India Gate Se

Published: 12.Apr.2021, 17:46

अजय सेतिया / भारत का सुप्रीमकोर्ट किसी की याचिका की सुनवाई अपने दायरे में न समझ कर स्वीकार न करे , यह हो सकता है | इस में न तो कोई हैरानी वाली बात होगी , न गुस्से वाली | अपन को पहले से अनुमान था कि भारत की सुप्रीमकोर्ट ऐसा कोई सेक्यूलरिज्म का कदम नहीं उठा सकती ,जिस से दुनिया भर में उस की वाहवाही हो | सेक्यूलरिज्म संविधान में दिखावटी चीज बना रहना ही शोभा देता है या सिर्फ राजनीतिक दलों को चुनावी मुद्दे के तौर पर उछालना अच्छा लगता है | अपना यह पक्का विशवास है कि हिन्दू सेक्यूलर है पर 1975 में भारत के संविधान में लिख दिए जाने के बावजूद संविधान सेक्यूलर नहीं है | संविधान सेक्यूलर होता तो 1975 में संविधान में लिखते समय ही धर्म के आधार पर पारित सभी क़ानून खारिज किए जाते और भारत में  समान आचार संहिता लागू की जाती |

शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी किसी और ही दुनिया में रहते थे , जो सुप्रीमकोर्ट में कुरआन की 26 आयतें खारिज करवाने चले गए | किसी धार्मिक किताब में दखल देना भारतीय अदालतों का काम नहीं | जिन 26 आयतों में मुसलमानों को दुनिया के गैर मुसलमानों से श्रेष्ठ…

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Published: 09.Apr.2021, 20:54

अजय सेतिया / भारत में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है |  पिछले 7 दिनों में संक्रमण प्रतिदिन औसत 1, 08,202  हैं | शुक्रवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे के दौरान देशभर में 1,31,968 नए मामले दर्ज किए गए, जिन्हें मिलाकर देश में संक्रमण के कुल पुष्ट मामलों की तादाद 1,30,60,542 हो गई है | पिछले 24 घंटे के दौरान 780 लोगों ने कोरोना संक्रमण के चलते जान भी गंवाई है | मौतों के मामले में महाराष्ट्र 57,028 मौतों के साथ पहले नम्बर पर , कर्नाटक 12,767 मौतों के साथ दूसरे नम्बर पर और दिल्ली 11,157 मौतों के साथ तीसरे नम्बर पर है | संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र 32,30,000 , केरल 11,50,000 और कर्नाटक 10,40,000 आंकड़ों के साथ क्रमश पहले दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं | यानी कोरोनावायरस यह नहीं देख रहा कि कहां पर किस पार्टी की सरकार है , इस के बावजूद वेक्सीन को लेकर महाराष्ट्र और दिल्ली सरकारों ने केंद्र सरकार के साथ जंग छेड़ रखी है | अपन को याद है कि जब पिछले साल संक्रमण शुरू हुआ था तो गुजरात में थोड़ा ज्यादा फ़ैल रहा था और केरल में कम फ़ैल रहा था , तब टीवी चेनलों पर…

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Published: 08.Apr.2021, 21:03

अजय सेतिया / अपन को जब यह बात पता चली थी कि केन्द्रीय सुरक्षा बलों ने सूचना के आधार पर पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की बटालियन-वन का प्रमुख माडवी हिडमा को ज़िंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए बीजापुर में आपरेशन की रूपरेखा बनाई थी , तभी अपनी आँख फडफडाई थी कि यह सूचना केन्द्रीय सुरक्षा बलों को फांसने के लिए भेजी गई थी | सूचना 60-70 नक्सलियों के छिपे होने की थी , जिस की पुष्टि ड्रोन से करवाई गई थी | सवाल खड़ा होता है कि फिर नक्सलियों की संख्या सात सौ से ज्यादा कैसे हो गई | क्या इस से यह नहीं लगता कि केन्द्रीय सुरक्षा बलों को फांसने का जाल खुद नक्सलियों ने बुना था और प्रशासन ने इस में उन की मदद की | गुरूवार को सैंकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में छ्तीसगढ़ सरकार की बनाई कमेटी के सामने जब नक्सलियों ने बंदी बनाए गए राकेश्वर सिंह मनहास को छोड़ा तो अपना शक और गहरा हुआ कि ग्रामीणों में नक्सलियों का दबदबा फिर से कायम करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने नक्सलियों के साथ मिल कर खून खराबे की साजिश रची थी |

