India Gate Se

Published: 24.Feb.2021, 22:25

अजय सेतिया / पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग का अपन दिल्ली या भोपाल में बैठ कर अंदाज नहीं लगा सकते | टीवी चैनल अपन को जो दिखा रहे हैं , वह असल में अपन को दिखाने के एवज में सिर्फ विज्ञापन हथियाने का धंधा है | अपन मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा की रैलियों को लाईव देख कर अंदाज लगाते हैं कि बंगाल में बदलाव की हवा चल पड़ी है | भारतीय जनता पार्टी को बस अपने मुख्यमंत्री का ही चुनाव करना है | पर कई बार जो होता है , वह दिखता नहीं , जो दिखता है वह होता नहीं | वैसे यह अपन बंगाल के संदर्भ में नहीं कह रहे , जिंदगी में जो होता है , वह कह रहे हैं | क्योंकि दिल्ली , भोपाल या देश के किसी अन्य हिस्से में बैठ कर अपन बंगाल की जमीनी हकीकत का अंदाज इस लिए नहीं लगा सकते , क्योंकि अपन उत्तर भारतीय सिर्फ हिन्दी सुनते समझते हैं , ममता और उनकी टीम के जवाबी भाषण न तो अपन को उतने दिखाए जा रहे हैं , न अपन को समझ आते हैं | इसलिए अपन एक तरफा ही अनुमान लगा सकते हैं |

टीवी चेनलों ने अभी चुनावी सर्वेक्षणों का अपना खेल भी शुरू करना है , उस में भी शुरुआती रुझान भाजपा के पक्ष में आना है , फिर धीरे धीरे अपनी इज्जत…

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Published: 23.Feb.2021, 20:49

अजय सेतिया/ मोदी सत्ता में आए तो रसोई गैस राशन कार्ड पर मिलती थी , उस का भी प्रति परिवार कोटा तय था |मनमोहन सिंह सब्सिडी वाले घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 414 रुपए छोड़ गए थे , तब भी सरकार प्रति सिलेंडर 827 रूपए की सब्सिडी दे रही थी | यानी बिना सब्सिडी के सिलेंडर उस समय 1241 रुपए का था | मोदी ने पहले तो कीमतें घटाई और कोटा खत्म किया | फिर सम्पन्न उपभोक्ताओं को सब्सिडी छोड़ने को कहा | मोदी के कहने पर एक करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं ने रसोई गैस पर सब्सिडी छोड़ दी थी | इस बीच मोदी राज में रसोई गैस की कीमतों में काफी कटौती हो चुकी है | दिल्ली में इस समय सब्सिडी वाला सिलेंडर 563 रुपए का और बिना सब्सिडी के 858 रुपए में मिल रहा है | लेकिन मोदी के आने के बाद अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें घटने के बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल में आग लगी हुई है | राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल पम्पों ने कीमत दिखाना ही बंद कर दिया है , क्योंकि पम्पों के मीटर में दहाई के आंकड़े का ही प्रावधान था , लेकिन पेट्रोल ने सौ रूपए का आंकडा छू लिया है |

आप को मजेदार बात बताएं , नेपाल…

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Published: 22.Feb.2021, 15:32

अजय सेतिया / रविवार शाम को रिपब्लिक टीवी पर पीपुल्स आर्मी के पेंगोंग झील से पीछे हटने पर बहस हो रही थी | रक्षा विशेषग्य इसे भारत की कूटनीतिक और सामरिक जीत बता रहे थे | मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता विवेक श्रीवास्तव इसे मानने को तैयार नहीं थे , क्योंकि चीन का पीछे हटना उन्हें रास नहीं आ रहा था | अपन को ताज्जुब तब हुआ जब उन्होंने छाती ठोक कर कहा कि वह चीन को बेहतर जानते हैं | इसे कहते हैं बिल्ली का थैले से बाहर आ जाना | जिस तरह मुसलमान भारत को मातृभूमि मानने को तैयार नहीं होते , वे मक्का को अपनी मातृभूमि-पितृभूमि मानते हैं , उसी तरह कम्युनिस्ट चाहे कहीं भी रह रहे हों चीन को अपनी मातृभूमि पितृभूमि मानते हैं | इस लिए विवेक श्रीवास्तव का ताल ठोक कर कहना था कि चीन पीछे नहीं हटेगा |

हालांकि विवेक श्रीवास्तव की इस बात में दम है कि जब चीन पीछे हट रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का यह दावा गलत साबित हो गया है कि चीन ने भारत में घुसपैठ नहीं की थी | अपना मानना यह है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कूटनीतिक , सामरिक दबाव के कारण अपने बयान में यह…

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Published: 19.Feb.2021, 21:14

