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Published: 27.Mar.2021, 19:13

अजय सेतिया / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे से कईयों के पेट में दर्द शुरू हो गया है | इन में विरोधी दलों के नेता तो हैं हीं  , कई पत्रकार भी हैं | जिन्हें मोदी का किया कोई काम नहीं सुहाता | ऐसे पत्रकार खुद को विपक्ष का नेता मान कर व्यवहार करते हैं , वे टीवी पर हों तो विपक्ष के नेता से भी ज्यादा ऊंची आवाज में बोलते हैं | अखबार में हों तो विपक्षी नेता के बयान से भी ज्यादा तीखे अंदाज में लिखते हैं | ऐसा ही कुछ शुकवार को देखने को मिला , जब एबीपी की युवा एंकर रुबिका लियाकत ने मोदी के बांग्लादेश के लिए किए गए सत्याग्रह वाले बयान पर ट्विट किया तो किताबें पढ़ कर ट्विट करने वाले एबीपी के ही अभिनव पांडे उन से भीड़ गए | पांडे यह मानने को तैयार नहीं थे कि मोदी ने बांग्लादेश के लिए सत्याग्रह किया होगा | वह पिछले एक हफ्ते से नेहरू का स्तुतिगान करने वाली किताब से अंश ट्विट कर के खुद की लीनिंग बता रहे थे | नेहरु –इंदिरा को महान मानने वाले असल में एकतरफा लिखा हुआ इतिहास ही पढ़ते हैं |

बांग्लादेश की निर्वासित सरकार को मान्यता दिलाने के लिए जनसंघ के सत्याग्रह के बारे मे…

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Published: 26.Mar.2021, 20:08

अजय सेतिया / उत्तर भारत से ठुकराए जा चुके राहुल गांधी ने पिछले दिनों केरल में दक्षिण की राजनीतिक संस्कृति की तारीफ़ की थी | उन्हें उत्तर भारत के लोग अब उतने पसंद नहीं आते ,क्योंकि वे उन्हें लगातार ठुकराते जा रहे हैं | राहुल गांधी हिन्दी अच्छी नहीं जानते , शायद इस लिए उत्तर भारतीयों ने उन्हें ठुकरा दिया | अब जब तक कोई संस्कृत नहीं जाने तो दक्षिण भारतीय भाषाएँ भी कोई खाला जी घर नहीं | बाकी सभी उत्तर भारतीय नेताओं की तरह वह भी अनुवादकों से काम चला रहे हैं , लेकिन आप ने वह वीडियो भी देखा होगा , जिस में कांग्रेस के एक बड़े नेता राहुल की अंगरेजी भी नहीं समझ पा रहे थे |

पर अपना माथा तब से ठनका हुआ है , जब से राहुल गांधी ने दक्षिण भारत की राजनीतिक संस्कृति की तारीफ़ की है | अपनी दक्षिण भारत की यात्राओं में अपन ने जो राजनीतिक संस्कृति देखी थी , वह बड़ी शान-ओ-शौकत वाली थी | वहां राजनीतिग्य तो सभी अरबपति हैं , लेकिन आम जनता दो रूपए किलो के सरकारी चावल पर ही निर्भर है | इस लिए अपन ने जयललिता और करुणानिधी के जमाने से ही चुनावों में हमेशा दो जोड़ी मुफ्त धोती और दो रूपए किलो चावलों…

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Published: 25.Mar.2021, 21:02