नक्सलियों में माडवी हिडमा के छिपे होने की खबर भी अपने शक को गहरा करती है | अब 22 सुरक्षा बलों…

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Published: 07.Apr.2021, 19:05

अजय सेतिया / अपन बार बार लिख रहे हैं कि मोदी सरकार राजनीतिक निर्णय ले , ब्यूरोक्रेसी पर निर्णय नहीं छोड़े , वरना बाद में पछताना पड़ेगा | ब्यूरोक्रेसी के तुगलकी फरमानों से कोरोना के हालात बिगड़ रहे हैं और देश के उत्पादक राज्य लाक डाउन की ओर बढ़ रहे हैं , जिस से पलायन की स्थिति फिर से पैदा हो रही है | मोदी , राजनाथ सिंह , अमित शाह , पीयूष गोयल , डा. हर्ष वर्धन और संतोष गंगवार मिल कर बैठें | ब्यूरोक्रेसी से बिलकुल सलाह न करें , अलबत्ता पार्टी लाईन छोड़ कर मुख्यमंत्रियों से फीड बैक लें और उन के फीडबैक में अपना राजनीतिक विजन डाल कर कार्य योजना तैयार करें | पीयूष गोयल और संतोष गंगवार को अपन ने इस लिए जोड़ा है , क्योंकि उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय पीयूष गोयल के पास है और लेबर मंत्रालय संतोष गंगवार के पास | लाक डाउन में सब से ज्यादा प्रभाव श्रमिको के पलायन और इंडस्ट्री के उत्पादन पर होना है |

पीयूष गोयल भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई से ताल्लुक रखते हैं | वह अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के हालात बेहतर जानते हैं , जो पिछले साल की अप्रेल जैसे ही हो गए हैं | पिछले साल लाकडाउन के समय मुम्बई…

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Published: 06.Apr.2021, 18:22

अजय सेतिया / पहले अपन ने सोचा था कि राफेल सौदे में फ्रांस की “द वायर” यानी “मीडिया पार्ट” की उस खबर पर लिखें , जिस पर राहुल गांधी की बांछें फिर खिल गई है , और उन्होंने आज ट्विटर पर लिखा था –“कर्म-किए कराए का भी खाता | इस से कोई नहीं बच सकता | #राफेल “ फिर जब देखा कि चंडूखाने की इस खबर को जब कांग्रेस समर्थक एनडीटीवी ने ही महत्व नहीं दिया , तो अपन क्यों दें | पर यह बताते जाएं कि यह मामला है क्या | जैसे भारत में वामपंथी विचारधारा की मुहीम चलाने वाली वेबसाईट “द वायर” है , वैसे ही फ्रांस में वामपंथी वेबसाईट “मीडिया पार्ट” है | उस ने यह चंडूखाने की खबर प्रसारित की है कि 60 हजार करोड़ के सौदे में आठ करोड़ 62 लाख रूपए की रिश्वत दी गई | और रिश्वत भी उसे दी गई , जिसे मोदी सरकार ने 2017 में अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में दलाली के लिए जेल में बंद किया था ( अभी जमानत पर रिहा है ) उस का नाम सुशेन मोहन गुप्ता है , जो कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी का साझेदार है | “मीडिया पार्ट” की खबर हास्यस्पद थी , क्योंकि 60,000 करोड़ के सौदे में सिर्फ साढ़े आठ करोड़ की रिशत हास्यस्पद ही है ,…

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Published: 05.Apr.2021, 17:31

