अजय सेतिया / वैसे अपन अहमद पटेल की कही बात को ज्यादा महत्व नहीं देते क्योंकि वह जमीन के नेता नहीं है , उन्होंने एक बार भी कोई चुनाव नहीं जीता | वह प्रणब मुखर्जी की तरह विद्वान भी नहीं हैं कि पार्टी के लिए बोद्धिक तौर पर महत्वपूर्ण हों | एक समय में कांग्रेस के लिए प्रणब मुखर्जी और भाजपा के लिए अरुण जेटली बोद्धिक तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण हो गए थे | लेकिन अब अपन को अहमद पटेल को इस मामले में गम्भीरता से लेना पड़ेगा क्योंकि वह सोनिया गांधी के सब से करीबी व्यक्ति हैं | अगर वह कह रहे हैं कि कोई गैर गांधी वाड्रा भी कांग्रेस अध्यक्ष हो सकता है , तो इस का मतलब है कि सोनिया गांधी के दिमाग में किसी नाम पर उधेड़बुन शुरू हो चुकी है |
अहमद पटेल वैसे तो मीडिया से दूर रहते हैं , क्योंकि वह बैकडोर की राजनीति करते हैं , लेकिन कभी कभी रिकार्ड पर आ भी जाते हैं | अब उन्होंने एनडीटीवी पर यह बात कही है , लेकिन उन की बात टेक्निकल किस्म की है , जिस में उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होगा , जिस में गैर गांधी भी चुना जा सकता है | रह रह कर अपन को 1997 और 2000 का चुनाव याद आता है , 1997 में सीताराम केसरी को सोनिया गांधी का समर्थन था तो उन्होंने दिग्गज शरद पवार और उतर भारत के लोकप्रिय चेहरे राजेश पायलट को आसानी से हरा दिया था | शरद पवार और राजेश पायलट जमीनी नेता थे , वे कई बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव जीत चुके थे , लेकिन सीताराम केसरी अहमद पटेल की तरह बैक डोर की राजनीति करने वाले नेता थे |
कहने का मतलब यह है कि चुनाव में भी कांग्रेस अद्यक्ष वही बनेगा , जिसे सोनिया गांधी चाहेगी , कोई मनमोहन सिंह या अहमद पटेल या अम्बिका सोनी जैसा कोई | जैसे गांधी की नापसंद सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष नहीं रह सके , जैसे सोनिया की नापसंद नरसिंह राव को अर्जुन सिंह , एन.डी तिवारी की बगावत का सामना करना पड़ा , वैसे ही बनेगा कोई दस जनपथ का वफादार ही | अब यह तो तय हो गया है कि आने वाले कम से कम छह महीने कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर कोई चर्चा नहीं होगी , चाहे सोनिया गांधी की तबियत कितनी भी खराब हो |
मंगलवार को केरल विधानसभा में कांग्रेस की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे पिनारी विजयन ने सही कहा कि कांग्रेस की हालात दयनीय है , उस के अधिकतर नेता भाजपा से न्योते का इन्तजार कर रहे हैं | कांग्रेस अपना नेतृत्व ही तय नहीं कर पा रही और उस के सारे नेता एक दुसरे को भाजपा का एजेंट बता रहे हैं | दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के नेता एक दुसरे के गढे मुर्दे उखाड़ रहे हैं , शैलजा कुमारी और अम्बिका सोनी ने चिठ्ठी लिखने वाले 23 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी , तो गुलाम नबी आज़ाद , आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक ने चुनौती दे कर कहा है कि हिम्मत है तो उन पर कार्रवाई की जाए | इन तीनों ने अनौपचारिक बातचीत में गढ़े मुर्दे उखाड़ते हुए यहाँ तक कह दिया कि जिन्होंने 1978 में इंदिरा गांधी और संजय गांधी का साथ छोड़ दिया था , उन्हें हमारा कांग्रेसी डीएनए जांचने का अधिकार नहीं है |
चिठ्ठी गैंग 23 में से पांच गुलाम नबी आज़ाद , भूपेन्द्र सिंह हुड्डा , पृथ्वी राज चव्हान , वीरप्पा मोईली , राजेन्द्र कौर भट्टल मुख्यमंत्री रहे हैं | असल में बात इतनी बढ़ चुकी है कि कांग्रेस की कार्यसमिति के सदस्य एक दुसरे के कपड़े फाड़ रहे हैं , कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद गुलामनबी आज़ाद के घर पर जिस तरह चिठ्ठी गैंग की बैठक हुई और उस के बाद गढ़े मुर्दे उखाड़ते हुए कपड़े फाड़ने का सिलसिला शुरू हुआ है , उस से अंदाज लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों कांग्रेस में उसी तरह घमासान होगा जैसा नरसिंह राव के समय हुआ था | हालांकि पिनारी विजयन का कहना है कि कांग्रेस के सारे नेता भाजपा के न्योते का इन्तजार कर रहे हैं , लेकिन इन में से किसी को न तो भाजपा का न्योता आना है , न किसी की भाजपा में कोई उपयोगिता है | उपयोगिता वाले सारे नेता पहले ही भाजपा में छलांग लगा चुके हैं | हाँ कोई एक आध बड़ा वकील अरुण जेटली की जगह भरने के लिए किस्मत आजमा सकता है | पिछले दिनों अभिषेक मनु सिंघवी का नाम चला भी था , लेकिन उन को भी न्योता नहीं आया |
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