India Gate Se

Published: 27.Aug.2020, 19:47

अजय सेतिया / जेईई मेन यानी ज्वाईंट एंट्रेंस एग्जाम और नीट यानी नेशनल इलिजिबिलिती एंट्रेंस एग्जाम पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद राजनीति तेज हो गई है | ये परीक्षाएं शायद पहली बार राजनीतिक दलों में घमासान का कारण बनी हैं | क्योंकि सरकार छात्रों का एक साल बर्बाद नहीं करना चाहती , इस लिए वह परीक्षाएं करवाना चाहती है | कोरोनावायरस की बीमारी के कारण पहले भी दो बार परीक्षाएं स्थगित हुई, मामला सुप्रीमकोर्ट में गया तो कोर्ट का भी यही कहना था कि छात्रों का एक साल बर्बाद नहीं होना चाहिए | लेकिन सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद सोनिया गांधी ने परीक्षाएं स्थगित करवाने का बीड़ा उठाया है | कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हुई आपसी छीछालेदर से मीडिया का ध्यान हटाने और विपक्ष को युवाओं में चर्चा में लाने के इरादे से सोनिया गांधी ने इस मुद्दे को राजनीतिक हथियार बना लिया है | वह विपक्ष में सहमती बनवा रही हैं कि मोदी नहीं मानते तो सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाई जाए |

पता नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में क्या सोचते हैं , हो सकता है कि वह अपने मन की बात कहें , लेकिन सोनिया गा…

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Published: 26.Aug.2020, 21:01

अजय सेतिया / कम्युनिस्टों का लबादा पूरी तरह से उतर रहा है | पांच साल पहले खुद को बुद्धिजीवी बता कर और मोदी सरकार को असहिष्णु बता कर अवार्ड वापसी करने वाले अब खुद असहिष्णु साबित हो रहे हैं | यह तो सब को मालूम ही है कि नागरिकता संशोधन क़ानून को मुस्लिम विरोधी क़ानून बता कर प्रचारित करने और मुसलमानों को भडका कर उन से हिंसा करवाने के पीछे वामपंथियों का हाथ था | वामपंथी विचारधारा के यूनिवर्सिटी स्तर के लेक्चरार , अंगरेजी अखबारों के पढ़े लिखे सम्पादक , टीवी चेनलों के एंकर और कला के नाम पर नफरत की राजनीति करने वाले नसीरुद्दीन शाह , स्वरा भास्कर , जावेद अख्तर , शाबाना आजमी सब के सब वामपंथी विचारधारा के अगुआ हैं , जो भोले भाले मुसलमानों को यह कह कर भडका रहे थे कि उन के पूर्वजों ने भारत पर एक हजार साल राज किया है और मोदी अब उन्हें भारत की नागरिकता से वंचित कर रहे हैं |

जिस तरह मुम्बई में हुए आतंकी हमले को आरएसएस की साजिश बता कर उर्दू अखबार रोजनामा राष्ट्रीय सहारा के समूह संपादक अजीज बर्नी ने एक किताब लिखी थी  “26/11: आरएसएस की साजिश”,  जिस का विमोचन कांग्रेस के नेता दिग…

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Published: 25.Aug.2020, 21:36

अजय सेतिया / वैसे अपन अहमद पटेल की कही बात को ज्यादा महत्व नहीं देते क्योंकि वह जमीन के नेता नहीं है , उन्होंने एक बार भी कोई चुनाव नहीं जीता | वह प्रणब मुखर्जी की तरह विद्वान भी नहीं हैं कि पार्टी के लिए बोद्धिक तौर पर महत्वपूर्ण हों | एक समय में कांग्रेस के लिए प्रणब मुखर्जी और भाजपा के लिए अरुण जेटली बोद्धिक तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए थे | लेकिन अब अपन को अहमद पटेल को इस मामले में गम्भीरता से लेना पड़ेगा क्योंकि वह सोनिया गांधी के सब से करीबी व्यक्ति हैं | अगर वह कह रहे हैं कि कोई गैर गांधी वाड्रा भी कांग्रेस अध्यक्ष हो सकता है , तो इस का मतलब है कि सोनिया गांधी के दिमाग में किसी नाम पर उधेड़बुन शुरू हो चुकी है |

