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को भी मुस्लिम वोट मिले हैं | 

अब एक बात और कही जा रही है कि वोट प्रतिशत हिन्दुओं के कारण कम हुआ है | मुस्लिम वोट प्रतिशत ज्यादा हुआ है , जबकि हिन्दू वोटर बाहर नहीं निकला , इस लिए दो प्रतिशत वोट घट गया | अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित ही भाजपा को बड़ा नुक्सान होगा | लेकिन वोटिंग से दो दिन पहले कर्नाटक में शरू हुए हिजाब विवाद ने इस समीकरण पर असर डाला होगा , तो कोई इस बात को दावे से नहीं कह सकता कि जिन सीटों पर गठबंधन के हिन्दू उम्मीन्द्वार थे , वहां मुसलमानों ने गठबंधन को वोट डाला होगा | हिजाब विवाद ने अंतिम समय पर ध्रुवीकरण में काफी मदद की | चुनाव आयोग की पाबंदियों के कारण नरेंद्र मोदी पहले चरण में रैलियाँ नहीं कर पाए , लेकिन जब वह 10 फरवरी को सहारनपुर की रैली में पहलेफेज वाले इलाकों में न आ पाने के लिए जनता से माफी मांग रहे थे उससमय 50 किलोमीटर दूर शामली में वोट डाले जा रहे थे | मोदी ने हिजाब के बहाने तीन तलाक को याद करवा कर एक तीर से दो निशाने साधे | एक तरफ तो उन्होंने हिन्दुओं को सतर्क किया तो दूसरी ओर मुस्लिम महिलाओं को याद दिलाया कि तीन तलाक क़ानून के कारण ही मुस्लिम कट्टरपंथी बालिकाओं को भडका रहे हैं | 

 

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