अजय सेतिया / मार्क्सवादी अब नई अफवाह उड़ा रहे हैं कि गणतन्त्र दिवस पर किसानों की ट्रेक्टर परेड के चलते ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी है | बोरिस जॉनसन गणतन्त्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि के तौर पर आने वाले थे | ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन के चलते लाक डाउन शुरू हो चुका है और भारत समेत दूनिया भर के देशों ने ब्रिटेन में अपनी हवाई सेवाएं रद्द कर दी हैं | कोरोनावायरस के चलते दुनिया भर में कई बड़ी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंसे भी रद्द हुई हैं | इसी सिलसिले में बोरिस जॉनसन का दौरा भी रद्द हो गया | वैसे भी जब संसद का शीत सत्र नहीं बुलाया जा रहा तो भारत को गणतन्त्र दिवस भी उतने धूमधाम से मनाने का फैसला नहीं करना चाहिए था | खैर अपन बात मार्क्सवादियों की नई अफवाह की कर रहे थे | यह लाल , हरी चड्डी और झंडी वाले कहा करते थे कि संघी सब से ज्यादा अफवाहें उड़ाते हैं | गणेश को दूध इन्होने ही पिलाया था , लेकिन अफवाहें उड़ाने में लाल हरी झंडियों वाले सब को पीछे छोड़ गए | दलितों को मोदी सरकार के खिलाफ भडकाने के लिए रोहित वेमूला को दलित बताने की अफवाह इन्होने ही उडाई थी , जबकि वह ओबीसी था | नागरिक संशोधन क़ानून को मुसलमानों के खिलाफ बताने की अफवाह इन्हीं लाल चड्डी वालों ने ही उडाई थी , जबकि वह क़ानून पडौसी देशों के सताए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का है | वे क़ानून में हिन्दू , सिख , जैनी , बोद्ध , ईसाई का जिक्र करने को सेक्यूलरिज्म के खिलाफ बता रहे थे | लेकिन मुस्लिम पर्सनल ला को सेक्यूलरिज्म के खिलाफ नहीं बताते |
अपन आज इन लाल चड्डी वालों का जिक्र इस लिए कर रहे हैं , क्योंकि इन का असली नक्सलवादी चेहरा फिर उजागर हो रहा है | मार्क्सवादियों ने पंजाब के किसानों को भडका कर आन्दोलन की कमान अपने जुडवा भाई नक्सलियों को सौंप दी है | जिस का नतीजा अपन किसान आन्दोलन को पूंजीवाद के खिलाफ बदलने के पोस्टरों के रूप में देख रहे हैं | जो आजकल दिल्ली से ले कर पंजाब तक दिखाई देने लगे हैं | सिर्फ पोस्टर नहीं अलबत्ता पंजाब में रिलायंस कम्पनी के जिओ टावरों को क्षतिग्रस्त करना पूंजीवाद के खिलाफ लड़ाई का संकेत मात्र है | आज जब पंजाब की मोबाईल कुनेकटीवीटी बाधित हो गई है और कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है तो किसान आन्दोलन को हवा दे कर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने की सोच रहे मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह की हवा निकली हुई है | कांग्रेस को भी अब समझ आने लगा है कि आन्दोलन के कितने दूरगामी परिणाम हो सकते हैं |
1979 में जब अकालियों के खिलाफ कांग्रेस भिंडरावाले को हवा दे रही थी , तब भी उसे अंदाज नहीं था कि वही भिंडरावाला कभी देश के लिए कितना बड़ा खतरा बन जाएगा | उसी भिंडरावाले के कारण इंदिरा गांधी को बाद में सिखों के सब से बड़े पवित्र स्थल दरबार साहिब पर सेना भेजनी पड़ी थी , जिस के नतीजे में इंदिरा गांधी की हत्या तक हुई | अमरेन्द्र सिंह से ज्यादा इस को कौन समझ सकता है , अकाल तख्त पर हमले के खिलाफ अमरेन्द्र सिंह ने तब कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था | भिंडरावाले से पैदा हुआ खालिस्तान का आन्दोलन आज तक पाकिस्तान और कनाडा की धरती से बार बार पनपता रहता है | अपन फिर किसान आन्दोलन पर लौटते हैं , आन्दोलन के पीछे जब खालिस्तान आन्दोलनकारियों का हाथ बताया गया था , इन्हीं मार्क्सवादियों और इन के चेहेते पत्रकारों ने हल्ला मचा दिया कि किसानों को खालिस्तानी बता कर बदनाम किया जा रहा है , जबकि सच है कि आन्दोलन की शुरुआत में खालिस्तान के नारे लगे थे | बाद में उस समय आन्दोलन के पीछे की वामपंथी शक्तियों का हाथ भी उजागर हो गया था , जब एक दिन किसान मंच के सामने उन लोगों की रिहाई के बैनर दिखाई दिए जो पूर्वी दिल्ली के दंगों के आरोपी हैं , जो भीमा कोरेगांव की हिंसा के दोषी हैं |
किसान अपनी मांगों को ले कर आंदोलन करें ,सरकार पर दबाब बनाएं, सरकार उनकी उचित मांगों को स्वीकार करे, इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए | लेकिन अगर कांग्रेस , वामपंथी और आम आदमी पार्टी किसानों को मोहरा बना कर पंजाब में अपनी जड़ें जमाना चाहते हैं , तो यह साजिश किसानों को भी समझनी चाहिए | पंजाब में नक्सलवाद की एक बड़ी साजिश पनप रही है | वरना जो किसान तीनों कानूनों की खामियां दूर कर उन्हें पूंजीपतियों के पक्ष से हटा कर किसानों के पक्ष में बनाने के लिए संशोधन की मांग कर रहे थे , वे अचानक तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर क्यों अड़े हैं | सब जानते हैं कि जब से कृषि भूमि विहीन मार्क्सवादी कविता कृष्णन , हनान मौला , योगेन्द्र यादव किसानों के नेता बने तब से आन्दोलन की रूप रेखा और टकराव की स्थिति बन गई |
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