अजय सेतिया / उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत ने टीवी चैनलों को आधे आधे घंटे का मसाला दे दिया | शायद ही कोई मुख्यमंत्री अपने पहले ही बयान में इतना चर्चित हुआ हो , जितना तीर्थ सिंह रावत हो गए | उन्होंने फटी जींस पहनने वालों पर टिप्पणी क्या की विचार शून्य मीडिया को भाजपा के खिलाफ बोलने का एक और मसाला और टीआरपी का बहाना मिल गया | कई चैनलों को फटी जींस का कार्यक्रम सिर्फ इस लिए चलाना पड़ा , क्योंकि सामने वाला चेनल टीआरपी बटौर रहा था | पर इस नाते बोलने की आज़ादी का रोना रोने वालों की पोल खुल गई | तीर्थ सिंह रावत की आलोचना में आधे आधे घंटे के टीवी प्रोग्राम करने वाले वही लोग हैं , जो कल तक अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को खतरे में बता कर स्क्रीन काली कर रहे थे , लेकिन तीर्थ सिंह रावत की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर हमलावर हो गए | तीर्थ सिंह रावत को भी वैसे ही अपनी बात कहने का हक है , जैसे आप को फटे कपड़े पहनने का हक है | फटी जींस कहाँ , आजकल तो फटे ब्लाऊज का भी ट्रेंड चल रहा है |
सवाल यह है कि फटी जींस पहनना क्या फैशन है , अगर यह फैशन है , तो आया कहाँ से | तो पता चलता है कि सत्तर के दशक में अमेरिका में पत्थरों पर काम करते मजदूरों की जींस फट जाती थी , तो वह काम पर उसी जींस का इस्तेमाल जारी रखते थे | बाद में रंग बिरंगे हेयर डाई करने वाली पंक संस्कृति वालों ने फटी जींस को पहनना शुरू किया | अमेरिकी पाप सिंगर इग्गी पाप ने अपने कार्यक्रम में फटी जींस का इस्तेमाल कर के फैशन को जन्म दिया | इटली की सब से महंगे कपड़े और पुरुषों , महिलाओं के अन्य इस्तेमाल वाले सामान बनाने वाली डोलस एंड अबाना कम्पनी ने पहली घटनों से फटी जींस बना कर अमीरजादों के बीच फैशन के रूप में मार्केट में भेज दी | इस तरह यूरोप में अमीरजादों के बिगड़े हुए बेटे बेटियों ने इसे पहनना शुरू किया और फिर धीरे धीरे यह ट्रेंड ऐसी ऐसी जगहों से फटी जींस का चल गया , जिसे लिखना भी मुश्किल है | अब जिस जगह को ढकने के लिए ब्लाऊज पहना जाता है , उसी जगह से डेनिम के फटे हुए ब्लाऊज भी फैशन मार्केट में उपलब्ध हैं |
सोशल मीडिया पर एक ख़ास विचारधारा के लोगों ने तीर्थ सिंह रावत की टिप्पणी पर अपनी भडास निकाली | अखबारों और टीवी चेनलों के भडासी पत्रकार भी उसी विचारधारा से ताल्लुक रखते हैं , या टीआरपी की मजबूरी में चेनल के बनाए प्रोग्राम को एंकर करने को मजबूर हैं | आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप का चेनल पर दिखाया गया “ फटी जींस “ कार्यक्रम का एक वीडियो यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहा है | उसे काग्रेसी , आप्पिए और स्यापिए फेसबुक और ट्विटर पर सर्कुलेट कर रहे हैं | रवीश कुमार ने जिस तरह अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को खतरा बता कर एनडीटीवी की स्क्रीन काली की थी , अपन उम्मींद कर रहे थे कि अंजना ओम कश्यप फटी हुई जींस और फटा हुआ ब्लाऊज पहन कर तीर्थ सिंह रावत के खिलाफ अपनी भडास निकालती | बात तो तब है , जब अवार्ड वापसी की तरह सारे चेनल अपने एंकरों को फटी जींस पहना कर चेनल पर पेश करें |
कांग्रेस , एनसीपी , शिवसेना , एसपी तक के रूढीवादी सांसद भले ही घर में अपने बेटों और बेटियों को फटी जींस पहनने से रोकते हों , लेकिन राजनीतिक विद्वेष के चलते उन्होंने भी तीर्थ सिंह रावत के खिलाफ ब्यान थोक दिया | कांग्रेस से शिवसेना में शामिल हो कर राज्यसभा में आई प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद भवन परिसर में खड़े हो कर फटी जींस की तारीफ़ में कसीदे पढ़े , काश तीर्थ सिंह पर कटाक्ष करने के लिए वह सदन में खुद फटी जींस पहन कर आती | हैरानी तब हुई , जब प्रियंका गांधी ने भी तीर्थ सिंह की टिप्पणी पर ट्विट करते हुए नितिन गडकरी , मोहन भागवत , नरेंद्र मोदी का संघ की शाखा में नेकर पहने हुए फोटो लगाते हुए लिखा- “ ओह मई गाद , उन के घुटने दिख रहे हैं |” उस के जवाब में भाजपाईयों ने जवाहर लाल नेहरु का नेकर पहना हुआ फोटो भी लगा दिया है | लेकिन यह कोई जवाब नहीं है | प्रियंका गांधी को अगर फटी जींस का पहनावा अच्छा लगता है , तो उन्हें चुनावी रैलियों में फटी जींस पहन कर ही जाना चाहिए | वह खुद तो अभी सांसद नहीं हैं , लेकिन उन्हें अपने भाई और मां को सलाह देनी चाहिए कि भाजपा का विरोध करने के लिए वे सदन में फटी जींस पहन कर जाएं | आखिर खादी की जगह फटी जींस को दिलानी है | सोनिया गांधी तो काफी कम्फर्ट महसूस करेंगी , वह तो बच्चपन में ऐसे ही कपड़े पहनती रही हैं | शादी के बाद भी कई साल तक भारत में भी वह यूरोपियन कपड़े पहनती थी | उन्होंने तो राजनीतिक मजबूरी में , जैसा देश , वैसा भेष धारण किया है |
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