अजय सेतिया / कहते हैं –दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है | सुप्रीमकोर्ट के साथ हाल ही में तीन घटनाएं हुई | पहली बार अयोध्या के मामले में बातचीत से हल निकालने के लिए कमेटी बनाना , जबकि उस का काम मुकद्दमे का फैसला करना था | वह इस पंचायती में फेल रही और अंतत: क़ानून के मुताबिक़ फैसला करना पड़ा | दूसरा मामला शाहीन बाग़ का था , जब उसे पुलिस को फटकार लगा कर सडक खाली करवाने का आदेश देना चाहिए था , लेकिन उस ने मुसलमानों से बातचीत के लिए कमेटी बना दी | अब तीसरी घटना किसानों के आन्दोलन की हुई है , जब उस ने संसद से पारित कानूनों में दखल देते हुए किसानों से बात कर कोर्ट को सुझाव देने के लिए कमेटी बना दी | जबकि उसे कानूनों की सवैधानिकता जांचने के सिवा, संसद से पारित कानूनों में किसी तरह के दखल का अधिकार नहीं | कमेटी के एक सदस्य के इस्तीफे और किसानों की ओर से कमेटी के साथ बातचीत से इनकार करने के बाद अब जब चौथा मामला 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली का सामने आया , तो सुप्रीमकोर्ट ने हाथ खड़े करते हुए कहा- यह क़ानून व्यवस्था का मामला है , आप जानों , हम क्यों दखल दें | जबकि इस बार तो पुलिस खुद…
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अजय सेतिया / जैसी कि उम्मींद थी 16 जनवरी की बातचीत भी फेल हो गई थी , 19 जनवरी की भी हो जाएगी | सरकार ने तीसरे चौथे दौर की बातचीत के आधार पर कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव भेजे हैं , किसान उन्हें भी खारिज कर देंगे | इस बीच किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई आधी अधूरी लंगडी कमेटी से बातचीत करने से इनकार कर दिया है | कमेटी का एक किसान सदस्य कम्युनिस्ट आन्दोलनकारियों से डर कर इस्तीफा दे गया और दूसरे किसान सदस्य शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट ने दो टूक कहा है कि अगर क़ानून रद्द हुए तो सौ साल कृषि कानूनों में सुधारों की कोई कोशिश नहीं करेगा | पर सवाल यह है कि क्या अमेरिका यूरोप की नकल से कारपोरेट घरानों की मदद के लिए भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी की ओर से रचे गए क़ानून ही कृषि सुधारों और किसानों की समृद्धि का एक मात्र रास्ता है या कोई गांधीवादी रास्ता भी हो सकता है | अपन गांधीवादी शब्द का इस्तेमाल इस लिए कर रहे हैं , क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से आते हैं और गांधी का नाम लेते रहते हैं |
तो कृषि सुधारों का एक घरेलू फार्मूला अपने सामने आया है | यह…
और पढ़ें →अजय सेतिया / भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीमकोर्ट की बनाई चार सदसीय कमेटी से इस्तीफा दे कर कांग्रेस के सुप्रीमकोर्ट को नीचा दिखाने वाले रूख को और साफ़ कर दिया | भूपिंदर सिंह मान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यह कहते हुए समर्थन किया था कि वह कृषि में पूजीनिवेश का रास्ता साफ़ करेगी , जो कि वक्त की जरूरत है | कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में मंडियों के क़ानून में बदलाव और कृषि में पूजी निवेश के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग का वायदा किया था | भूपिंदर सिंह पिछले 50 साल से किसानों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन करते रहे हैं | सत्तर के दशक में जब किसान आत्महत्याएं कर रहे थे तो उन्होंने बाकायदा एक आन्दोलन शुरू कर के हजारों किसानों को अकाल तख्त के सामने ले गए थे , जहां उन्होंने सब से शपथ दिलाई थी कि संघर्ष करेंगे , आत्महत्या नहीं करेंगे | किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए भारत पाकिस्तान में व्यापार खुलवाने के लिए उन्होंने वाघा बार्डर पर किसान मार्च भी करवाया था | वह मोदी सरकार की ओर से बनवाए गए उन दोनों कानूनों के पक्ष में हैं, जिन का कम्युनिस्…
