बातचीत को पटरी पर ले आए अमित शाह

Publsihed: 08.Dec.2020, 21:36

अजय सेतिया / अपन ने कल लिखा था कि किसान टुकड़े टुकड़े गैंग के चंगुल में फंस गए हैं | इस के दो सबूत अपने सामने आ चुके हैं , किसानों के अंदर घुस कर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग रखवाने में कामयाब होना और बातचीत के दौरान ही भारत बंद की अपील | गैर भाजपा दल इस घटनाक्रम से उत्साहित हैं , क्योंकि उन्हें सडक पर उतरने का मौक़ा मिल गया | एनडीए शाषण वाले यूपी , उतराखंड , बिहार और कर्नाटक में विपक्षी दलों ने सडकों पर उतर कर प्रदर्शन किए और गैर भाजपा शाषित राज्यों में सरकारों ने खुद बंद करवाने की कोशिश की | किसानों के कुछ नेता टुकड़े टुकड़े गैंग और विपक्ष की चाल को समझ गए थे कि वे केंद्र के साथ वार्ता को पटरी से उतारना चाहते हैं , लेकिन तब तक देर हो चुकी थी , फिर भी उन्होंने वक्त रहते राजनीतिक नेताओं को अपने मंच पर नहीं चढने देने का एलान कर दिया |

अब जब किसान मंच पर नहीं चढने दे रहे तो राहुल गांधी पांच विपक्षी नेताओं के साथ बुधवार को राष्ट्रपति से मुलाक़ात कर तीनों कृषि बिलों को वापस लेने की मांग करेंगे | वे जानते हैं कि राष्ट्रपति के हाथ में कुछ नहीं होता , पर राजनीति में नाटक का ही महत्व होता है , जैसा मंगलवार और बुधवार को केजरीवाल ने किया | विपक्षी नेताओं , खासकर राहुल गांधी और शरद पवार के लिए सफाई देना जरूरी हो गया है , क्योंकि इन दोनों के पुराने भाषण , चिठ्ठियाँ और चुनाव घोषणा पत्रों के वे अंश वायरल हो गए हैं जिन में इन्होने सत्ता में रहते एपीएमसी में बदलाव या खत्म करने की वकालत की हुई है | केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी को बेनकाब करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2019 के चुनाव घोषणापत्र के पेज नंबर 17 के प्‍वाइंट 11 में कहा था कि कांग्रेस एपीएमसी  को हटाएगी और इंटर स्‍टेट व्यापार को फ्री करने का काम करेगी |

इसी तरह यूपीए सरकार में कृषि मंत्री के नाते शरद पवार ने मुख्यमंत्रियों को चिठ्ठी लिख कर कृषि क्षेत्र में निवेश के लिए मंडी कानून में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया गया था | मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से वह चिठ्ठी दिखाए जाने पर झेंपते हुए शरद पवार ने सफाई दी है कि उन्होंने एपीएमसी खत्म करने की बात नहीं लिखी थी , लेकिन भाई एपीएमसी क़ानून खत्म हुआ भी कहाँ है , किसानों को एपीएमसी से बाहर फसल बेचने की छूट दी गई है , और वही शरद पवार की चिठ्ठी की मंशा थी | कांग्रेस ने भी शरद पवार का बचाव करते हुए कहा कि शिव राज चिठ्ठी की सिर्फ एक लाईन पढ़ रहे हैं , तो शिवराजसिंह ने सोनिया को पाखंडी बता कर  चुनौती दे डाली कि वह इन चिठ्ठियों को पढ़ कर बताएं कि इस की मंशा क्या थी | लब्बोलुवाब यह कि विपक्ष विरोध के लिए विरोध कर रहा है , वह नरेंद्र मोदी सरकार के विरोध के लिए मुद्दे नहीं ढूंढ पा रहा | वह हताश है कि उस पर से जनता का विश्वास उठ चुका है , इस लिए वे कितना भी विरोध कर लें , जनता का मोदी पर विश्वास नहीं तोड़ पाएगी |

इसी हताशा की वजह से विपक्ष ने किसानों का आन्दोलन शुरू होने से पहले कभी भी जनता को यह बताने की कोशिश नहीं की कि वह राज्यसभा में तीनों कानूनों का विरोध क्यों कर रहा था | जरा भी पड़ताल करने की कोशिश नहीं की कि कानून किसानो को राहत देने और उन की आमदनी बढाने के लिए बनाए गए हैं या हर शहर में अम्बानियों के जियो मार्ट खोलने और अड़ानियों को अनाज भंडारण के लिए बड़े बड़े साईलोज बनाने में मदद के लिए बनाए गए हैं | राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो यहाँ तक है कि राहुल गांधी और शरद पवार किसानों को गुमराह कर रहे कि वे उन के साथ हैं , असल में वे इन मुद्दों को अभी भी सिर्फ इस लिए नहीं उठा रहे क्योंकि उन्हें भी अडानियों अम्बानियों से फंडिंग मिलती है | राहुल गांधी आज कल अपने भाषणों में अडानी अम्बानी नहीं बोलते | भारत बंद के दौरान विपक्ष का असली चेहरा भी सामने आ गया तो किसानों ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात का न्योता स्वीकार कर बातचीत में आए गतिरोध को खत्म करने का महत्वपूर्ण कदम उठा कर विपक्ष का वार्ता को पटरी से उतारने का मंसूबा नाकाम कर दिया |

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