जाटलैंड में दो लडकों की जोड़ी का होगा क्या

Publsihed: 02.Feb.2022, 20:14

अजय सेतिया / कुछ दिन पहले जब स्वामी प्रसाद मौर्य , दारा सिंह चौहान और धर्मपाल सिंह सैनी के बम फूटे थे | तो लोग कहने लगे थे कि ओबीसी भाजपा से खफा हो चुके है , अब भाजपा की हार तय है | पर अब स्वामी प्रसाद मौर्य खुद की सीट बचाने के लिए मारे मारे फिर रहे हैं | जैसे ही कांग्रेस के नेता आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य नई सीट ढूँढने लगे | तीन बार से पडरोना से जीत रहे स्वामी प्रसाद कुशीनगर जिले की फाजिल नगर सीट पर भाग गए हैं | हालांकि उनके लिए यह लड़ाई भी आसान नहीं होगी | इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है | स्वामी प्रसाद मौर्य कहते हैं कि वह किसी से डरते नहीं हैं | वह तो अखिलेश यादव के कहने पर फ़ाज़िलनगर से लद रहे हैं | इज्जत गई , पर अकड नहीं गई वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए वह कहते हैं –“आरपीएन सिंह मेरे सामने कुछ भी नहीं हैं | पडरौना से सपा जिसे टिकट देगी,वह आरपीएन सिंह को  हरा देगा |” पर पड़रोना आरपीएन सिंह का घर है | वह पडरौना सीट से 1996, 2002 और 2007 में विधायक रहे हैं | यहां 'राजा साहब' के नाम से पुकारे जाने वाले आरपीएन कुर्मी-सैंथवार जाति से आते है | पडरौना में कुर्मी वोटरों की संख्या काफी है और अपने इलाके के सजातीय वोटों पर उनकी खासी पकड़ मानी जाती है |

चलिए अब जाटलैंड चलते हैं | पश्चिम उतर प्रदेश की चुनावी जंग मजेदार हो गई है | इस चुनावी जंग ने 2017 की याद ताज़ा कर दी है | तब भाजपा को हराने के लिए राहुल और अखिलेश की जोड़ी बनी थी | अपने आप को चुनावों का धुरंधर समझने वाले प्रशांत किशोर ने राहुल और अखिलेश का समीकरण बनवाया था | पी.के कहते थे कि उन्होंने मोदी को चाय की चुस्की पर जीता दिया था | तो इन दोनों लडकों को खाट पर बिठा कर जीता देंगे | तब इसी पश्चिमी उतर प्रदेश में जाटों ने दोनों की खाटें खूब लूटीं थी | क्योंकि वे 2013 के जख्म भूले नहीं थे | तब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे | समाजवादी पार्टी ने दो जाट युवकों की हत्या करने वाले मुस्लिम दंगाईयों को सम्मानित करने का काम किया था | जाट वे जख्म आज भी नहीं भूले हैं | पर वे अपने जाट भाई जयंत चौधरी की राजनीतिक दुर्दशा से भी दुखी हैं | जयंत चौधरी की पार्टी पिछली बार सिर्फ एक सीट जीत पाई थी | बाद में वह जीता हुआ विधायक भी भाजपा में चला गया था | फिर 19 का लोकसभा चुनाव बाप-बेटा अजित सिंह और जयंत चौधरी दोनों हार गए थे | अजित सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं | लेकिन अपनी राजनीतिक दुर्दशा से निकलने के लिए जयंत ने अखिलेश से हाथ मिला लिया | अगर वह भाजपा से गठबंधन करते तो ज्यादा फायदे में रहते | पर भाजपा ने भी आफर देने में देर कर दी | पिछली बार आफर दी गई थी , तो अजित सिंह ने बड़ा मुहं खोल लिया था |

खैर अब यह नई दो लडकों की जोड़ी भाजपा को हराने के लिए दिन रात एक कर रही है | लेकिन योगी आदित्य नाथ अभी भी उन पर भारी पड रहे हैं | वह जाटों के जख्म हरे कर रहे हैं | ताकि जयंत के चक्कर में जाट गलती न कर जाएं | योगी पश्चिमी उतर प्रदेश में अपनी सभाओं में कहते हैं  "ये जो दो लड़कों की जोड़ी आई है न... ये दो लड़कों की  जोड़ी 2017 में भी बनी थी और 2014 में भी बनी थी | राज्य की जनता ने  दिल्ली वाले और लखनऊ वाले की जोड़ी को ठुकरा दिया था | याद करिए जब सचिन तथा गौरव नाम के दो जाट युवकों की निर्मम हत्या हुई थी | जिस कारण मुजफ्फरनगर का दंगा हुआ था | तब लखनऊ वाला लड़का ही सत्ता में था और हत्या करवा रहा था | दंगाइयों को लखनऊ में बुलाकर उनका सम्मान कर रहा था | भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता उन दंगाइयों के खिलाफ आवाज उठा रहा था | तब अखिलेश उनके खिलाफ झूठे मुकदमें दर्ज करवाकर जेल में बंद करवा रहा था | दिल्ली वाला लड़का तब भी कहता था कि दंगाइयों के खिलाफ ज्यादा कार्रवाई नहीं होनी चाहिए |" योगी कहते हैं माल तो वही है, लिफाफा नया है | योगी का हमला ठीक उसी तरह का है | जैसे बिहार विधानसभा के चुनाव में मोदी ने राहुल और तेजस्वी को "डबल युवराज" कहते हुए किया था | यह हमला काम करता दिखता है |

 

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