और पढ़ें →अजय सेतिया / कांग्रेस के पूर्व और भविष्य अध्यक्ष राहुल गांधी का जवाब नहीं | वह इटली के एयर कंडीशन कमरे बैठे दिल्ली बार्डर पर ठिठुर रहे किसानों की चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं | उन्होंने ट्विट में लिखा है कि मोदी ट्रेक्टर रैली से डर गए हैं | सुप्रीमकोर्ट की ओर से बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी पर राहुल गांधी ने लिखा है-“ कृषि-विरोधी कानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती | यह लड़ाई किसान विरोधी कानूनों के खत्म होने तक जारी रहेगी | ” अब इस से जाहिर होता है कि अमरेन्द्र सिंह ने राहुल गांधी के इशारे पर ही पंजाब के किसानों को भडका कर दिल्ली भेजा है | क्योंकि किसानों ने तो उन्हें अपना प्रवक्ता बनाया नहीं कि वह किसानों की ओर से एलान करें कि उन की लड़ाई तीनों क़ानून वापस लिए जाने तक जारी रहेगी |
और जिन कमेटी सदस्यों को वह कानूनों का समर्थक बता रहे हैं , उनमें से दो तो मनमोहन सिंह सरकार में ही कृषि विशेषग्य के तौर पर बड़े पदों पर रहे हैं और एक कांग्रेसी है | सब से पहले अपन भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह मान की बात करते है…
और पढ़ें →अजय सेतिया / संविधान में कहीं भी सुप्रीमकोर्ट को सर्वोच्च नहीं ठराया गया , हाँ संविधान की रक्षा की गारंटी बनाए रखना सुप्रीमकोर्ट का अधिकार है , इसलिए संसद की ओर से बनाए गए कानूनों की इस लिहाज से समीक्षा का अधिकार है कि कहीं कोई क़ानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ न बन जाए | लेकिन अब जिस तरह की पंचायती सुप्रीमकोर्ट कर रही है , ऐसी कल्पना संविधान निर्माताओं ने नहीं की होगी | जब से पीआईएल शुरू हुई है , कोई भी किसी भी मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट में जा खड़ा होता है और कोर्ट को दखल की दरख्वास्त दे देता है | अब किसानों के मामले में देखिए याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने मंगलवार को सुप्रीमकोर्ट में कहा कि किसानों को यह डर है कि उन की जमीनें बेच दी जाएँगी , इसलिए किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं |
अब कोई भी जज इतना अनजान तो नहीं होता कि उसे क़ानून के नुक्ते न पता हों , इसलिए चीफ जस्टिस ने तुरंत उन्हें कहा- “कौन कहता कि किसानों की जमीने बिक जाएँगी ?” इस के बाद भी शर्मा ने कहा कि अगर एक बार किसान का कारपोरेट घराने से स…
और पढ़ें →अजय सेतिया / अपन इस मुद्दे पर गाहे-ब-गाहे लिखते ही रहे हैं कि विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका को अपने अपने हदूद में रहना चाहिए , लोकतंत्र तभी कायम और सफल होगा | लोकतंत्र को धरातल पर लागू करने का काम 15 अगस्त 1947 से ही शुरू होना चाहिए था | उस से पहले देश में लोकतंत्र लागू नहीं था , चुनी हुई विधानसभाएं जरुर थीं , लेकिन उन का काम सिर्फ सिफारिशें करना था | हुकुमत तो अंग्रेजों की ही चलती थी , कार्यपालिका अंग्रेजों के ही हुकुम मानती थी , चुनी हुई राज्य सरकारों के नहीं | इस लिए वास्तव में आज़ादी मिलने के बाद लोकतंत्र का असली स्वरूप सामने आना चाहिए था और कार्यपालिका को चुनी हुई सरकार और चुने हुए नुमाईन्दों का हुकुम बजाना चाहिए था , तब लोकतंत्र कायम होता | लेकिन जवाहर लाल नेहरु ने अपने हुकुम मानने को ही लोकतंत्र समझ लिया | नतीजा यह है कि चुने हुए बाकी नुमाईंदे आज तक लोकतंत्र का असली स्वरूप नहीं देख सके |
गांधी जिस ग्राम स्वराज की बात करते थे , वह था असली लोकतंत्र , धरातल पर ठीक उस के उल्ट हुआ है | गांधी की हर उस रोज हत्या होती है , जब कोई चुना हुआ प…
और पढ़ें →अजय सेतिया / वामपंथी पत्रकारों की भाषा देखिए | यह मोदी सरकार विरोधी एक न्यूज चेनेल की वेबसाईट से लिया गया पैराग्राफ है –“ बहरामके (बलवंत सिंह) ने अपनी टेबल पर डायरी पर पंजाबी में लिख रखा था कि हम मरेंगे या जीतेंगे. किसान नेताओं की यह दृढ़ता दिखा रही है कि सरकार भले ही वार्ता को लंबा खींचकर उन्हें थकाने और आंदोलनकारियों को अलग-थलग करने का प्रयास करे, लेकिन वे डिगने वाले नहीं हैं.” लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है , 26 नवम्बर के मुकाबले अब आधे किसान भी नहीं रहे | किसानों के धरने के आसपास के ग्रामीणों ने उन का विरोध करना शुरू कर दिया है | इंडिया टीवी के एक रिपोर्टर ने इन गावों में जा कर खेत खलिहानों में किसानों से बात की | इन किसानों में से कोई एक भी आन्दोलन के पक्ष में नहीं मिला |