अजय सेतिया / खैर यह नैतिकता तो नहीं है , जिस को आधार बता कर अनिल देशमुख ने इस्तीफा दिया है | नैतिकता होती , तो उसी दिन इस्तीफा दे कर सीबीआई जांच की मांग करते , जिस दिन परमवीर सिंह ने सौ करोड़ रुपए माहवारी लेने का आरोप लगाया था | मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे में भी कोई नैतिकता होती तो वह उसी दिन अपने गृहमंत्री से इस्तीफा मांग लेते , जिस दिन उन्हें परमवीर सिंह की चिठ्ठी मिली थी | परमवीर सिंह में भी नैतिकता होती , तो वह मुम्बई के पुलिस कमिश्नर रहते हुए उस दिन मुख्यमंत्री को चिठ्ठी लिखते ,जिस दिन उन्हें पता चला था कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाझे जैसे छोटे पुलिस अधिकारियों को वसूली पर लगा रखा है , जिस कारण वह उन पुलिस कर्मियों से इमानदारी की अपेक्षा नहीं कर सकता | परमवीर सिंह में जरा भी नैतिकता होती तो यह सब जानते हुए वह वाझे को सम्मानित नहीं करते, जिस के फोटो अखबारों में छपे थे |

नैतिकता के हमाम में सब नंगे हैं , सिर्फ अनिल देशमुख , परमवीर सिंह और सचिन वाझे ही क्यों , उद्धव ठाकरे और शरद पवार भी , जो पिछले 15 दिन से भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश में लगे हुए थे | उद्धव ठाकर…

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Published: 02.Apr.2021, 16:00

अजय सेतिया / तीसरा दौर आते आते बंगाल का चुनाव ज्यादा दिलचस्प हो गया है | मोदी और अमित शाह के जुमले तो चुनाव में दिलचस्पी ला रहे हैं , लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को जुमले सिखाने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर के जुमले सूख गए हैं | प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि अच्छे दिन, चाय पर चर्चा और हर हर मोदी , घर घर मोदी का जुमला उन का बनाया हुआ था , जिस ने मोदी को वास्तव में घर घर पहुंचा कर उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचा दिया था | अपने मुहं मियाँ मिठ्ठू बनने वाले इस प्रशांत किशोर को तब राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने लपक लिया था | लेकिन वह दोनों की खाट खडी कर के मुहं छुपा कर नीतीश कुमार की शरण में चले गए थे , वहां भी वह मियाँ मिठ्ठू बनने लगे तो निकाल बाहर किए गए | इस बीच चन्द्र शेखर राब और जग्गन रेड्डी के लिए काम करने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर ने इस बार ममता दीदी को फांस लिया था | दीदी से करोड़ों करोड़ों रूपए ऐंठने के बाद भी उन्हें कोई ऐसा जुमला नहीं थमा सके कि जिस के सहारे वह चुनाव की नैय्या पार करती दिखती | असल में वह खुद ही अपने एक जुमले में फंस गए हैं कि भाजपा ने स…

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Published: 01.Apr.2021, 16:30

अजय सेतिया / ममता बेनर्जी नंदीग्राम में जीत सकती हैं , क्योंकि नंदीग्राम में 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं | इसी लिए तो वह भवानीपुर छोड़ कर नंदीग्राम आई थी | लेकिन उन्हें क्या पता था कि नंदीग्राम में इतने पापड़ बेलने पड़ेंगे कि छह दिन तक डेरा डाल कर बैठना पड़ेगा | कम से कम सौ पोलिंग बूथों पर पोलिंग एजेंट तक नहीं मिला | जिस मुस्लिम राजनीति के घोड़े पर सवार हो कर वह फुदक रही थी , वह भी साथ देता दिखाई नहीं देता | ममता का भरोसा बीच में टूट गया , इसलिए वह भी राहुल गांधी की तरह मंदिर मंदिर घूमने लगी , चंडी का पाठ करने लगी , हनुमान चालीसा पढने लगी और खुद को शाडिल्य गौत्र का ब्राह्मण बता कर हिन्दू होने का दम भरने लगी | गुजरात के चुनाव में राहुल गांधी ने भी खुद को दत्तात्रेय कौल ब्राह्मण बताया था | हालांकि वह फ़िरोज़ जहांगीर घैंडी के पोते हैं | किसी ने पूछा भी नहीं कि घैंडी या गांधी दत्तात्रेय कौल ब्राह्मण कैसे हो सकते हैं |

