अजय सेतिया / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपना हुलिया नहीं बदला , मिजाज भी बदल लिया है | पिछले दो दिन से राज्यसभा में बदले बदले से नजर आए | सोमवार को जब राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए वह कृषि कानूनों की वकालत कर रहे थे , तो 26 जनवरी को लाल किले पर तिरंगे का अपमान होने के बावजूद गुस्से में नहीं थे | रिहाना, ग्रेटा, सुसेन के ट्विटो से किसान आन्दोलन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ जाहिर हो जाने के बावजूद उन का लहजा विनम्रता वाला था | इन्हीं सब को उन्होंने फारेन डिसट्रेकटिव आइडियोलोजी बताते हुए , इन से देश को सावधान रहने को कहा | जिस बात को अपन कई दिन से लिख रहे थे कि मोदी विरोधी पिछले छह साल से हर आन्दोलन में दिख रहे हैं , उसे उन्होंने जन्मजात आंदोलनजीवी का नाम दे कर बेनकाब भी किया |
26 जनवरी की घटना के बाद अपन ने 28 जनवरी को लिखा था-“ क्या आप इसमें समानता नहीं देखते कि 2014 के बाद से हर सरकार विरोधी आन्दोलन का चेहरा रहे जेएनयूवादी वामी योगेन्द्र यादव , अरुंधती राय , कविता कृष्णन , प्रशांत भूषण , हन्नान मौला किसान आन्दोलन को भी भटका रहे थे |” इन्हीं सब की ओर…
और पढ़ें →