अजय सेतिया / केरल की सियासत कुछ नया होने के इंतजार में है | मेट्रो मैन ई श्रीधरन देश की कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं | कांग्रेस , कम्युनिस्ट और भाजपा तीनों पार्टियां उन की काबिलियत का फायदा उठा चुकी हैं | कोलकाता में जब मेट्रो बनी थी तो वहां कम्युनिस्ट सरकार थी | कोच्ची में भारत का पहला जहाज एम वी रानी पद्दमिनी बना तो केरल में कांग्रेस सरकार थी | कोंकण रेलवे केंद्र में जनता और कांग्रेस सरकारों के समय बनाई गई  | दिल्ली में मेट्रो भाजपा सरकार के समय बनाई और अभी अभी कोच्चि मेट्रो और पलारीवट्टोम रोड ओवरब्रिज केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने सलाहाकार बना कर पूरा करवाया | यानी उन की काबिलियत का लोहा सभी मानते हैं | इसी लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने पद्मश्री से अलंकृत किया था , तो मनमोहन सिंह ने पद्मभूषण से | देश के निर्माण में उन के योगदान को देश कभी नहीं भूल सकता | देश में उन का सम्मान अब्दुल कलाम के बराबर का है , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सही समय पर निगाह पड़ी होती तो 2017 में वह राष्ट्रपति पद के उपयुक्त उम्मींद्वार होते |  

अगर ऐसा हो जाता तो देश में एक धारणा बनती कि भाजप…

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Published: 18.Feb.2021, 20:15

अजय सेतिया / भाजपा के मोटा भाई यानी अमित शाह इस समय बंगाल में हैं , जहां भाजपा ने ममता बेनर्जी के साथ साथ कांग्रेस और वामपंथियों की भी नींद हराम कर दी है | भाजपा इसी तरह बमबारमेंट शैली में चुनाव लडती है | जहां भी चुनाव होने वाले होते हैं , देश भर से भाजपा के चुनावी महारथी महीनों पहले डेरा जमा लेते हैं | पिछले दो महीनों से दर्जनों राज्यों के संगठन महामंत्री बंगाल के जिलों में डेरा जमाए हुए हैं | परेशान ममता उन्हें बाहरी बता कर खारिज करना चाहती है | पर क्या ममता भूल गई कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने बांग्लादेश के मशहूर एक्टर फिरदौस अहमद से अपना चुनाव प्रचार करवाया था | जब यह बात मीडिया में आई तो बिजनेस वीजा पर आए  फिरदौस का वीजा कैंसिल किया गया था |

ममता भूल रही हैं , चुनाव तय चुनावी प्रक्रिया से ही होता है | बाहरी लोग राज्य में चुनाव नहीं लड सकते , चुनाव तो स्थानीय वोटर ही लड़ेंगे | पर यहाँ सवाल दूसरा है कि ममता या ममता जैसे दूसरे राजनीतिक नेता भाजपा के दो महारथियों मोदी और अमित शाह से डरे क्यों हुए हैं , अब तो उन में य…

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Published: 17.Feb.2021, 20:56

अजय सेतिया / कूटनीतिक और सामरिक मामलों में सब कुछ खोल कर नहीं कहा जाता , इस की वजह सामने वाले के कदमों का इंतजार करना होता है | अब ताजा खबर यह आई है कि चीन ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे फिंगर पांच से पीछे हटना शुरू कर दिया है | समझौते  के अनुसार वह अब फिंगर आठ से आगे नहीं आएगा | कांग्रेस पार्टी के चीन सरकार के साथ हस्ताक्षरित समझौते के कारण राहुल गांधी भारत सरकार से ज्यादा चीन सरकार के नजदीक हैं, इसलिए उम्मींद की जाती थी कि उन्हें चीन से सही जानकारी मिली होगी | उन्होंने जब ट्विट कर के और बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर यह कहा कि भारत ने अपनी जमीन गवां दी है , तो अपने जैसे लोगों को भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर शक पैदा हुआ कि वह देश को सच बता रहे हैं या नहीं |

राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए बयान के बाद राहुल गांधी का कहना था कि भारत ने समझौते में अपनी जमीन खो दी है | उन का यह बयान मोदी विरोधी रक्षा पत्रकार अजय शुक्ला के ट्विट पर आधारित था , जिन का कहना है कि भारत ने फिंगर 3 से फिंगर 8 के बीच का दस किलोमीटर का क्षेत्र खो दिया है | राजनाथ सिंह के बयान में क…

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Published: 16.Feb.2021, 19:47

अजय सेतिया / कांग्रेस को शायद समझ ही नहीं आ रहा कि वह कर क्या रही है | तीनों कृषि कानूनों को बिना बहस या जल्दबाजी में पास किए जाने पर उस का एतराज सही हो सकता है | फिर भी वह क़ानून को काला नहीं कह सकती , क्योंकि इन तीन में से दो कानूनों का वायदा तो खुद कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में किया था | कृषि मंत्री ने राज्यसभा में पूछा भी था कि इस में काला क्या है, वह बताओ | प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए लोकसभा में कहा था कि कांग्रेस क़ानून के कलर की बात करती है , इंटेंट और कंटेंट की बात नहीं करती | लेकिन इन सब कटाक्षों और बयानबाजियों के बीच महत्वपूर्ण यह है कि तीनों क़ानून बाध्यकारी नहीं है , इसलिए आन्दोलन की बात समझ नहीं आती | सरकार किसानों से जबरदस्ती कोई नील की खेती नहीं करवा रही कि कांग्रेस आन्दोलन का समर्थन कर रही है |

