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Published: 22.May.2021, 20:22

अजय सेतिया / अस्वस्थ सोनिया गांधी को मजबूरी में कांग्रेस की कमान संभालनी पड़ी थी | क्योंकि कांग्रेस उन से भी ज्यादा अस्वस्थ थी और ऐसा कोई स्वस्थ नेता भी नहीं मिला , जो बीमार कांग्रेस में जान फूंक सकता | पहले राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को उतावले थे और बाद जब लोकसभा चुनावों में नाकाम साबित हुए तो इस्ताफा देने को बाजिद्द थे | अब नेहरू परिवार के चाटुकार उन्हें दुबारा अध्यक्ष बनाने को उतावले हैं | यों कहिए कि परिवार ने उतावलेपन की जिम्मेदारी इस बार अपने चाटुकारों पर छोड़ दी है | वे बता रहे हैं कि हमारे पास नेताओं का भंडार है , कमलनाथ से ले कर अशोक गहलोत तक , चिदंबरम से खड्गे तक , और दिग्विजय सिंह से शशि थरूर | पर उन का खुद का मानना है कि मोदी को इन में कोई नहीं हरा सकता , मोदी को हराना है तो राहुल या प्रियंका ही चाहिए | मोदी और भाजपा भी यही चाहती है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बनें | भाजपा के जीतते रहने के लिए सामने राहुल ही जरूरी है |

जब तक राहुल की मानमनोव्वल की कांग्रेसी प्रक्रिया पूरी नहीं होती , तब तक अस्वस्थ सोनिया को मजबूरी में जिम्मेदारी ढोनी पड रही है | लेकिन…

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Published: 22.May.2021, 20:22

अजय सेतिया / अस्वस्थ सोनिया गांधी को मजबूरी में कांग्रेस की कमान संभालनी पड़ी थी | क्योंकि कांग्रेस उन से भी ज्यादा अस्वस्थ थी और ऐसा कोई स्वस्थ नेता भी नहीं मिला , जो बीमार कांग्रेस में जान फूंक सकता | पहले राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को उतावले थे और बाद जब लोकसभा चुनावों में नाकाम साबित हुए तो इस्ताफा देने को बाजिद्द थे | अब नेहरू परिवार के चाटुकार उन्हें दुबारा अध्यक्ष बनाने को उतावले हैं | यों कहिए कि परिवार ने उतावलेपन की जिम्मेदारी इस बार अपने चाटुकारों पर छोड़ दी है | वे बता रहे हैं कि हमारे पास नेताओं का भंडार है , कमलनाथ से ले कर अशोक गहलोत तक , चिदंबरम से खड्गे तक , और दिग्विजय सिंह से शशि थरूर | पर उन का खुद का मानना है कि मोदी को इन में कोई नहीं हरा सकता , मोदी को हराना है तो राहुल या प्रियंका ही चाहिए | मोदी और भाजपा भी यही चाहती है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बनें | भाजपा के जीतते रहने के लिए सामने राहुल ही जरूरी है |

जब तक राहुल की मानमनोव्वल की कांग्रेसी प्रक्रिया पूरी नहीं होती , तब तक अस्वस्थ सोनिया को मजबूरी में जिम्मेदारी ढोनी पड रही है | लेकिन…

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Published: 21.May.2021, 16:57

अजय सेतिया / 2020 निकल गया था , तो उम्मींद लगा कर बैठे थे कि 2021 ठीक निकलेगा | पर 2021 तो 2020 से भी खराब निकला | संक्रमण ज्यादा और व्यापार भी ठप्प | इतना खराब कि नरेंद्र मोदी भी अंदर तक इतने हिल गए कि महीना भर कुछ बोल नहीं पाए | अब वैज्ञानिक और डाक्टर उम्मींद बंधा रहे हैं कि मई के आखिर में कोरोना शांत हो जाएगा | मोदी भी इसी उम्मींद से एक्टिव हो गए हैं कि सारे बन्दोबस्त हो गए हैं , अब कोरोना शांत हो जाएगा | ऐसी ही उम्मींद दिसम्बर जनवरी में भी बंधाई गई थी | पर सब अंदाजे –भविष्यवाणियाँ चंडूखाने की निकली | एक दिन कोरोना केस घटते हैं , तो आशा की किरण दिखाई देने लगती है | पर दूसरे ही दिन केस फिर बढ़ जाते हैं | अब जब एक हफ्ते से केस घट रहे थे , तब भी मौतें बढ़ रहीं थीं |