अहमद पटेल वैसे तो मीडिया से दूर रहते हैं , क्योंकि वह बैकडोर की राजनीति करते हैं , लेकिन कभी कभी रिकार्ड पर आ भी जाते हैं | अब उन्होंने एनडीटीवी पर यह बात कही है , लेकिन उन की बात टेक्निकल किस्म की है , जिस में उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होगा , जिस में गैर गांधी भी चुना जा सकता है | रह रह कर अपन को 1997 और 2000 का चुनाव याद आता है , 19…

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Published: 24.Aug.2020, 20:20

अजय सेतिया / कांग्रेस के दिग्गज नेता अब कुंठित हो गए हैं , उन्हें सोनिया गांधी और उन के दोनों बच्चों में कोई करिश्मा दिखाई नहीं देता | ऐसे 23 नेताओं ने पखवाडा भर पहले राजस्थान के राजनीतिक संकट के समय सोनिया गांधी को चिठ्ठी लिख कर अपनी कुंठा जाहिर की थी | चिठ्ठी के तीन शब्द बहुत महत्वपूर्ण थे , वे थे –“ पार्टी को पूर्णकालिक, प्रभावी और सक्रिय नेतृत्व चाहिए |” सोनिया गांधी एक साल से कार्यकारी अध्यक्ष हैं , वह बीमार रहती हैं , जिस कारण वह सक्रिय हो कर पूर्णकालिक सेवाएं नहीं दे पा रही हैं | ये दो शब्द सोनिया गांधी के लिए थे | क्योंकि इस बीच राहुल गांधी को दुबारा अध्यक्ष बनाने की सुगबुगाहट होती रही है और पिछले पांच छह साल उन्हीं के अप्रभावी नेतृत्व में पार्टी दो लोकसभा चुनाव हारी है , इस लिए प्रभावी का इशारा उन की ओर था |  चिठ्ठी में पार्टी को आत्ममंथन की सलाह भी दी गई है |

गुलाम नबी आज़ाद से लेकर कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा , मनीष तिवारी, शशि थरूर, विवेक तन्खा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद, भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हान , पी जे…

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Published: 23.Aug.2020, 20:49

अजय सेतिया / चीन विस्तारवाद की रणनीति के तहत अब भारत को निशाना बना कर चल रहा है | जहां एक तरफ वह पाकिस्तान पर दबाव बना रहा है कि जैसे उस ने भारत का लूटा हुआ काराकोरम का 72971 किलोमीटर का इलाका 1963 में तोहफे में उसे दिया था , वैसे ही लद्दाख का गिलगित बाल्टिस्तान का बाकी इलाका भी उसे दे दे | दूसरी तरफ वह एलएसी की अपनी खुद की व्याख्या कर के भारत के नियन्त्रण वाले लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी को अपना बता रहा है | अप्रेल मई में जब सारी दुनिया के साथ साथ भारत भी चीन के फैलाए कोरोनावायरस से जूझ रहां था , तब उस की पीपुल आर्मी गलवान घाटी में फिंगर 8 को क्रास करते हुए कम से कम छह किलोमीटर तक घुस कर फींगर 4 तक पहुंच गई थी | हालांकि भारतीय फ़ौज ने 15 जून को उसे फींगर 4 से पीछे धकेल दिया था , लेकिन पीपल्स आर्मी फिंगर पांच पर पैन्गोंग सो झील से पीछे नहीं गई है |

