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संसद की कारगुजारी से चुनावी आहट

Publsihed: 08.Dec.2007, 20:35

एटमी करार पर हुई बहस के बाद वामपंथी, तीसरे मोर्चे और राजग के सांसदों ने वाकआउट करके यूपीए सरकार को अल्पमत में दिखा दिया है। भले ही वामपंथी दलों ने मनमोहन सिंह सरकार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से बातचीत करने की हरी झंडी दे दी है, लेकिन संसद में दिखाए गए तेवरों से चौदहवीं लोकसभा पर अभी भी तलवार लटकी हुई है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम 2008-09 का बजट तैयार कर रहे हैं, संसद पर लटकी तलवार के कारण माना जा रहा है कि मौजूदा सरकार का यह बजट ही आखिरी हो सकता है। इसलिए तय है कि यह बजट लोकलुभावन होगा।

सवाल करार का नहीं, विदेश नीति का

Publsihed: 21.Oct.2007, 20:31

वामपंथी दलों की मुख्य चिंता भारत-अमेरिका एटमी करार की नहीं, अलबत्ता विदेश नीति को लेकर है। एटमी करार के जरिए अमेरिका ने जिस तरह की रणनीति अख्तियार की है, उससे भारत की विदेश नीति में बदलाव होना स्वाभाविक है। मौजूदा सरकार कितना भी कहे कि भारत की विदेश नीति कतई प्रभावित नहीं होगी, लेकिन मनमोहन सिह का यह कथन विश्वसनीय साबित नहीं होता। खासकर ईरान को लेकर अमेरिका के भारत पर पड़ रहे दबाव के कारण यह स्पष्ट हो जाता  है कि महाशक्ति के असली इरादे क्या हैं। अमेरिका चाहता है कि ईरान-पाक-भारत गैस पाईप लाइन का समझौता न हो, इसीलिए उसने भारत के सामने एटमी ऊर्जा का प्रस्ताव रखा था।