इसी लिए यह मान कर चलना कि जुलाई से सब ठीक हो जाएगा , गलतफहमी होगी | सरकार से जो लापरवाही फरवरी-मार्च में हुई है , उस का खामियाजा पूरा साल भुगतना पड़ेगा | अब तो परमात्मा से यही दुआ मांगो कि 2022 ठीक ठाक रहे | यह उम्मींद भी अपन तब कर रहे हैं , जब केंद्र सरकार ने दिसम्बर तक 216 करोड़ वेक्सीन जुटाने का वायदा…

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Published: 15.May.2021, 20:14

अजय सेतिया / हर घर में कोई न कोई कोविड का शिकार हो रहा है | सरकार को ऐसी दुर्दशा की आशंका नहीं थी | वह तो मान कर चल रही थी कि कोविड पर विजय पा ली गई है | इस लिए भविष्य के किसी संकट और उस की तैयारियों के बारे में सोचा ही नहीं गया | सारा ढांचा सुस्त पड चुका था , अलबता किसी चेतावनी की तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा था | पिछले साल बनाई गई दर्जन भर टास्क फोर्सें लम्बी तान कर सोई थीं | जब दूसरी लहर फूटी तो न कोविड टेस्ट की पर्याप्त सुविधाएं थीं , न कोविड केयर सेंटर थे, न अस्पतालों में दवाईयां थीं, न आक्सीजन था | हर बड़े शहर में हर घर में एक या कई मरीज थे | लोग आक्सीजन से तडपते सडकों पर दम तोड़ रहे रहे थे | ऐसी दुर्दशा के कारण देश में प्रधानमंत्री के खिलाफ गुस्से की लहर है |

देश ने खुद देखा कि यह सब देख कर प्रधानमंत्री खुद सदमे थे | वह सदमे में थे , लेकिन अपने अमले पर गुस्से में भी थे | न उन का कोई बयान आ रहा था , न किसी मीटिंग की खबर बाहर आ रही थी | लेकिन संसाधनों को फिर से पटरी पर लाने की तीव्र गति से कोशिशें शुरू हो गईं थी | शुक्रवार को सदमे से उबार कर वह पहली बार जनता के सामने आ…

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Published: 14.May.2021, 20:26

अजय सेतिया / यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को किसानों से वर्च्युअल बात करने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए साफगोई से स्वीकार किया कि दूसरे दौर की कोविड लहर का मुकाबला करने में संसाधनों की कुछ कमी रह गई थी , जिन्हें अब पूरे मनोयोग से पूरा किया जा रहा है | सभी विभागों के सारे संसाधन एक साथ झोंक दिए गए हैं , तीनों सेनाओं को भी लगा दिया गया है, भारत संक्रमण के खिलाफ यह जंग जरुर जीतेगा | दूसरे दौर की आहट को सही समय पर नहीं सुनने और पिछले साल बनाई गई टास्क फोर्सों की अज्ञानता का खामियाजा सारे देश को भुगतना पड़ा है | महाराष्ट्र, केरल , कर्नाटक और दिल्ली का शायद ही कोई परिवार बचा हो जिस ने मौत को करीब से ना देखा हो | देश के बाकी हिस्सों में भी कोविड लहर ने प्रकोप फैलाया , अब तो लहर गावों की तरफ भी पहुंच रही है , जिस के कितने भयानक नतीजे निकलेंगे , अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती | डेढ़ महीने में सरकारी रिकार्ड के मुताबिक़ ही सवा लाख के करीब लोग मौत का शिकार हो चुके हैं , यूपी, बिहार , मध्य प्रदेश में जिस तरह नदियों से लाशें मिल रही हैं , उस से अनुमान लगाया…

