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Exclusive Articles written by Ajay Setia
कोरोना काल और लोकतंत्र का मंदिर
अजय सेतिया / कोरोनावायरस जब अपने पूरे शबाब पर था , तो 40 दिन बाद लाकडाउन खोलना शुरू कर दिया गया था , क्योंकि देश की आर्थिकी तबाही के कगार पर पहुंच गई थी | अब ट्रेनों को छोड़ कर शायद कुछ बचा नहीं , सब कुछ खुल चुका है | सुनते हैं जब ट्रेनें खुलेंगी तो कुछ ट्रेनें और सारे स्टेशन प्राईवेट हाथों में होंगे | इस बीच कोरोना काल में ही बिहार विधानसभा और देश के अन्य राज्यों की खाली सीटों पर भी चुनाव हो गए | लाकडाउन के दौरान ही संसद का मानसून सत्र भी बुलाया गया , जिसमें हल्ले गुल्ले के दौरान ही कृषि बिल पास करवाए गए ,जो अब मोदी सरकार के गले की फांस बने हुए हैं | लोग सवाल कर रहे हैं कि लाकडाउन पीर
पाक और चीन इकठ्ठे युद्ध छेड़ सकते हैं
अजय सेतिया / दो दिन पहले फिक्की के एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हुआ, वह चीन के हित में नहीं है | वह कोई भविष्यवाणी नहीं करना चाहते कि यह तनाव कितना लंबा खिंचेगा या कब तक समाधान निकलेगा | एस. जयशंकर राजनीति में नए नए रंगरूट हैं , इस लिए एक एक शब्द संभल कर बोलते हैं , क्योंकि उन की नौकरी कभी भी जा सकती है | सोचिए उन की जगह पर सुषमा स्वराज होती तो वह क्या कह्र्तीं | वह कहतीं कि चीन आग से खेल रहा है , भारत अब 1962 का नेहरु का भारत नहीं है , यह नरेंद्र मोदी का भारत है | एस.
गवर्नर जल्दी में हैं, केंद्र नहीं
अजय सेतिया / गुरूवार को भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के बाद शुक्रवार के अपने कालम में अपन ने लिखा था कि पश्चिम बंगाल में अब राष्ट्रपति शासन की जरूरत है | केंद्र सरकार ने शुक्रवार शाम को ही राज्यपाल जगदीप धनखड से क़ानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मांग ली थी , अपनी नियुक्ति के समय से ममता बेनर्जी का फूहडपन झेल रहे राज्यपाल ने तुरत फुरत करीब 15 पेज की विस्तृत रिपोर्ट भेज भी दी | चन्द्र शेखर सरकार में मंत्री रहे जगदीप धनखड़ सुप्रीमकोर्ट के धाकड़ वकील रहे हैं | वह मेधावी छात्र थे, आईआईटी, एनडीए और आईएएस तक की परीक्षाएं पास करने के बावजूद उन्होंने वकालत को च
बंगाल में राष्ट्रपति राज की जरूरत
अजय सेतिया / किसान आन्दोलन पर अगर कम्युनिस्ट पार्टियों का नियन्त्रण नहीं होता , तो 9 दिसम्बर को केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए लिखित आश्वासनों के बाद आन्दोलन खत्म हो जाता और बातचीत शुरू हो जाती | उसी दिन राष्ट्रपति को मिले पांच नेताओं में से राहुल गांधी को छोड़ कर कोई भी उत्तर भारत का नहीं था | इस लिए राष्ट्रपति भवन से निकल कर राहुल गांधी के अलावा किसी ने भे मीडिया से हिन्दी में बात नहीं की | वैसे राहुल गांधी को भी अमेठी ने ठुकरा दिया है और वह केरल से चुन कर आए हैं , तमिलनाडू के टी आर बालू और महाराष्ट्र के शरद पवार के अलावा बंगाल और केरल के दो कम्युनिस्ट नेता सीता राम येचुरी और डी