अपन को तो हैरानी हुई कि दिल्ली में बैठे पत्रकारों से ज्यादा तो गाँवों के लगभग अनपढ़ किसानों को तीनों कानूनों की बारीकियां और आन्दोलन के पीछे राजनीति की बात मालूम थी | एक किसान ने कहा कि जब पंजाब में पहले से कांट्रेक्ट फार्मिंग का क़ानून लागू है , कांट्रेक्ट फार्मिंग भी हो रही है , कि…
और पढ़ें →अजय सेतिया / डोनाल्ड ट्रंप को मुहं की कहानी पड़ी है | अपने यहाँ कहावत है सौ प्याज भी खाए , सौ जूते भी खाए | संसद के संयुक्त सत्र में ट्रंप के सारे आरोप खारिज कर दिए गए | संसद ने जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद पर और कमला हैरिस के उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचन की पुष्टि कर दी | डोनाल्ड ट्रंप मुहं लटका कर बाहर निकले क्योंकि सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर जो डोनाल्ड ट्रंप मुहं लटका कर बाहर निकले क्योंकि सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर जो बाइडेन की जीत का समर्थन किया | यहां तक कि डोनाल्ड ट्रंप की दो राज्यों- एरिजोना एवं पेनसिल्वेनिया - में निर्वाचन संबंधी आपत्तियों को भी खारिज कर दिया गया | तब बाहर निकलते हुए ट्रंप ने झक मार कर कहा कि 20 जनवरी को व्यवस्थित ढंग से सत्ता हस्तांत्रण होगा | इसे सौ जूते खा कर प्याज खाना ही तो कहेंगे |
जो बाइडेन के नए राष्ट्रपति पद पर निर्वाचन की पुष्टि के लिए बुलाए गए संयुक्त सत्र से ठीक पहले ट्रंप ने अपने हजारों समर्थकों को भडकाते हुए कहा था कि वह हार नहीं मानेंगे | यह बिलकुल वैसा ही था , जैसे भारत में राजनीतिक नेता अपने समर्थकों को भडका कर हिंसा…
और पढ़ें →अजय सेतिया / मार्क्सवादी अब नई अफवाह उड़ा रहे हैं कि गणतन्त्र दिवस पर किसानों की ट्रेक्टर परेड के चलते ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी है | बोरिस जॉनसन गणतन्त्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि के तौर पर आने वाले थे | ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के चलते लाक डाउन शुरू हो चुका है और भारत समेत दूनिया भर के देशों ने ब्रिटेन में अपनी हवाई सेवाएं रद्द कर दी हैं | कोरोनावायरस के चलते दुनिया भर में कई बड़ी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंसे भी रद्द हुई हैं | इसी सिलसिले में बोरिस जॉनसन का दौरा भी रद्द हो गया | वैसे भी जब संसद का शीत सत्र नहीं बुलाया जा रहा तो भारत को गणतन्त्र दिवस भी उतने धूमधाम से मनाने का फैसला नहीं करना चाहिए था | खैर अपन बात मार्क्सवादियों की नई अफवाह की कर रहे थे | यह लाल , हरी चड्डी और झंडी वाले कहा करते थे कि संघी सब से ज्यादा अफवाहें उड़ाते हैं | गणेश को दूध इन्होने ही पिलाया था , लेकिन अफवाहें उड़ाने में लाल हरी झंडियों वाले सब को पीछे छोड़ गए | दलितों को मोदी सरकार के खिलाफ भडकाने के लिए रोहित वेमूला को दलित बताने की अफवाह इन्हो…
और पढ़ें →अजय सेतिया / क्या कारण है कि मोदी विरोधी झूठ के नेरेटिव खड़े करने में कामयाब हो जाते है और मोदी के समर्थक बचाव मुद्रा में आ जाते हैं | मोदी समर्थक थक गए है , या उन के सपने टूटे हैं , जो वे अब प्रो एक्टिव हो कर विपक्ष पर उतने हमलावर नहीं होते,जितने 2013 से 2019 तक थे | हालांकि 2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा के वर्कर और मोदी समर्थक विपक्ष पर हमलावर हुआ करते थे , इसी वजह से अपनी प्रबुद्धता की झूठी शान बनाए रखने वाले जेएनयू के वामपंथी टोले को बेनकाब करने में कामयाब रहे थे | भारत में राफेल बनाने के लिए हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स का कांट्रेक्ट अनिल अम्बानी को दिलाने वाले राहुल गांधी के झूठ के भी मोदी की सोशल मीडिया टीम ने परखचे उड़ा दिए थे | राहुल गांधी का चोकीदार चोर का नारा खूब चला था , लेकिन उस से ज्यादा उन की खिल्ली उडी थी , क्योंकि वे राफेल को ले कर बेसिर पैर की बाते कर रहे थे | बाद में झूठे आरोपों पर उन्हें सुप्रीमकोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ी |
जम्मू कश्मीर में सेना पर पथराव करने वालों का बचाव करते हुए कांग्रेस के नेताओं ने सेना को गुंडे तक कह दिया था | उन्हें अ…
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