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Published: 07.May.2021, 19:30

क्रांतिकारी कदम तब होगा जब प्रधानमंत्री केबिनेट से प्रस्ताव पास करवा कर सारा बजट स्थगित कर दें | केंद्र सरकार के कर्मचारियों का साल 21-22 का वेतन आधा कर दिया जाए | स्वास्थ्य , शिक्षा, कृषि , विज्ञान एंव प्राद्योगिकी और रक्षा मंत्रालय को छोड़ कर बाकी सारे विभागों का बजट निलम्बित कर के स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरित किया जाए | देश के सभी जिलों में सभी सुविधाओं से सम्पन्न 100 से 500 बिस्तरों तक के सरकारी अस्पताल बनाए जाएं , ज्यादा आबादी वाले जिलों में दो-दो अस्पताल बनाए जाएं , जिन में गैस प्लांट भी हों |

अजय सेतिया

पता नहीं कितने लोगों को याद होगा कि फरवरी में जब देश में चुनावों का बुखार चढ़ गया था , नेताओं ने मास्क उतार फेंकें थे , राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता पांच राज्यों की सडकों पर धूम मचा रहे थे , बड़ी बड़ी रेलिया शुरू हो गई थी | मास्क है जरूरी और दो गज की दूरी को देश भूल गया था , तब एक सज्जन नक्कारखाने में तूती बजा रहा था | उस का नाम था डा. फ्तुहीद्दीन और वह केरल की कोविड टास्क फ़ोर्स का सदस्य था | उस ने चेतावनी दी थी कि कोरोना कहीं नहीं गया है , इस तरह चुनावों…

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Published: 02.May.2021, 21:07

अजय सेतिया / अपन 1999 से चुनावी भविश्यवाणी लिखते रहे हैं | आमतौर पर अपना आकलन सर्वेक्षण एजेंसियों पर भारी पड़ता रहा है | इस के सबूत अखबारों में छपे अपने कालमों में मौजूद है | पर अपन इतना गलत कभी साबित नहीं हुए | अपना आकलन था कि बंगाल में भाजपा की सीटें , सौ के आसपास आएंगी | अब इस का मतलब यह भी लगा सकते हैं कि सौ या सौ से थोड़ी बहुत कम भी आ सकती हैं | पर नहीं , सच यह है कि अपन भाजपा की सीटें 100-120 के बीच मानते थे , सौ से कम नहीं | पर अपन यह तो श्योर थे कि तृणमूल कांग्रेस भारी पड़ेगी | भाजपा की सरकार बनने के कोई चांस नहीं हैं | हाँ असम के बारे में अपन श्योर थे , केरल में वामपंथी लौट रहे हैं , तमिलनाडू में द्रमुक आएगी , इस पर सौ फीसदी श्योर थे | पांडिचेरी के बारे में भी अपन को लगता था कि भाजपा एआईडीएमके के सहारे सत्ता पा लेगी |

वैसे अपन गलत कहीं भी साबित नहीं हुए , लेकिन हाँ अपन ने 2019 के चुनाव नतीजों के आधार पर समझना शुरू कर दिया था कि भाजपा 121 तक सीटें जीत सकती है | क्योंकि भाजपा ने लोकसभा की 18 सीटें और विधानसभा के 121 सेगमेंट पर जीत हासिल की थी | तृणमूल ने 22 लोकसभ…

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Published: 19.Apr.2021, 20:50

अजय सेतिया / अपना शुरू से मत रहा है और अपन कई बार लिख भी चुके हैं | टीवी चेनल पर चर्चा में भी अपना मत साफगोई से रख चुके हैं कि मोदी को ब्यूरोक्रेसी के मक्कड़जाल से निकल कर राजनीतिक लोगों से सलाह मशविरा ले कर निर्णय करने चाहिए | लेकिन यह गलती सिर्फ मोदी के स्तर पर ही नहीं हो रही , राज्यों के भाजपाई मुख्यमंत्री भी इसी तरह की गलतियाँ कर रहे हैं | जिस से जनाक्रोश बढ़ता है | उत्तराखंड का उदाहरण अपने सामने है | कोरोनावायरस से पहले भी अपन पिछले कई सालों से लिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को अपना राजनीतिक फीडबैक मजबूत करना चाहिए | ब्यूरोक्रेसी से मिले फीडबैक के आधार पर फैसला करने की बजाए काउन्टर चेक किया जाना चाहिए | राजनीतिक मामलों की केबिनेट कमेटी की बैठकें साप्ताहिक स्तर पर होने चाहिए | अगर अपन संक्रमन की मौजूदा रफ्तार के लिए ब्यूरोक्रेटिक फैसलों को जिम्मेदार ठहराएं तो गलत नहीं होगा |

