अजय सेतिया / क्या कारण है कि मोदी विरोधी झूठ के नेरेटिव खड़े करने में कामयाब हो जाते है और मोदी के समर्थक बचाव मुद्रा में आ जाते हैं | मोदी समर्थक थक गए है , या उन के सपने टूटे हैं , जो वे अब प्रो एक्टिव हो कर विपक्ष पर उतने हमलावर नहीं होते,जितने 2013 से 2019 तक थे | हालांकि 2014 में सत्ता में आने के बाद भाजपा के वर्कर और मोदी समर्थक विपक्ष पर हमलावर हुआ करते थे , इसी वजह से अपनी प्रबुद्धता की झूठी शान बनाए रखने वाले जेएनयू के वामपंथी टोले को बेनकाब करने में कामयाब रहे थे | भारत में राफेल बनाने के लिए हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स का कांट्रेक्ट अनिल अम्बानी को दिलाने वाले राहुल गांधी के झूठ के भी मोदी की सोशल मीडिया टीम ने परखचे उड़ा दिए थे | राहुल गांधी का चोकीदार चोर का नारा खूब चला था , लेकिन उस से ज्यादा उन की खिल्ली उडी थी , क्योंकि वे राफेल को ले कर बेसिर पैर की बाते कर रहे थे | बाद में झूठे आरोपों पर उन्हें सुप्रीमकोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ी |
जम्मू कश्मीर में सेना पर पथराव करने वालों का बचाव करते हुए कांग्रेस के नेताओं ने सेना को गुंडे तक कह दिया था | उन्हें अच्छा नहीं लगा कि पाक को मुहं तोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने पहले एयर स्ट्राईक और फिर चुनाव से ठीक पहले बैक टू बैक सर्जिकल स्ट्राईक कर दिया था | तो उन्होंने पाकिस्तान के साथ जुगलबंदी करते हुए सेना और वायु सेना से सबूत मांगे | लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेसी नेता इतने हताश थे कि उन्हें मोदी विरोध और भारत विरोध में कोई फर्क नजर नहीं आता था | चुनाव हारने के बाद वह अब पागलपन की हद तक बढ़ गया है |
पहले सेना पर सवाल उठाया था और चुनाव हारने पर चुनाव आयोग से ईवीएम के सही होने का सबूत मांगने लगे , जबकि कांग्रेस ने खुद ही ईवीएम से चुनाव करवाना शुरू किया था | अयोध्या मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए गए , नई संसद बनाने का इस लिए विरोध किया जा रहा है ,क्योंकि आज़ादी के बाद की सब से बड़ी उपलब्धि का श्रेय मोदी को न मिले , जब सुप्रीम कोर्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे तो सुप्रीमकोर्ट पर फिर सवाल | सेना और चुनाव आयोग के बाद सुप्रीमकोर्ट की मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखा गया | लुटियन मीडिया भी पागलपन की भेडचाल से थका नहीं है | मीडिया में भी ऐसी अनेक काली भेड़ें हैं , जो आज भी राहुल , अखिलेश, ममता , केजरीवाल के साथ गलबहियां डालते हुए चुनाव आयोग से मशीनों के सही होने के सबूत मांगते रहते हैं | कांग्रेस ने 370 हटाने पर संसद के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल उठा दिया था | संसद से पारित नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ भी झूठ का नेरेटिव खड़ा किया गया कि संशोधन मुसलमानों को नागरिकता विहीन करने के लिए किया गया है , उन से सबूत माँगा जाएगा | लुटियन मीडिया भी इस झूठ को दुनिया भर में फैला रहा था | पहली बार मोदी के भक्तों की टीम लुटियन मीडिया और विपक्ष से हारती हुई दिखाई दी |
अब दूसरी बार लगता है कि मोदी की प्रचार टीम फेल हो गई है | किसान आन्दोलन भी नागरिकता संशोधन विरोधी आन्दोलन की तरह पूरी तरह झूठ पर आधारित है | तीनों में से कोई भी कृषि क़ानून किसानों पर बाध्यकारी नहीं है | अभी किसानों का आन्दोलन खत्म नहीं हुआ , खत्म होने के आसार भी नहीं क्योंकि नक्सलियों ने पंजाब में अम्बानी के जिओ टावरों को निशाना बना कर किसान आन्दोलन की आड़ में पूंजीवाद विरोधी हिंसक आन्दोलन शुरू कर दिया है | कांग्रेस तीनों कानूनों के पक्ष मे थी , पर भाजपा की टीम उसे बेनकाब नहीं कर पाई | डोकलाम के मुद्दे पर कांग्रेस चीन के साथ खडी थी , लद्दाख के मुद्दे पर सेना पर सवाल उठाए गए थे | कोरोनावायरस के मुकाबले में मोदी को विफल बताया गया था ,जबकि अब साबित हो रहा है कि भारत न सिर्फ कोरोनावायरस का मुकाबला करने में दुनिया में सब से ज्यादा सफल रहा , बल्कि वेक्सीन देने में भी अव्वल रहा | तो सेना ,चुनाव आयोग, सुप्रीमकोर्ट और संसद पर सवाल उठाने के बाद अब विपक्ष ने भारत के वैज्ञानिकों पर भी सवाल उठा दिया है |
भारत में बनी वेक्सीन दुनिया भर में जानी है , कोवाशिल्ड और कोवाक्सीन बनाने पर डब्ल्यूएचओ ने भारत के वैज्ञानिकों की तारीफ़ की है | दुनिया भर से मांग भी आ चुकी है , लेकिन अखिलेश यादव के बाद कांग्रेस के मनीष तिवारी ने भी वेक्सीन पर सवाल उठा दिए हैं , क्योंकि विपक्ष नहीं चाहता कि भारत का झंडा बुलंद हो , उन्हें लगता है कि भारत का झंडा बुलंद होगा तो मोदी का नाम भी बुलंद होगा | पर बड़ा सवाल यह है कि मोदी की टीम विपक्ष के झूठ और झूठे नेरेटिव को उस शिद्दत से बेनकाब क्यों नहीं कर पा रही , जिस शिद्दत से 2013 से 2019 तक कर रही थी |
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