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Published: 12.Mar.2021, 21:22

अजय सेतिया / बलात्कार की कोई घटना अगर राजनीति का मुद्दा बन जाती है , तो मीडिया में खूब उछाली जाती है, लेकिन जो घटनाएं राजनीति के लिए महत्व की नहीं होती , वे दब कर रह जाती हैं | बलात्कार से गर्भवती होने वाली बच्चियों या महिलाओं का मसला समाज के लिए अधिक चिंता का विषय होना चाहिए , लेकिन देश , सरकार , शासन , प्रशासन और समाज शायद इसे ले कर उतने संवेदनशील अभी भी नहीं हुए है | जब कोई जज नाबालिग के बलात्कारी सरकारी कर्मचारी से यह पूछे कि क्या वह उस लडकी से शादी करेगा , जिस से उस ने बलात्कार किया था , तो समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन की उम्मींद कैसे की जा सकती है | चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने मीडिया में उन की इस टिप्पणी पर मचे बवाल पर कहा है कि मीडिया ने उन की टिप्पणी को “आउट आफ प्रपोषण” पेश किया , अगर ऐसा था , तो सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस को जरुर मीडिया पर कार्रवाई करनी चाहिए थी | अपन ने इस पर लिखा था कि उन्होंने एक साथ दो कानूनों की अवहेलना की थी |

लेकिन अब अपन ताज़ा मुद्दे पर आते हैं , सवाल है कि बलात्कार की शिकार नाबालिग या बालिग़ भी गर्भवती हो जाती है तो उसे गर्भपात का हक है…

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Published: 11.Mar.2021, 20:30

अजय सेतिया / जल्दबाजी में कुछ लिख देना ठीक नहीं होता | इसलिए अपन ने कल ममता बेनर्जी के उस बयान पर नहीं लिखा , जिस में उन्होंने कहा था कि उन पर चार पांच आदमियों ने हमला किया | अपन ने लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के उस बयान की भी अनदेखी की , जिस में उन्होंने ममता बेनर्जी के आरोप को नौटंकी बताया था | कैलाश विजयवर्गीय की आशंका जायज थी कि ममता बेनर्जी अब किसी भाजपा कार्यकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा देगी | उन्होंने अधीर रंजन की तरह नौटंकी कहने से परहेज किया , लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अधीर रंजन वाली लाईन ही अपनाई | उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच होनीचाहिए कि जेड प्लस सुरक्षा के बावजूद मुख्यमंत्री पर हमला कैसे हुआ | कहीं यह घटना वोट हासिल करने के लिए ‘‘रचा गया नाटक'' तो नहीं है |

अधीर रंजन की ममता से रंजिश अपन जानते हैं , और यह भी जानते हैं कि अधीर रंजन चाहेंगे कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार नहीं बननी चाहिए , फिर भले ही भाजपा की सरकार बन जाए | जबकि कांग्रेस आलाकमान की यह राय नहीं है , अगर तृणमूल कांग्रेस को जरूरत पड़ी तो कांग…

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Published: 10.Mar.2021, 23:29

अजय सेतिया / अपनी निगाह बंगाल पर टिकी हुई थी ,और इस बीच पता ही नहीं चला कि केरल में भी दलबदल शुरू हो चुका है | बंगाल में तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ मची है , तो केरल में कांग्रेस में भगदड़ मची है | बुधवार को पी.सी.चाको का बड़ा विकेट गिरा तो पता चला कि पिछले हफ्ते राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड में 4 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था |केपीसीसी सचिव एमएस विश्वनाथन, डीसीसी महासचिव पीके अनिल कुमार , केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सदस्य केके विश्वनाथन, और महिला कांग्रेस नेता सुजाया वेणुगोपाल ने पार्टी से इस्तीफा दिया था | 

कांग्रेस पुदुचेरी में फिर सत्ता हासिल करने के लिए जी-जान से मेहनत कर रही है और केरल ही एक मात्र ऐसा राज्य है , जहां उसे सत्ता हासिल होने की उम्मींद है | केरल में 6 अप्रैल को एक चरण में वोटिंग होगी जबकि 2 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे | क्योंकि केरल में एक बार कांग्रेस और एक बार वामपंथियों को बहुमत मिलता रहा है | कांग्रेस यूडीएफ और वामपंथी एलडीएफ…

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Published: 09.Mar.2021, 21:42

अजय सेतिया / भाजपा में नरेंद्र मोदी काल शुरू होने के बाद मीडिया में बड़ी भारी अटकल लगी थी कि वह पार्टी में आमूल चूल परिवर्तन करने के इरादे से रमन सिंह , शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद से हटा कर केंद्र में मंत्री बना देंगे और अपने मुख्यमंत्री नियुक्त करंगे | लेकिन उन्होंने तीनों में से किसी को दिल्ली आने के लिए नहीं कहा था , सिर्फ गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर को आग्रह कर अपनी केबिनेट में रक्षा मंत्री बनाकर लाए थे | मोदी काल शुरू होने के बाद छोटी मोटी शिकायतों के बावजूद किसी भी मुख्यमंत्री को अपने कार्यकाल के अधबीच में हटाया नहीं गया | उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने दिया गया | 2018-19 में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ भाजपा के एक वर्ग की शिकायत के बाद भी उन्हें नहीं हटाया गया था , अलबत्ता चुनाव बाद पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बावजूद उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया गया |  

