किसानों की समृद्धि के देशी फार्मूले

Publsihed: 18.Jan.2021, 18:58

अजय सेतिया / जैसी कि उम्मींद थी 16 जनवरी की बातचीत भी फेल हो गई थी , 19 जनवरी की भी हो जाएगी | सरकार ने तीसरे चौथे दौर की बातचीत के आधार पर कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव भेजे हैं , किसान उन्हें भी खारिज कर देंगे | इस बीच किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की बनाई आधी अधूरी लंगडी कमेटी से बातचीत करने से इनकार कर दिया है | कमेटी का एक किसान सदस्य कम्युनिस्ट आन्दोलनकारियों से डर कर इस्तीफा दे गया और दूसरे किसान सदस्य शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट ने दो टूक कहा है कि अगर क़ानून रद्द हुए तो सौ साल कृषि कानूनों में सुधारों की कोई कोशिश नहीं करेगा | पर सवाल यह है कि क्या अमेरिका यूरोप की नकल से कारपोरेट घरानों की मदद के लिए भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी की ओर से रचे गए क़ानून ही कृषि सुधारों और किसानों की समृद्धि का एक मात्र रास्ता है या कोई गांधीवादी रास्ता भी हो सकता है | अपन गांधीवादी शब्द का इस्तेमाल इस लिए कर रहे हैं , क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से आते हैं और गांधी का नाम लेते रहते हैं |

तो कृषि सुधारों का एक घरेलू फार्मूला अपने सामने आया है | यह एक ऐसा फार्मूला है , जिस पर आरएसएस के किसान संघ और भाजपा के किसान मोर्चे को अध्ययन मनन कर के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने रखना चाहिए , ब्यूरोक्रेट्स को इस में शामिल किया तो वे कारपोरेट घरानों का नफा नुक्सान ही देखेंगे , क्योंकि वहीं से उन्हें सेवा में रहते हुए सूटकेस मिलते हैं और सेवाकाल के बाद सेवाकाल के दौरान की गई सेवा के एवज में मोटे मोटे पैकेज | एक किसान पुत्र पत्रकार मित्र रामवीर श्रेष्ठ ने यह शुद्ध किसानी फार्मूला अपन को भेजा है | हालांकि फार्मूले के रचयिता वह खुद नहीं हैं , उन्होंने बताया कि कृषि की पूरी व्यवस्था उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण यानि प्रोसेसिंग और विपणन यानि बाजार पर टिकी हुई है | कृषि क्रांति में इन चार चरणों को लेकर, राजस्थान के एक बुजुर्ग किसान शंकरलाल सींवर ने जो चार प्रस्ताव तैयार किये, वह उन से पूरी तरह सहमत हुए और उन्हीं प्रस्तावों को उन्होंने अपने पास भेजा , जिन में से पहले उत्पादन संबंधी प्रस्ताव की चर्चा अपन आज कर रहे हैं , और बाकी तीन की चर्चा कल करेंगे |

पहला प्रस्ताव-उत्पादन

देश भर की सारी कृषि योग्य भूमि को पशुओं के साथ जोड़ा जाए, जिससे 100 एकड़ जमीन पर 20 घन मीटर का एक गोबर गैस प्लांट स्थापित किया जाए, जिसके साथ 20 निराश्रित या आश्रित पशुओं को जोड़ा जाए | शंकरलाल सींवर का कहना है कि इस प्लांट से 100 एकड़ ज़मीन के लिए खाद और पानी का प्रंबंध किया जा सकेगा | इस से किसानों की अपनी खाद फैक्ट्री और अपना बिजलीघर होगा, क्योंकि इससे निकलने वाली गैस से इंजन चलाकर, किसान रोजाना पांच घंटे ट्यूबवेल चला सकेंगे, जिसे स्प्रिंकल्स के माध्यम से खाद और पानी को मिलाकर खेतों में दिया जाए | बाकायदा मार्केट अध्यण के बाद शंकरलाल सींवर का कहना है कि अभी 20 घन मीटर के इस प्लांट को लगाने में 72 हजार रुपए की लागत आती है, जिस पर 30 हजार की सब्सिडी भी मिलती है | 

ईकाई को लगाने के लिए उन्होंने फार्मूला भी दिया है , जिसे किसानी की भाषा में कहा जा सकता है कि हींग लगे न फटकरी और रंग भी चौखा आए | फार्मूला यह है कि इस समय सरकार एक गांव में एक हजार किसान परिवारों को किसान सम्मान निधि देती है, जिससे हर गांव में सालाना औसत 60 लाख रुपए जाते हैं, इतने पैसों से 20 घन मीटर के करीब 1 हजार गोबर गैस प्लांट तैयार हो सकते हैं | उन का कहना है कि गोबर गैस से आश्रित और निराश्रित सभी पशुओं को अटैच किया जाए |  इसके लिए ज़रूरी ढांचा ग्राम विकास मंत्रालय यानि पंचायत निधि से खड़ा किया जाना चाहिए | यह काम एक साथ पूरे देश में किया जाना चाहिए | इस सम्बन्ध में उन्होंने सफल प्रयोगों के उदाहरण भी दिए हैं | राजस्थान के भरतपुर में गोपाल सिंह ने इसी के आधार पर सफल प्रयोग कर के दिखाया है , इसी तरह उन्होंने भरतपुर के अवधेश प्रताप लल्ला का नाम भी दिया है |

किसानों की ट्रेक्टर रैली से घबराए मोदी सरकार के मंत्री आजकल किसान आन्दोलन का मुकाबला करने के लिए तरह तरह के प्रपंच कर रहे हैं | कोई मंत्री दिल्ली से मुरैना के रास्ते में किसानों को बुला कर ट्रेन में उनके साथ लंगर खा रहा है , तो कोई हैलीकाप्टर से गाँवों में पहुंच कर किसानों को तीनों कानूनों के फायदे समझा रहे हैं | आंदोलनकारी किसानों ने भी सरकार को शर्मसार करने के लिए हेमा मालिनी को न्यौता दिया है कि वह आ कर उन्हें कृषि कानूनों के फायदे समझाएं , तो इतनी मशक्कत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भरतपुर जा कर किसानों को फायदे वाला यह प्रयोग भी देख आएं | आज कालम बहुत लम्बा हो रहा है , अब भंडारण प्रोसेसिंग और बाजार की चर्चा अपन कल करेंगे | ( कल भी )

 

 

 

 

 

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