पैन्गोंग सो झील के किनारे पर स्थित पहाडी चोटियों को फिंगर कहते हैं , जिनकी संख्या 8 हैं | पहले भारतीय सेना फिंगर एक पर मौजूद रहती थी और फिंगर 8 तक उस का पेट्रोलिंग क्षेत्र था , यानी पीपल्स आर्मी फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग करती…

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Published: 22.Aug.2020, 19:36

अजय सेतिया / नरेंद्र मोदी के दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद ज्यादातर भारतीय पाकिस्तान और चीन के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर को वापस लेने की हसरत पाले हुए हैं | 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा लेने के बाद से नया घटनाक्रम यह हुआ कि लद्दाख और जम्मू कश्मीर को अलग अलग केंद्र शाषित क्षेत्र और राज्य बना दिया गया | उस में भी महत्वपूर्ण यह हुआ है कि पाकिस्तान और चीन के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत ने केंद्र शाषित लद्दाख का हिस्सा बताया है , और पाकिस्तान के कब्जे वाले मुज्जफराबाद , मीरपुर को जम्मू कश्मीर का हिस्सा बताया है | भारत पहले भी पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का हिस्सा बताता ही रहा है और इस सम्बन्ध में नरसिंह राव के शाषणकाल में इसे पाक के कब्जे से मुक्त करवाने के लिए संसद ने एक प्रस्ताव भी पास किया था | हालांकि इसे हासिल करने के कभी प्रयास नहीं किए गए , न अभी किए जा रहे हैं , लेकिन नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते भारतीयों की आशा बंधी है |

1947-48 में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के 45 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया था | लेकिन 1963 में अपने क…

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Published: 22.Aug.2020, 19:34

अजय सेतिया / प्रियंका गांधी का जुलाई 2019 का बयान किस नियत से फिर से उछाला गया है , और किस ने उछाला है | जब यह खबर पहले सोशल मीडिया और फिर औपचारिक मीडिया पर आई कि प्रियंका गांधी भी अपने भाई की तरह यही चाहती है कि अब कांग्रेस का नेतृत्व नेहरु परिवार से इतर कोई सम्भाले , तो सवाल पैदा हुआ कि जब सोनिया , राहुल और प्रियंका तीनों यह चाहते हैं , तो फिर रोका किस ने है | सवाल यह भी खड़ा होता है कि राहुल गांधी ने जून 2019 में जब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था तो उन्होंने इस्तीफा देने से पहले खुद ही किसी को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त क्यों नहीं किया | जैसे राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह को उपाध्यक्ष बना कर पार्टी सन्गठन का काम सौंपा था , वैसे ही राहुल गांधी किसी मनमोहन सिंह जैसे को ही अध्यक्ष बना देते , कुछ और नहीं तो कम से कम यह छवि तो बनती कि परिवार से बाहर अध्यक्ष बना |

वैसे भी कांग्रेस तो नियुक्तियों वाली पार्टी है , सन्गठन में चुनाव से तो कांग्रेस का दूर तक तक कुछ लेना देना नहीं है | यह सिलसिला गांधी के समय से चला आ रहा है , जब सुभाष चन्द्र बोस को चुने जाने के बाद इस्तीफ…

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Published: 19.Aug.2020, 18:54

अजय सेतिया / यह जीत असल में नीतीश कुमार की है , उन्होंने मुम्बई में हुई घटना की पटना में ऍफ़आईआर दर्ज करवा कर महाराष्ट्र सरकार को चुनौती दी थी | बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों की शिवसेना के साथ पुरानी दुश्मनी है , क्योंकि शिवसेना मुम्बई में गैर मराठियों को बराबर का अधिकार देने का विरोध करती रही है | जब वह सत्ता में नहीं होती तो यह विरोध हिंसा की हद तक होता रहा है | शिवसेना की इस हिंसा का शिकार सब से ज्यादा बिहारी होते रहे हैं , इस लिए शिवसेना का विरोध बिहार के राजनीतिक दलों की मजबूरी रहा है |

