अजय सेतिया / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे से कईयों के पेट में दर्द शुरू हो गया है | इन में विरोधी दलों के नेता तो हैं हीं , कई पत्रकार भी हैं | जिन्हें मोदी का किया कोई काम नहीं सुहाता | ऐसे पत्रकार खुद को विपक्ष का नेता मान कर व्यवहार करते हैं , वे टीवी पर हों तो विपक्ष के नेता से भी ज्यादा ऊंची आवाज में बोलते हैं | अखबार में हों तो विपक्षी नेता के बयान से भी ज्यादा तीखे अंदाज में लिखते हैं | ऐसा ही कुछ शुकवार को देखने को मिला , जब एबीपी की युवा एंकर रुबिका लियाकत ने मोदी के बांग्लादेश के लिए किए गए सत्याग्रह वाले बयान पर ट्विट किया तो किताबें पढ़ कर ट्विट करने वाले एबीपी के ही अभिनव पांडे उन से भीड़ गए | पांडे यह मानने को तैयार नहीं थे कि मोदी ने बांग्लादेश के लिए सत्याग्रह किया होगा | वह पिछले एक हफ्ते से नेहरू का स्तुतिगान करने वाली किताब से अंश ट्विट कर के खुद की लीनिंग बता रहे थे | नेहरु –इंदिरा को महान मानने वाले असल में एकतरफा लिखा हुआ इतिहास ही पढ़ते हैं |
बांग्लादेश की निर्वासित सरकार को मान्यता दिलाने के लिए जनसंघ के सत्याग्रह के बारे मे…
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