दलबदल का मौसम आया

Publsihed: 11.Jan.2022, 21:10

अजय सेतिया / गोवा में भाजपा सरकार का मंत्री माइकल लोबो चुनाव का एलान होने के बाद पार्टी छोड़ गया | तो उत्‍तरप्रदेश के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा छोड़ गए | माइकल लोबो पूरे पांच साल भाजपा सरकार में मंत्री रहे और आखिर में भाजपा को दगा दे गए | मौर्य चुनावों से पहले पार्टी छोड़ने के आदि हो गए हैं | पिछले चुनावों से पहले उन्होंने बसपा छोड़ कर भाजपा ज्वाईन की थी | अब भाजपा छोड़ कर सपा | चुनावों से पहले दलबदल अनैतिक राजनीति की पराकाष्ट है | कोई मंत्री अपनी ही पार्टी से कैसे खफा हो सकता है , अगर खफा था तो चुनावों की घोषणा का इन्तजार क्यों कर रहा था | आख़िरी समय तक पद पर चिपके रहना राजनीति का सब से घटिया स्तर है | स्वामी प्रसाद के समर्थन में चार विधायकों बृजेश प्रजापति, भगवती प्रसाद सागर और रोशन लाल वर्मा ने भी भाजपा का साथ छोड़ दिया है | स्वामी प्रसाद मौर्य को भाजपा ने क्या नहीं दिया | उन्हें पांच साल मंत्री बनाए रखा और उन की बेटी संघमित्रा गौतम को बदाऊँ से लोकसभा का टिकट दे कर संसद में पहुंचा दिया | अब बेटी की बात चली है तो बताते जाएं कि बिधुनी से भाजपा विधायक विनय शाक्य के भी भाजपा छोड़ कर सपा में शामिल होने की खबर आई थी | लेकिन शाक्य मंगलवार सुबह से लापता थे | उनकी बेटी रिया शाक्य ने शाम को आरोप लगाया कि उनके बीमार पिता का अपहरण हो गया है | उसने अपने चाचा देवेंद्र शाक्य पर किडनैपिंग का आरोप लगाया | पर देवेंद्र शाक्य का कहना है कि उनके भाई विनय अपनी मर्जी से उनके साथ लखनऊ आए थे और उन्होंने सपा ज्वाइन कर ली है |

चुनावी मेढकों से किसी पार्टी का भला नहीं होता | पंजाब में सोनू सूद की बहन मालविका इस आश्वासन के साथ कांग्रेस में शामिल हुई है कि उन्हें मोगा सीट से विधानसभा का टिकट मिलेगा | लेकिन जैसे ही यह खबर आई , मोगा से कांग्रेस के मौजूदा विधायक ने बगावत कर दी | इलाके के सारे कांग्रेसी पंच सरपंच कांग्रेस छोड़ गए | इसी तरह  प्रधानमंत्री के टुकड़े टुकड़े कर देने की धमकी देने वाले कांग्रेस के नेता इमरान मसूद कांग्रेस छोड़ कर सपा में शामिल हो गए | वह 2007 में निर्दलीय चुनाव जीत गए थे | 2012 में कांग्रेस की टिकट पर हार गए तो 2013 में सपा ज्वाईन कर ली | लेकिन 2014 में कांग्रेस में लौट कर अपने चाचा रशीद मसूद की राजनीतिक विरासत को कायम रखने के लिए कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लडा , लेकिन हार गए | कांग्रेस ने उन्हें 2019 में भी लोकसभा टिकट दिया , लेकिन अब जब कांग्रेस को मुस्लिम नेताओं की जरूरत है तो वह राहुल गांधी का हाथ छोड़ कर सपा में शामिल हो गए | सपा में शामिल होने वालों की तादाद बढने से माहौल तो अखिलेश के पक्ष में बन रहा है , लेकिन चुनाव अगर 80 प्रतिशत बनाम 20 प्रतिशत हुआ , यानी हिन्दू  मस्लिम ध्रुविकरण पर हुआ तो सपा बुरी तरह निपटेगी |

दलबदल और अपहरण कर के दलबदल करवाने की अभी तो शुरुआत हुई है , आने वाले दिनों में भाजपा शासन वाले चारों राज्यों में दलबदल की कुछ और खबरें भी आएंगी | शरद पवार ने कहा है कि उत्तर प्रदेश से भाजपा के कम से कम 30 विधायक पार्टी छोड़ कर सपा में शामिल होंगे | भाजपा को यह समझने में अभी और वक्त लगेगा कि अपने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर के दलबदलुओं को तरजीह दे कर वे भी तो वही कर रहे हैं , जो एन चुनाव के मौके पर दलबदल करने वाले कर रहे हैं | भाजपा को निपटाने के लिए सारी शक्तियाँ अपना पूरा जोर लगाएंगी | शरद पवार ने खुल कर सपा का समर्थन करने का एलान कर ही दिया है | जिस तरह अपन ने गोवा में तृणमूल की रहनुमाई में महा गठबंधन की रणनीति का खुलासा किया था | तो उसी तरह यूपी में अखिलेश यादव की रहनुमाई में महा गठबंधन की तैयारी हो रही है | ममता बेनर्जी भी अखिलेश के समर्थन में आएंगी | केजरीवाल और उद्धव ठाकरे भी अखिलेश के समर्थन में आएँगे | यह रणनीति प्रशांत किशोर की बनाई हुई है | हालांकि अपने बचाव में उन्होंने यह भी कह दिया है कि महा गठबंधन जीत की गारंटी नहीं होती |

 

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