खैर आज सवाल ममता और राहुल गांधी के ब्राह्मण होने का नहीं है | 2014 के बाद सेक्यूलरिज्म की राजनीति पूरी तरह बदल गई है | तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्र शेखर…

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Published: 31.Mar.2021, 14:19

अजय सेतिया / तृणमूल कांग्रेस बेचैन है , पर इतनी परेशान नहीं , जितने उत्तर भारत के कुछ पत्रकार हैं | जो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान , हिमाचल और उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए दांव खेलते हैं , यूपी में कभी अखिलेश या कभी मायावती के लिए , बिहार में कभी लालू तो कभी नितीश कुमार के लिए | वे सभी 2011 तक पश्चिम बंगाल में सीपीएम के लिए दांव खेलते थे , लेकिन अब अपनी प्रिय सीपीएम को छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस को दुबारा सत्ता में लाने के लिए बेचैन हैं | उन सब ने बंगाल में डेरा डाल लिया है , ताकि वे अपने हिन्दी भाषी यूट्यूब वीडियो से ममता की कुछ मदद कर सकें , हालांकि उन से होना जाना कुछ नहीं | लेकिन ममता बेनर्जी उन हिंदी भाषियों को बाहरी नहीं कहती | दिल्ली और कोलकाता के वामपंथी नेताओं की परेशानी दूसरी है , वे अपनी विचारधारा के पत्रकारों की तरह नहीं सोचते , उन्हें अपनी वापसी की चिंता है , इसलिए वे उन पत्रकारों की तरह विरोध के लिए भाजपा का विरोध नहीं कर रहे | वे मन से चाहते हैं कि पहले ममता नाम का काँटा रास्ते से हटे | 

अपन ने दस साल डेस्क पर उपसंपादक से मुख्य उपसंपादक का सफर तय क…

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Published: 30.Mar.2021, 18:34

अजय सेतिया / म्यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट के बाद सेना का खूनी खेल जारी है | अपने पडौसी देश पाकिस्तान में भी चुनी हुई सरकारों का सेना की ओर से तख्ता पलट होता रहा है | बांग्लादेश का निर्माण ही सैन्य ज्यादतियों के खिलाफ हुआ है | अपने एक और पडौसी देश चीन में लोकतंत्र है ही नहीं , वह लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई नेपाल सरकार हो या म्यांमार सरकार , उस में दखल दे कर लोकतांत्रिक सरकारों के खिलाफ साजिश रचता रहा है | इस पूरे खित्ते में आपातकाल के 19 महीनें छोड़ दें तो भारत का लोकतंत्र एशिया में सफलतम मिसाल है | भारत अब इतना सशक्त लोकतंत्र बन चुका है कि अमेरिका के लोकतंत्र से तुलना होती है | हालांकि 2014 के बाद से भारत की चुनी हुई राष्ट्रीय सरकार के खिलाफ भी चीन समर्थक भारतीय वामपंथियों ने लोकतंत्र को कटघरे में खड़ा करने वाले सवाल किए हैं | चुनाव आयोग की निष्पक्षता और ईवीएम पर ठीक उसी तरह सवाल उठाए गए थे , जैसे म्यांमार में सेना ने उठाए हैं | अब इस तरह की खबरें भी सामने आ रही हैं कि अंग सांग सू के भारत से बेहतर सम्बन्धों के कारण ही चीन ने म्यांमार की सेना को भडका कर तख्ता पलट करवाय…

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