अजय सेतिया / देश में सरकारी और निजी अस्पतालों आदि में 35 लाख नर्सें हैं , अगर एक नर्स दिन में आठ घंटे काम करे तो वह एक दिन में 400 टीके लगा सकती है | इस तरह एक दिन में देश भर में 14 करोड़ लोगों का वेक्सीनेशन किया जा सकता है | हालांकि अपने पास अभी इतनी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है , इस लिए सरकार कदम दर कदम आगे बढ़ रही है , अब पहली अप्रेल से 45 साल से ज्यादा उम्र वालों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है | अपना मानना है कि इस उम्र के लोगों में जागृति ज्यादा होने के कारण वैक्सीन सेंटरों पर भीड़ दिखाई देने लगेगी और टीकाकरण की रफ्तार बढ़ेगी | डाक्टर देवी शेट्टी सरकार का सुझाव है कि सभी निजी अस्पतालों को वेक्सीनेशन की इजाजत दे कर टीकाकरण में तेजी लानी चाहिए , इस लिए अपना मानना है कि हर रोज कम से कम दो करोड़ का लक्ष्य तय किया जाना चाहिए ताकि दो महीनों में सौ करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य पूरा किया जाए , इस के लिए जरूरी है कि दोनों निर्माता कम्पनियों को उत्पादन बढाने के लिए कहा जाए और जैसा कि अपन ने कल लिखा था फिलहाल निर्यात बंद किया जाए |

हालांकि यह भारतीय स्टेट बैंक का काम नहीं था , ले…

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Published: 24.Mar.2021, 21:06

अजय सेतिया / जब से कोरोनावायरस शुरू हुआ है , शायद ही कोई ऐसा दिन गया होगा , जब उस पर राजनीति नहीं हुई हो | याद करो वे दिन जब जनता कर्फ्यू का मजाक उड़ाया गया था |  ताली और थाली का मजाक बनाया गया था कि पूरी दुनिया जिस महामारी से जूझ रही है , नरेंद्र मोदी उसे ताली-थाली और दीए जला कर  भगाना चाहते हैं | जबकि ताली-थाली का मकसद डाक्टरों , नर्सों और सफाई कर्मचारियों का हौंसला बढाना था और यह कोई भारत में नहीं हुआ , दुनिया के अनेक देशों में इसी तरह ही हौंसला अफजाई की गई थी | फिर कुछ ख़ास समुदाओं के मुहल्लों में डाक्टरों और नर्सों पर किस तरह हमले हुए , कोरोनावायरस को फैलाने की मूर्खतापूर्ण घटनाएं भी सामने आई थीं , जिस कारण मुहल्ला कमेटियों को रेहडी वालों के प्रवेश पर रोक लगानी पड़ी | विपक्षी दलों और ख़ास किस्म के मीडिया ने लाकडाउन और सारे बंदोबस्तों के लिए भी मोदी सरकार को नहीं बख्शा , लाकडाउन के कारण दुनिया भर में मंदी आनी ही थी , भारत में भी आई, लेकिन विपक्ष ने इसे भी राजनीतिक मुद्दा बनाया |

फिर वेक्सीन आई तो उस पर भी बेहूदा सवाल उठाए गए , लेकिन विपक्ष के नकारात्मक रवैए…

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Published: 23.Mar.2021, 18:31

अजय सेतिया / कांग्रेस ही नहीं बाकी सभी सेक्यूलर दल भी या तो खुल कर उद्धव सरकार के सीएमपी की यह कह कर वकालत कर रहे हैं कि यह सरकार गिराने की साजिश है या फिर चुप्पी साध कर समर्थन दे रहे हैं | वाजपेयी के जमाने से साझा सरकारें सीएमपी यानी कामन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर चलती हैं , प्रकाश जावडेकर की नजर में उद्धव सरकार का सीएमपी “कुलेकटिंग मनी थ्रू पुलिस” है | अब जब कि यह स्थापित होने जा रहा है कि महाराष्ट्र में वसूली उद्योग ठीक उसी तरह चल रहा है , जैसे लालू यादव के राज में बिहार में फिरौती उद्योग चला था |

इस से पहले कि अपन महाराष्ट्र के वसूली उद्योग की खुली परतों का जिक्र करें , अपन को यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं कि देश के हर राज्य में यह उद्योग चल रहा है | हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला गैरकानूनी पोस्टिंग मामले में ही जेल में हैं | ट्रांसफर पोस्टिंग एक उद्योग है , एक्साईज डिपार्टमेंट का अलग उद्योग है , ट्रांसपोर्ट विभाग का अलग उद्योग है , खनन विभाग का अलग उद्योग है , पुलिस की हफ्ता वसूली अलग से है | इसी लिए ये डिपार्टमेंट मालदार डिपार्टमेंट माने जाते है…