आन्दोलन के पीछे का रहस्य जाने बिना राहुल गांधी हर रोज समर्थन में ट्विट करते रहे | 26 जनवरी की घटना के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं को राहुल गांधी पर नकेल डालनी चाहिए थी , उन्हें कहना चाहिए था कि 26 जनवरी की घटना की जांच होने तक वह अपना मु…

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Published: 12.Feb.2021, 21:02

अजय सेतिया / अपन थोड़ा कन्फ्यूज हैं कि सामरिक मामलों के विशेषग्य ब्रह्म चेलानी से शुरू करें , रक्षा पत्रकार अजय शुक्ला से शुरू करें या चीन के विशेषग्य राहुल गांधी से शुरू करें | राहुल गांधी को अपन चीन का विशेषग्य इस लिए मानते हैं , क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी का चीन सरकार के साथ गोपनीय समझौता किया हुआ है | जिस की तस्वीरें तो सामने आ चुकी हैं, लेकिन कंटेंट सामने नहीं आया | अगर दस्तखत करने वाली तस्वीरें सामने नहीं आती तो ऐसे किसी समझौते से उसी तरह इनकार कर दिया जाता , जैसे चीन के राजदूत के साथ गुप्त मुलाक़ात से इनकार किया था | पर तस्वीर ने उस मुलाक़ात का भी भेद खोल दिया था | राहुल गांधी का अपना विजन तो साफ़ समझ आ जाता है , जब किसानों की बात हो रही होती है तो वह गुमसुम बैठे रहते हैं , जब चीन सीमा पर रक्षा मंत्री का बयान हो रहा होता है , तो वह गुमसुम बैठे रहते हैं | फिर अगले दिन जब खिलौने में चाबी भरी जाती है , तो बोलते हैं , यानी उन्हें कोई और बुला रहा होता है |

वह चौथी बार के सांसद…

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Published: 11.Feb.2021, 21:23

अजय सेतिया / बुधवार के वाकआउट के बाद गुरूवार को राहुल गांधी तैयारी कर के आए थे | प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा था कि विपक्ष कानूनों के कंटेंट और इंटेंट कर नहीं बोल रहा , क़ानून का कलर बता रहा है | इस के जवाब में गुरूवार को राहुल गांधी बजट की बजाए सिर्फ कृषि कानूनों के कंटेंट और इंटेंट पर बोले | तीनों कानूनों पर उन की आपत्तियां वही हैं , जिन का जिक्र अपन पहले करते रहे हैं , जिन्हें किसानों ने भी तीसरी और चौथे दौर की बातचीत में सरकार के सामने रखा था | इन में से एक आपत्ति को तो सरकार भी जायज मानती है और कृषि मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर क़ानून में सुधार का वायदा किया था |

पहला क़ानून किसानों को अपनी फसल मंडियों से बाहर कहीं भी बेचने की छूट वाला है , लेकिन राहुल गांधी ने इसे उलटा किया , उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी अनाज, फल खरीद सकता है | उन की आपत्ति यह थी कि इस से मंडियां बर्बाद हो जाएँगी , सरकार का असल इरादा मंडियों को खत्म करना है ,क्योंकि अगर देश में मंडियों से बाहर अनलिमिटेड खरीदी होगी तो मंडी में जाकर कौन खरीदेगा ? पहले कानून का कंटेंट और इसका लक…

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Published: 11.Feb.2021, 09:32

अजय सेतिया  / अपन को मोदी की सब से अच्छी बात यह लगी कि ब्यूरोक्रेसी के बारे में उन की आँखे खुलने लगी है | उनके रूख में परिवर्तन होने लगा है | अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों और पार्टी नेताओं के मुकाबले ब्यूरोक्रेसी को ज्यादा महत्व देने पर अपन हमेशा आलोचक रहे हैं | अपन इसी कालम में लिख चुके हैं कि सामान्य स्नातक की डिग्री ले कर आईएएस बनने वाले किसी भी विषय के विशेषग्य नहीं होते , लेकिन दुर्भाग्य यह है कि उन्हें ही सब विषयों का विशेषग्य माना जाता है | इतना ही नहीं , रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें विशेषग्य के तौर पर मंत्रालयों में सलाहाकार नियुक्त कर दिया जाता है , यह परम्परा मोदी के राज में बढी है | मोदी ने ज्वाईट सेक्रेटरी लेवल पर सीधी भर्ती का एलान किया था , लेकिन एक नियुक्ति के बाद ही ब्यूरोक्रेसी के दबाव में आ गए थे | अपन सब जानते हैं कि देश के सारे पीएसयू का भठ्ठा बिठाने में उन्हीं ब्यूरोक्रेट्स की भूमिका है | मोदी ने जब ब्यूरोक्रेट्स को दूध देने वाले पीएसयू को बेचना शुरू किया तो ब्यूरोक्रेसी का सच उन के सामने आने लगा है , क्योंकि वे कांग्रेस और मीडिया के माध्यम से विरोध खड़ा…

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