2016 में आनंदीबेन को गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इसलिए हटाया गया था क्योंकि प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की रिपोर्ट थी कि अगर मुख्यमंत्री नहीं बदला गया तो 2017 के विध…

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Published: 09.Mar.2021, 00:04

अजय सेतिया / यूरोप की आँखें खुल रही हैं। फ्रांस, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया बुल्गारिया, डेनमार्क और नीदरलैंड के बाद अब स्विट्जरलैंड में भी मुस्लिम महिलाओं के बुर्का या नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगेगा। वहां रहने वाले सभी मुसलमानों की जड़ें तुर्की, बोस्निया और कोसोवो में हैं, स्थानीय मुसलमान नाममात्र भी नहीं हैं। बुर्के और नकाब पर प्रतिबंध का यह फैसला स्विट्जरलैंड सरकार की इच्छा के खिलाफ जनमत संग्रह के जरिए हुआ है। लेकिन स्विट्जरलैंड में 50000 वोटर जनमत संग्रह की माग करते हैं, तो जनमत संग्रह करवाना पड़ता है, यहाँ तक कि संसद से पारित कानून पर भी जनमत संग्रह होता है। स्विट्जरलैंड की संसद और देश की संघीय सरकार का गठन करने वाली सात सदस्यीय कार्यकारी परिषद ने इस मुद्दे पर जनमत संग्रह प्रस्ताव का विरोध किया था। स्विस सरकार भी भारत के सेक्यूलरों की तरह वोट बैंक की राजनीति के कारण बुर्का बैन के पक्ष में नहीं थी। हालांकि जिस प्रस्ताव पर जनमत संग्रह हुआ, उस में 'नकाबÓ या 'बुर्काÓ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था, लेकिन सभी को पता था कि जनमत संग्रह क्यों और किस लिए हो रहा है। स्विस नागरिक मानते ह…

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Published: 05.Mar.2021, 18:24

अजय सेतिया / बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली अच्छी खासी सीटों के बाद नरेंद्र मोदी ने महिलाओं को भाजपा का साईलेंट वोट बैंक बताया था | अब ममता बेनर्जी को महिला वोट बैंक से ज्यादा खतरा महसूस हो रहा है , इस लिए उस ने 51 महिलाओं को तृणमूल का टिकट दे कर चुनाव मैदान में उतार दिया है | इस के बाद 42 मुसलमानों को टिकट देकर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की भूमिका तैयार कर दी है | भाजपा से एक कदम आगे चलते हुए ममता बेनर्जी ने एक साथ 294 में से 291 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीन्द्वारों का एलान करटे हुए नंदीग्राम को मैदान-ए-जंग भी घोषित कर दिया | उन्होंने भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का एलान किया है , जहां इस समय तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए शुभेंदू अधिकारी विधायक हैं | दोनों ने एक दुसरे को चुनौती दी थी , अब भाजपा के पास कोई और विकल्प ही नहीं है | शुभेंदू अधिकारी को ही ममता के सामने खड़ा करना होगा , और भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीन्द्वार घोषित करने को भी मजबूर होगी |

इसी नंदीग्राम को जंग-ए-मैदान बना कर ममता बेनर्जी और शुभेंदू  अधिकारी…

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Published: 03.Mar.2021, 21:23

अजय सेतिया / कांग्रेस में घमासान तो चल रहा है , लेकिन देश उसके घमासान में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा | इस के दो कारण हैं , पहला तो यह कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में दस साल चली मनमोहन सरकार की करतूतों ने कांग्रेस को नफरत लायक बना दिया है | दूसरा –सोनिया ने बीमार होने के कारण पार्टी की कमान छोड़ते समय राजनीतिक तौर से अपरिपक्व अपने बेटे राहुल गांधी को पार्टी पर थोंप दिया | वह 15 साल से राजनीतिक प्रशिक्षु ही बने हुए हैं | उन का हर जुमला उन की अपरिपक्वता की झलक देता है | वह खुद को कांग्रेस का नेतृत्व करने लायक साबित नहीं कर सके | 2019 में काग्रेस की दूसरी बार कमर तोड़ शर्मनाक हार के बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था | तभी कांग्रेस के 23 वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं ने सोनिया को चिठ्ठी लिख कर पार्टी में लोकतंत्र की आवाज़ उठाई थी | चिठ्ठी को गांधी परिवार ने अपने खिलाफ माना और दस्तखत करने वाले सभी नेताओं को किनारे करना शुरू किया |

कहा जा सकता है कि जी-23 का नेतृत्व करने वाले राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलामनबी आज़ाद को राज्यसभा में फिर से लाने का इंतजाम इसी लिए नहीं…