अपन जानते हैं कि भारत में मेन्युफेकचर की गई कोवेक्सिन और कोवाशिल्ड दुनिया के अन्य देशों को देने की हमारी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिब्द्ध्ता थी , क्योंकि वेक्सीन पर उन देशों का भी हक बन…

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Published: 14.Apr.2021, 20:36

अजय सेतिया / शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पहले कदम उठाने से चूक गए | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने खुद को बच्चों के बारे में ज्यादा संवेदनशील साबित किया | उन्होंने वक्त रहते प्रधानमंत्री से सीबीएसई की परीक्षाएं रद्द करने की मांग की | राजनीति में अपन देखते आए हैं सरकार ने जब कोई लोकप्रिय फैसला लेना होता था तो सत्ताधारी पार्टी की तरफ से मांग उठाई जाती थी | अपनी पार्टी को लोकप्रिय फैसले का श्रेय दिया जाता था | लेकिन इस मामले में केजरीवाल श्रेय ले गए | केजरीवाल की सार्वजनिक मांग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल कर के शिक्षामंत्री को बुला कर फैसला करवाया | यह घटना मोदी सरकार की कार्यशैली पर भी एक टिप्पणी है कि मंत्री जनहित के फैसले लेने में भी तब तक पहल नहीं करते , जब तक ऊपर से इशारा न हो | यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है |

प्रधानमंत्री के आदेश पर मेट्रिक की परीक्षाएं रद्द हो गई है और बाहरवीं की परीक्षाएं स्थगित | यह उन्हीं का बनाया हुआ फार्मूला है कि स्टूडेंट्स का मूल्यांकन इंटर्नल एसेसमेंट के आधार पर किया जाएगा | जिन छात्रों को इंटरनल ए…

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Published: 13.Apr.2021, 21:25

अजय सेतिया / विक्रमी सम्वत 2078 के पहले दिन मंगलवार शाम आठ बजे जब अपन यह कालम लिख रहे थे , दुनिया भर में 29,62,470 लोग कोरोना का शिकार हो कर स्वर्ग सिधार चुके थे | अमेरिका जो अभी तक पहले नम्बर पर है , वहां 5,62,000 लोग मौत का शिकार हुए हैं , भारत की संख्या 1,71,058 है | लेकिन कोरोना की शुरूआत से ही मोदी विरोध के कारण भारत के बारे में नाकारात्मक सोच रखने वाले मीडिया ने शोर मचाना शुरू कर दिया है कि क्या अमेरिका को पीछे छोड़ेगा भारत | राजनीतिक तौर पर मात नहीं दे सके तो कोरोना महामारी को आगे कर के मोदी को मात देने की इस कुत्सित मानसिकता पर क्या कहा जाए | हालांकि अपन भी मोदी सरकार की पहले 60 से ऊपर और अब 45 से ऊपर उम्र वालों को वेक्सीन दिए जाने की राशनिंग से सहमत नहीं है | सरकार की इस दलील को भी अपन खारिज नहीं करते कि भारत की दोनों वेक्सीन उत्पादक कम्पनियां इतनी वेक्सीन नहीं बना रही हैं कि सब को वेक्सीन लगाने के दरवाजे एक साथ खोल दिए जाएं | लेकिन इस में भी कोई मापदंड रख कर रास्ता निकाला जा सकता था | जैसे महानगर मुम्बई और दिल्ली के आधार कार्ड धारकों को 25 साल की उम्र से वेक्सीन लगा…

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