किस राज्य में ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग नहीं

Publsihed: 23.Mar.2021, 18:31

अजय सेतिया / कांग्रेस ही नहीं बाकी सभी सेक्यूलर दल भी या तो खुल कर उद्धव सरकार के सीएमपी की यह कह कर वकालत कर रहे हैं कि यह सरकार गिराने की साजिश है या फिर चुप्पी साध कर समर्थन दे रहे हैं | वाजपेयी के जमाने से साझा सरकारें सीएमपी यानी कामन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर चलती हैं , प्रकाश जावडेकर की नजर में उद्धव सरकार का सीएमपी “कुलेकटिंग मनी थ्रू पुलिस” है | अब जब कि यह स्थापित होने जा रहा है कि महाराष्ट्र में वसूली उद्योग ठीक उसी तरह चल रहा है , जैसे लालू यादव के राज में बिहार में फिरौती उद्योग चला था |

इस से पहले कि अपन महाराष्ट्र के वसूली उद्योग की खुली परतों का जिक्र करें , अपन को यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं कि देश के हर राज्य में यह उद्योग चल रहा है | हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला गैरकानूनी पोस्टिंग मामले में ही जेल में हैं | ट्रांसफर पोस्टिंग एक उद्योग है , एक्साईज डिपार्टमेंट का अलग उद्योग है , ट्रांसपोर्ट विभाग का अलग उद्योग है , खनन विभाग का अलग उद्योग है , पुलिस की हफ्ता वसूली अलग से है | इसी लिए ये डिपार्टमेंट मालदार डिपार्टमेंट माने जाते हैं | यह हर राज्य में एक समान है , इस लिए यह कहना कि महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार है और बाकी राज्यों में राम राज्य है , पूरी तरह गलत होगा | देश के सभी आईएएस , आईपीएस अधिकारियों पर एक बार सीबीआई की छापेमारी करवा दीजिए , फिर देखिए | आईएएस , आईपीएस तो छोडिए किसी महकमे के जूनियर इंजीनियर के यहाँ छापा मरवा कर देख लीजिए तनख्वाह से हजार गुना ज्यादा की प्रापर्टी जरुर मिलेगी |

इसलिए सिर्फ अनिल देशमुख को सौ करोड़ की वसूली करने वाला बताना शरद पवार को हजम नहीं हो रहा | उन्हें अपनी पार्टी के गृहमंत्री अनिल देशमुख की झूठी सच्ची वकालत करनी पड रही है | जैसे उन्होंने कह दिया कि देशमुख तो 15 फरवरी से 15 दिन के लिए नागपुर में होम क्वारंटीन थे , पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने ऐसे कई प्रमाण दिए हैं जिन से पता चलता है कि अनिल देशमुख सिर्फ कागजों में क्वारंटीन थे , अगर देवेन्द्र फडनवीस के प्रमाण सही हैं , तो यह साबित ही हो गया कि एक रणनीति के तहत उन्होंने वह समय खुद को क्वारंटीन दिखाया हुआ है , जब 25 फरवरी को मुकेश अम्बानी के घर के बाहर धमकी भरे खत के साथ विस्फोटकों से भरी स्कॉर्पियो खडी की गई थी |

मनसुख हिरेन की अपने भाई के साथ वाह्ट्सएप पर हुई बातचीत से यह भी करीब करीब साबित होता जा रहा है कि सहायक सब इंस्पेक्टर सचिन वाजे ने योजनाबद्ध ढंग से मनसुख हिरेन की स्कॉर्पियो कब्जाई हुई थी | उन्होंने ही पहले मनसुख हिरेन से स्कॉर्पियो चोरी होने की रिपोर्ट लिखवाई , उन की स्कॉर्पियो का इस्तेमाल किया और फिर उन की हत्या कर या करवा दी | हत्या को आत्महत्या बनाने का इंतजाम करने के लिए पोस्टमार्टम के समय खुद वाजे अस्पताल में गया था | हालांकि हिरेन हत्याकांड की जांच भी अब केन्द्रीय एजेंसी कर रही है पर अपन नहीं जानते कि देश के इतिहास का अब तक का यह सब से बड़ा राजनीतिज्ञों और ब्यूरोक्रेसी का “क्राईम सिंडिकेट” देश के सामने खुल कर सामने आएगा या नागरवाला काण्ड की तरह दबा दिया जाएगा | कहीं किसी दिन पता चले कि रूस्तम सोहेराब नागरवाला की तरह किसी दिन परमवीर सिंह और वाजे को ही रास्ते से हटा दिया गया |

धमकियां कुछ इसी तरह की मिलनी शुरू हो चुकी हैं | महाराष्ट्र की निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने सोमवार को जब लोकसभा में यह मामला उठाया तो संसद भवन के भीतर ही शिवसेना के सांसद अरविन्द सांवत ने उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी | नवनीत कौर ने इस संबंध में बाकायदा स्पीकर को चिठ्ठी लिख कर शिकायत की है | अब स्पीकर इस पर क्या कार्रवाई करते हैं , यह भी देखना होगा | लेकिन सोनिया गांधी , शरद पवार और उद्धव ठाकरे जिस तरह इस मामले को रफा दफा करना चाहते हैं , शायद यह इतनी जल्दी रफा दफा होगा नहीं , क्योंकि ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग और वसूली के परत दर परत नए खुलासे हो रहे हैं | दवेंद्र फडनवीस ने मंगलवार शाम को केन्द्रीय गृहसचिव को 6.3 जीबी डाटा सौंपा है , जिनमें ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग की टेलीफोन वार्ताओं के सबूत हैं | ये टेलीफोन वार्ताएं आईपीएस अधिकारी सीओआई रश्मी शुक्ला ने बाकायदा सरकारी परमिशन ले कर रिकार्ड की थीं , जिसे डीजी के माध्यम से 25 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंपा गया था | लेकिन उद्धव ठाकरे ने कार्रवाई करने की बजाए उन्हीं गृहमंत्री अनिल देशमुख को भेज दी , जिन पर वसूली करने के सबूत थे | उसे पढ़ते ही अनिल देशमुख ने रश्मी शुक्ला को सीओआई पद से हटा कर डीजी सिविल डिफेन्स बना दिया , जबकि तब तक इस नाम की कोई पोस्ट ही नहीं थी | 

 

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