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Published: 02.Mar.2021, 21:43

अजय सेतिया / सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नाबालिग लडकी के बलात्कारी से पूछा है कि क्या वह लडकी से शादी करने को तैयार है ? हालांकि अपराधी ने यह कह कर शादी करने से इनकार कर दिया कि वह तो शादीशुदा है | यह सवाल कानूनी तौर पर गलत है | पोक्सो क़ानून इस अपराध के लिए सजा तय करता है , अपराधी को विकल्प नहीं देता | सुप्रीमकोर्ट का काम संसद से पारित क़ानून के मुताबिक़ न्याय करना है , अपराधी के साथ सद्भाव बनाना नही हैं | अपन समय समय पर अदालतों की ऐसी बातों पर ध्यान आकर्षित करते रहे हैं , यही पत्रकार का धर्म है , पत्रकार का धर्म गलत होते देख कर आँख मूंदना नहीं है | ऐसे कई उदाहरण सामने आ चुके हैं कि जज खुद को क़ानून मानने लगते हैं | राम जन्मभूमि विवाद के समय भी अदालत ने उस के सामने रखे गए तथ्यों के मुताबिक़ फैसला करने की बजाए दोनों पक्षों को बातचीत से हल निकालने का सुझाव देते हुए कमेटी बना दी थी |

क़ानून व्यवस्था राज्य और प्रसाशन का मामला है , लेकिन अदालतें सरकारों को हिदायतें देने लगती हैं , शाहीन बाग़ से धरने के समय भी सुप्रीमकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर प्रसाशन को सडक खाली कर…

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Published: 01.Mar.2021, 19:14

अजय सेतिया / नरेंद्र मोदी के हर काम, हर बात की सोशल मीडिया से ले कर गलियों-गलियारों में चर्चा और समीक्षा होती है | अपन इंदिरा गांधी के बाद से 9 प्रधानमंत्री देख चुके हैं , ऐसी पब्लिक स्क्यूर्टीनी किसी और प्रधानमंत्री की होते नहीं देखी | मोदी ने 2014 का चुनाव सोशल मीडिया के माध्यम से सीधे वोटरों से रू-ब-रू हो कर लडा था , उन का वही सिलसिला अभी जारी है | नरेंद्र मोदी ने जब गुलामनबी आज़ाद की राज्यसभा से विदाई पर बहाए थे तो उनके आंसुओं की भी पब्लिक स्क्यूर्टीनी शुरू हो गई थी | सोशल मीडिया पर अटकलों का बाज़ार लग गया था कि मोदी उन्हें भाजपा में ला रहे हैं , लेकिन गुलाम नबी ने यह कह कर अटकलों पर विराम लगा दिया था कि वह भाजपा में तब आएँगे , जब काली बर्फबारी होगी |

लेकिन सोनिया और राहुल के नेतृत्व को चुनौती देने वाले जी-23 की जम्मू में बैठक के दौरान गुलामनबी ने मोदी की चाय पर चर्चा कर के सोशल मीडिया को फिर से सक्रिय कर दिया है | गुलामनबी आज़ाद का इरादा आजकल नेक नहीं लगता , जब कांग्रेस के नेता मोदी के चाय बेचने के दावे पर सवाल उठाते रहे हैं , तो गुलामनबी ने इसी मुद्दे पर उन की त…

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Published: 25.Feb.2021, 20:47

अजय सेतिया / राहुल गांधी ने एक बार नरेंद्र मोदी का नाम नीरव मोदी और ललित मोदी के साथ जोड़ कर उन पर हमला किया था | कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता ने तीनों मोदियों को एक साथ जोड़ना शुरू दिया था , जैसे बाकी दोनों नरन्द्र मोदी के छोटे भाई हों , और नरेंद्र मोदी ने ही दोनों को भारत से भागने में मदद की हो | इस के साथ साथ कांग्रेसियों ने विजय माल्य का नाम भी जोड़ दिया था कि उन्हें भी नरेंद्र मोदी ने भगाया | जबकि तीनों के कांग्रेस के साथ गहरे रिश्ते थे और तीनों को कांग्रेस सरकारों ने ही मदद की थी | ललित मोदी क्रिकेट के जुड़े आईपीएल घोटाला कर के भागे थे और नीरव मोदी व् विजया माल्या बैंकों को चूना लगा कर भागे हैं | तीनों ही ब्रिटेन में रह रहे हैं | तीनों पर मुकद्दमें चल रहे हैं , लेकिन लचीले ब्रिटिश कानूनों के कारण प्रत्यापर्ण नहीं हो पा रहा | पर राहुल गांधी गाहे-ब-गाहे प्रत्यर्पण नहीं होंने के कारण नरेंद्र मोदी के सिर ठीकरा फोड़ते रहते हैं |

मई 2020 में एक दिन तो ऐसी पुष्ट खबर आ गई थी कि विजया माल्या उस रात को मुम्बई लाए जा रहे हैं , लेकिन यह खबर चंडूखाने की साबित हुई | अब गुरूवार 25…

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