अजय सेतिया / अस्वस्थ सोनिया गांधी को मजबूरी में कांग्रेस की कमान संभालनी पड़ी थी | क्योंकि कांग्रेस उन से भी ज्यादा अस्वस्थ थी और ऐसा कोई स्वस्थ नेता भी नहीं मिला , जो बीमार कांग्रेस में जान फूंक सकता | पहले राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को उतावले थे और बाद जब लोकसभा चुनावों में नाकाम साबित हुए तो इस्ताफा देने को बाजिद्द थे | अब नेहरू परिवार के चाटुकार उन्हें दुबारा अध्यक्ष बनाने को उतावले हैं | यों कहिए कि परिवार ने उतावलेपन की जिम्मेदारी इस बार अपने चाटुकारों पर छोड़ दी है | वे बता रहे हैं कि हमारे पास नेताओं का भंडार है , कमलनाथ से ले कर अशोक गहलोत तक , चिदंबरम से खड्गे तक , और दिग्विजय सिंह से शशि थरूर | पर उन का खुद का मानना है कि मोदी को इन में कोई नहीं हरा सकता , मोदी को हराना है तो राहुल या प्रियंका ही चाहिए | मोदी और भाजपा भी यही चाहती है कि राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बनें | भाजपा के जीतते रहने के लिए सामने राहुल ही जरूरी है |
जब तक राहुल की मानमनोव्वल की कांग्रेसी प्रक्रिया पूरी नहीं होती , तब तक अस्वस्थ सोनिया को मजबूरी में जिम्मेदारी ढोनी पड रही है | लेकिन…
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