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Published: 19.Mar.2021, 12:59

अजय सेतिया / उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत ने टीवी चैनलों को आधे आधे घंटे का मसाला दे दिया | शायद ही कोई मुख्यमंत्री अपने पहले ही बयान में इतना चर्चित हुआ हो , जितना तीर्थ सिंह रावत हो गए | उन्होंने फटी जींस पहनने वालों पर टिप्पणी क्या की  विचार शून्य मीडिया को भाजपा के खिलाफ बोलने का एक और मसाला और टीआरपी का बहाना मिल गया | कई चैनलों को फटी जींस का कार्यक्रम सिर्फ इस लिए चलाना पड़ा , क्योंकि सामने वाला चेनल टीआरपी बटौर रहा था | पर इस नाते बोलने की आज़ादी का रोना रोने वालों की पोल खुल गई  | तीर्थ सिंह रावत की आलोचना में आधे आधे घंटे के टीवी प्रोग्राम करने वाले वही लोग हैं , जो कल तक अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को खतरे में बता कर स्क्रीन काली कर रहे थे , लेकिन तीर्थ सिंह रावत की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर हमलावर हो गए | तीर्थ सिंह रावत को भी वैसे ही अपनी बात कहने का हक है , जैसे आप को फटे कपड़े पहनने का हक है | फटी जींस कहाँ , आजकल तो फटे ब्लाऊज का भी ट्रेंड चल रहा है |

सवाल यह है कि फटी जींस पहनना क्या फैशन है , अगर यह फैशन है , तो आया कहाँ से |…

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Published: 18.Mar.2021, 20:47

अजय सेतिया / अपन सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के प्रसंशकों में से हैं | किसी राजनीतिक दल के किसी सांसद से पूछ लीजिए , मोदी के घोर विरोधियों से पूछ लीजिए , गडकरी का नाम आते ही बोलती बंद हो जाती है | वह नए नए आईडिया ले कर आते हैं , देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है | वह व्यावहारिक भी हैं , मुहं फट भी , काम नहीं होना होगा , तो मुहं पर कह देंगे | अपन जब ईटीवी में हिन्दी चेनलों के सम्पादक थे , तो वह दो बार इंटरव्यू देने स्टूडियो में आए थे | भाजपा अध्यक्ष के नाते उन्होंने मिलनसार की फचा बनाई | सडक परिवहन मंत्री के नाते उन्होंने अपनी काबलियत का झंडा गाडा , सांसद उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखते हैं |

पिछले कई महीनों से खबर आ रही थी कि नितिन गडकरी व्हीकल स्क्रेप नीति लाने वाले हैं | गुरूवार को उन्होंने लोकसभा में पालिसी की घोषणा कर दी , तो उस में करीब करीब वही बातें हैं, जो पहले ही टुकड़ों टुकड़ों में खबरों के रूप में छप चुका था | इस से पहले कि अपन पालिसी की भारतीय संदर्भ में चर्चा करें , पहले स्क्रेप पालिसी का इतिहास देख लेते हैं | पालिसी को अलग अलग विकसित देशों में अलग…

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Published: 17.Mar.2021, 21:06

अजय सेतिया / मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह शायद इतने मशहूर न होते , अगर वह टीआरपी के मामले में अपने आका मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इशारे पर प्रेस कांफ्रेंस कर के रिपब्लिक टीवी को कटघरे में खड़ा न करते | बदले में रिपब्लिक टीवी के मालिक सम्पादक अर्नब गोस्वामी ने उन्हें अपने चेनल के प्राईम शो के कटघरे में  खड़ा करना शुरू कर दिया , जो अनवरत जारी रहा | परमवीर सिंह को घमंड था कि मुख्यमंत्री का हाथ उन के सिर पर है , इस लिए अर्नब गोस्वामी तो क्या पूरा मीडिया भी इक्कठा हो जाए , तो भी उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता | वह खुद को खुदा समझने लगे थे , उन्होंने सचिन वाजे को भेज कर अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया | सचिन वाजे की कहानी अपन बाद में बताएंगे |  परमवीर सिंह ने क़ानून की धज्जियां उड़ाते हुए  रिपब्लिक मीडिया के दर्जनों पत्रकारों और दफ्तर के अन्य स्टाफ को पुलिस थानों में बुला कर बेसिर पैर की पूछताछ करवाई | उन के सिर पर घमंड सवार था , हालांकि यह घमंड नेताओं , मुख्यमंत्रियों , प्रधानमंत्री को भी हो जाता है , और एक दिन टूटता ही है |

