विरोधियों की विदाई के हीरो बने मोदी

Publsihed: 09.Feb.2021, 19:58

अजय सेतिया / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ अपना हुलिया नहीं बदला , मिजाज भी बदल लिया है | पिछले दो दिन से राज्यसभा में बदले बदले से नजर आए | सोमवार को जब राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए वह कृषि कानूनों की वकालत कर रहे थे , तो 26 जनवरी को लाल किले पर तिरंगे का अपमान होने के बावजूद गुस्से में नहीं थे | रिहाना, ग्रेटा, सुसेन के ट्विटो से किसान आन्दोलन के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ जाहिर हो जाने के बावजूद उन का लहजा विनम्रता वाला था | इन्हीं सब को उन्होंने फारेन डिसट्रेकटिव आइडियोलोजी बताते हुए , इन से देश को सावधान रहने को कहा | जिस बात को अपन कई दिन से लिख रहे थे कि मोदी विरोधी पिछले छह साल से हर आन्दोलन में दिख रहे हैं , उसे उन्होंने जन्मजात आंदोलनजीवी का नाम दे कर बेनकाब भी किया |

26 जनवरी की घटना के बाद अपन ने 28 जनवरी को लिखा था-“ क्या आप इसमें समानता नहीं देखते कि 2014 के बाद से हर सरकार विरोधी आन्दोलन का चेहरा रहे जेएनयूवादी वामी योगेन्द्र यादव , अरुंधती राय , कविता कृष्णन , प्रशांत भूषण , हन्नान मौला किसान आन्दोलन को भी भटका रहे थे |” इन्हीं सब की ओर इशारा करते हुए मोदी ने कहा ये 'आंदोलनजीवी' पूरे देश में कहीं भी कुछ चल रहा होता है वहां पहुंच जाते हैं | देशवासियों को इन 'आंदोलनजीवियों' से बचकर रहना होगा | क्योंकि, ये खुद तो कोई आंदोलन चला नहीं सकते लेकिन, कहीं अगर आंदोलन चल रहा हो तो वहां पहुंच जाते हैं | ये 'आंदोलनजीवी' ही परजीवी हैं, जो देश में हर जगह मिलते हैं |

उन्होंने कृषि सुधारों के लिए सामने बैठे मनमोहन सिंह का पिछ्ला बयान पढ़ कर , देवेगौडा के भाषण का जिक्र कर के , लाल बहादुर शास्त्री और चरण सिंह के भाषणों का हवाला दे कर कृषि कानूनों पर सभी विरोधियों को बेनकाब भी किया और विनम्रता से उन का समर्थन भी माँगा | अपन लोकसभा टीवी के स्टूडियो में बैठे मोदी का भाषण सुन रहे थे , क्योंकि भाषण खत्म होते ही एक घंटे तक भाषण की समीक्षा करनी थी | एंकर मनोज वर्मा ने भाषण खत्म होते ही बगल में बैठे तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय पर सवाल दागा , तो मोदी के भाषण से अभिभूत सौगत राय भी उनके बदले मिजाज की तारीफ़ करने लगे | जो लोग मोदी को अहंकारी और विपक्ष पर हमेशा आक्रमक रहने वाला बता कर आलोचना करते रहते थे , वे भी मोदी के भाषण से अभिभूत थे | 

मोदी का यही बदला हुआ रूप मंगलवार को भी राज्यसभा में दिखा , जब वह जम्मू कश्मीर के चार सांसदों गुलाम नबी आजाद , शमशेर सिंह , मीर मोहम्मद फैयाज और नादिर अहमद की विदाई पर बोल रहे थे | उन्होंने सब की तारीफ़ के पुल तो बांधे , लेकिन गुलामनबी आज़ाद का जिक्र करते हुए इतने भावुक हो गए कि उन का गला रूंध गया और आँखे छलक आई | गुलाम नबी का भी अपने विदाई भाषण में नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधते हुए गला रूंध गया और आँखें भर आई | दोनों 2006 में आठ गुजराती तीर्थ यात्रियों की कश्मीर में हुई हत्या का जिक्र कर के भावुक हुए थे | तब आज़ाद कश्मीर के और मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे | पर पता नहीं सोनिया गांधी दोनों के इस आपसी आंसुओ के रिश्ते पर क्या सोचती होंगी , गुलामनबी ताउम्र कांग्रेसी रहे , लेकिन पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व को लेकर 23 काग्रेसियों के साथ लिखी चिठ्ठी के बाद वह संदिग्धों की श्रेणी में हैं |  गुलामनबी ने यह कह कर सारे सदन का दिल जीत लिया कि वह उन खुशकिस्मत लोगों में से हैं जो कभी पाकिस्तान नहीं गए , लेकिन जब वह पाकिस्तान के हालात पढ़ते हैं तो उन्हें गौरव और फख्र महसूस होता है कि वह हिंदुस्तानी मुसलमान हैं | वह यहीं पर नहीं रुके ,उन्होंने कहा कि आज विश्व में अगर किसी मुसलमान को गर्व होना चाहिए तो वह हिंदुस्तान के मुसलमान को होना चाहिए | मोदी का बदला हुआ मिजाज था , तो गुलामनबी आज़ाद का भी सच्चे देशप्रेमी रूप सदन ने देखा | ऐसा देशभक्त कश्मीरी मुस्लिम राज्यसभा में मनोनीत होने का हक तो रखता ही है | अपन इन्तजार करेंगे |

लेकिन आश्चर्य तो तब हुआ , जब 370 हटाए जाने पर सदन में कुर्ता फाड़ने वाले पीडीपी के सांसद एम्एम फयाज जम्मू कश्मीर की बदली फिजां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ के पुल बाँधने लगे | पता नहीं उस दिन को लोकतंत्र का स्याह दिन बताने वाली फयाज की नेता महबूबा मुफ्ती उन के बारे में क्या सोचेगी और कैसा सलूक करेगी , लेकिन फयाज ने दिल खोल कर कहा कि 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में जो काम हो रहे हैं , उसे स्वीकार करना चाहिए, कल तक हमारे घरों की महिलाएं जंगल से लकड़ी लाकर खाना बनाती थी, लेकिन आज सरकार ने सब को उज्जवला योजना में गैस उपलब्ध करवा दिया है | फयाज ने सिर्फ मोदी की नहीं , उन की केबिनेट के मंत्रियों का नाम ले ले कर  उन की भी तारीफ़ की | मोदी के दो दिन के बदले मिजाज पर विपक्ष के नेता कह रहे हैं -आज तुम्हारी बातें सुन कर यही सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या ये वही है , जिनके लिए हम खुद से दूर हो गए |

 

 

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