अब जब कि शिवसेना सत्ता में है , और वह भी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर के सत्ता में आई है  , तो बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की पटना में ऍफ़आईआर दर्ज करवा कर नीतीश कुमार ने युवा बिहारी वोटरों का दिल जीत लिया था | अब जबकि सुप्रीमकोर्ट ने पटना में दर्ज ऍफ़आईआर को सही ठहराटे हुए केस सीबीआई को सौंप दिया है तो नीतीश कुमार ने बिहारी अस्मिता के नाम पर अपने वोट पक्के कर लिए हैं  | खासकर युवाओं और ठाकुर-राजपूत बिरादरी के वोट अब नीतीश कुमार की…

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Published: 18.Aug.2020, 13:16

अजय सेतिया / सवाल पैदा होता है कि अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में फेसबुक के खिलाफ यह खबर किस ने छपवाई थी , जिस में कहा गया था कि शिकायत के बावजूद फेसबुक ने भारत में साम्प्रदायिक नफरत फैलाने वाली पोस्ट नहीं हटाई | राहुल गांधी और उन के समर्थक मीडिया बंधुओं की ओर से 48 घंटे के अंदर जिस तरह वाल स्ट्रीट जर्नल का प्रचार किया गया , उस से शक पैदा होता है कि यह खबर प्रायोजित थी | इस खबर के प्रायोजित होने का पुख्ता सबूत तो कांग्रेस सांसद शशी थरूर ने दिया , जो आईटी मंत्रालय की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं , उन्होंने फेसबुक को नोटिस जारी कर दिया | इसी समिति के भाजपाई सदस्य निशिकांत दूबे ने थरूर पर आरोप लगाया कि वह बिना संसदीय समिति में चर्चा किए किसी को नोटिस कैसे दे सकते हैं , वह संसदीय समिति के नहीं , अलबत्ता राहुल गांधी के एजेंडे पर काम कर रहे हैं | इस मुद्दे पर शशी थरूर ने भी निशिकांत दूबे को चुनौती दे दी है , तो तय है कि आईटी की संसदीय समिति राजनीतिक घमासान का केंद्र बनने वाली है |

शिकायत लोकसभा स्पीकर को पहुंच चुकी है और मजेदार बात यह है कि शशी थरूर , निशिकांत दूबे और म…

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Published: 17.Aug.2020, 19:43

अजय सेतिया / अपन ने कल राहुल गांधी के विदेशी अखबारों के सहारे भारत में राजनीति करने का खुलासा किया था | अमेरिका के अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में छपी खबर को आधार बना कर राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि भाजपा में फेसबुक और वॉट्सऐप पर बीजेपी और आरएसएस का कब्जा है | ये इसके जरिए फेक न्यूज और नफरत फैलाते हैं और चुनाव को प्रभावित करने में भी इनका इस्तेमाल करते हैं | राहुल गांधी ने यह भी लिखा था कि आखिरकार, अमेरिकी मीडिया में फेसबुक के बारे में सच बाहर आ गया | इस खबर में फेसबुक के एक पूर्व कर्मचारी के हवाले से कहा गया था कि भाजपा का एक विधायक टी.राजा नफरत भरी पोस्ट डालता है , लेकिन जांच टीम की ओर से सिफारिश किए जाने के बावजूद फेसबुक ने यह अकाऊंट बंद नहीं किया | सवाल पैदा होता है कि अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल में फेसबुक के खिलाफ यह खबर किस ने छपवाई थी |

राहुल गांधी और उन के समर्थक मीडिया बंधुओं की ओर से 48 घंटे के अंदर जिस तरह वाल स्ट्रीट जर्नल का प्रचार किया गया है , उस से शक पैदा होता है कि यह खबर प्रायोजित है | नरेंद्र मोदी की ओर से 2014 के चुनाव में फेसबुक, ट्विटर,…

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