सचिन वाजे का घमंड 13 मार्च को एन…

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Published: 16.Mar.2021, 17:27

अजय सेतिया / जब पुणे का सीरम इंस्टीच्यूट आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की खोज पर आधारित कोवाशिल्ड वेक्सीन का निर्माण कर रहा था | ठीक उसी समय ब्रिटेन में इसी वेक्सीन को फाईजर कम्पनी भी बना रही थी | फाईजर कम्पनी ने वेक्सीन का नाम एसट्राज़ेनेका रखा था , तो सीरम ने कोवाशिल्ड रखा था | चार जनवरी 2021 को एसट्राज़ेनेका की पहली वेक्सीन ब्रिटेन के 82 वर्षीय रिटायर्ड इंजीनियर ब्रियन पिनकर को दी गई थी | तब तक फाईजर एक करोड़ टीके तैयार कर चुका था , जिन्हें पहले ब्रिटेन में लगाया गया और फिर यूरोप के अन्य देशों और अमेरिका को भी भारी मात्रा में एसट्राज़ेनेका भेजी गई |

चार जनवरी को ब्रिटेन में एसट्राज़ेनेका पहली वेक्सीन लगने से ठीक एक दिन पहले भारत ने एसट्राज़ेनेका के भारतीय अवतार कोवाशिल्ड को मान्यता दी | कोवाशिल्ड के साथ ही भारत बायोटेक और आईसीएमआर के अनुसन्धान पर आधारित को-वेक्सीन को भी मान्यता दे दी गई थी , तो कांग्रेस, सपा , माकपा, तृणमूल , आप जैसे राजनीतिक दलों ने बवाल खड़ा कर दिया था | कोवेक्सीन का तीसरा ट्रायल बाकी था , लेकिन पहले और दूसरे ट्रायल के नतीजे कोवाशिल्ड से बेहतर थे | कांग्रेस के…

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Published: 15.Mar.2021, 19:57

अजय सेतिया / 13 सितम्बर 2008 का वह दिन, शाम साढे छह बजे का वक्त , अपन को आज भी याद है | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को यह दिन एक हफ्ते बाद ही भूल गया था | उस दिन दिल्ली में आधे घंटे के भीतर ग्रेटर कैलाश , कनाट प्लेस और करोल बाग़ में पाच बम धमाके हुए थे , जिन में 26 लोग मारे गए थे और सौ से ज्यादा जख्मी हुए थे | शिवराज पाटिल देश के गृह मंत्री थे , वह घटना स्थल पर पहुंच कर सरकारी अमले को चुस्त दुरुस्त करने में इस लिए लेट हो गए , क्योंकि उन्हें कपड़े बदलने थे | वह दिन में आठ-दस बार कपड़े बदलने के शौक़ीन थे | इसी लिए सोनिया गांधी 2007 में उन्हें राष्ट्रपति बनाना चाहती थी , लेकिन सहयोगी दलों ने समर्थन देने से इनकार कर दिया था | इस लिए सोनिया गांधी ने प्रतिभा देवी पाटिल को राष्ट्रपति पद के लिए चुना था | सहयोगी दलों की उन के बारे में धारणा सही साबित हुई | वह निक्कमें गृहमंत्री के तौर पर याद किए जाते हैं , आतंकवादियों ने उन के निक्क्मेंपन का जम कर फायदा उठाया था | दो महीने बाद ही पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने  26 से 28 नवम्बर तीन दिन तक मुम्बई में आतंकवाद का नंग…

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