न माल्या आया , न मोदी आएगा

Publsihed: 25.Feb.2021, 20:47

अजय सेतिया / राहुल गांधी ने एक बार नरेंद्र मोदी का नाम नीरव मोदी और ललित मोदी के साथ जोड़ कर उन पर हमला किया था | कांग्रेस के हर छोटे बड़े नेता ने तीनों मोदियों को एक साथ जोड़ना शुरू दिया था , जैसे बाकी दोनों नरन्द्र मोदी के छोटे भाई हों , और नरेंद्र मोदी ने ही दोनों को भारत से भागने में मदद की हो | इस के साथ साथ कांग्रेसियों ने विजय माल्य का नाम भी जोड़ दिया था कि उन्हें भी नरेंद्र मोदी ने भगाया | जबकि तीनों के कांग्रेस के साथ गहरे रिश्ते थे और तीनों को कांग्रेस सरकारों ने ही मदद की थी | ललित मोदी क्रिकेट के जुड़े आईपीएल घोटाला कर के भागे थे और नीरव मोदी व् विजया माल्या बैंकों को चूना लगा कर भागे हैं | तीनों ही ब्रिटेन में रह रहे हैं | तीनों पर मुकद्दमें चल रहे हैं , लेकिन लचीले ब्रिटिश कानूनों के कारण प्रत्यापर्ण नहीं हो पा रहा | पर राहुल गांधी गाहे-ब-गाहे प्रत्यर्पण नहीं होंने के कारण नरेंद्र मोदी के सिर ठीकरा फोड़ते रहते हैं |

मई 2020 में एक दिन तो ऐसी पुष्ट खबर आ गई थी कि विजया माल्या उस रात को मुम्बई लाए जा रहे हैं , लेकिन यह खबर चंडूखाने की साबित हुई | अब गुरूवार 25 फरवरी को लन्दन से आई इस खबर को भी भारतीय मीडिया ने ऐसे उछाल दिया है कि जैसे वह कल भारत लाए जा रहे हैं | नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक को 13 हजार 600 करोड़ का चूना लगा कर ब्रिटेन भाग गया था | भारत के प्रत्यर्पण वारंट पर 19 मार्च 2019 को उसे लन्दन के एक बैंक से गिरफ्तार किया गया था | तब से वह लन्दन की वॉन्ड्सवर्थ जेल में बंद है और बीमारी की वजह से सुनवाई के दौरान भी उसे कम ही कोर्ट में लाया गया | गिरफ्तारी होने पर खुद को बीमार बताना भारतीय राजनीतिज्ञों और प्रभावशाली आर्थिक अपराधियों का मुख्य बहाना होता है | भारत में कई बार यह बहाना चल जाता है , और कई बार नहीं भी चलता , क्योंकि भारतीय अदालतें भी उन की जहनियत समझती हैं | इस बहानेबाजी के कारण कई बार असल बीमार भी जमानत से वंचित हो जाता है | जैसे लालू यादव को वास्तव में बीमार होने के बावजूद जमानत नहीं मिल रही |

शायद लन्दन की कोर्ट भी भारतीय राजनीतिज्ञों और आर्थिक अपराधियों की बहानेबाजी को जानती थी , इस लिए नीरव मोदी की जमानत की सभी कोशिशें नाकाम हुई | अब हुआ सिर्फ यह है कि नीरव मोदी को लन्दन की वेस्टमिनिस्टर कोर्ट ने प्रत्यापित करने की मंजूरी दी है | कोर्ट ने नीरव मोदी की सारी बहानेबाजी खारिज कर दी | उस की पहली बहानेबाजी यह थी कि वह दिमागी तौर पर ठीक नहीं है | दूसरी दलील यह थी कि भारतीय जेलें सुरक्षित नहीं हैं | तीसरी दलील यह थी कि उसे इन्साफ नहीं मिलेगा | भारत सरकार ने कोर्ट को बता रखा था कि उसे मुम्बई की आर्थर रोड जेल की बैरक नम्बर 12 में रखा जाएगा , जो सुरक्षित तो है ही , सरकार उन के स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखेगी | नतीजतन वेस्टमिंस्टर कोर्ट के जज सैमुअल गूजी ने कहा कि नीरव मोदी वास्तव में घपला कर के भाग आए हैं , उन्हें आर्थर रोड जेल में पर्याप्त चिकित्सा दी जाएगी और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल भी की जाएगी | खुद को मानसिक रोगी बता कर वह आत्महत्या की आशंका जता रहे थे , यह बड़ी बात है कि जज ने अपने फैसले में यह भी कहा कि नीरव मोदी को भारत भेजने पर आत्महत्या का कोई खतरा नहीं है |  

सवाल यह है कि कोर्ट के आदेश के बाद नीरव मोदी के पास अब क्या विकल्प है ? क्या इसके बाद उसे भारत लाया जा सकेगा ? या विजय माल्य की तरह नीरव के भारत आने में अभी भी कोई पेंच हैं ? कोर्ट के फैसले के बाद की प्रक्रिया यह है कि यह फैसला ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के पास दस्तखत के लिये भेजा जाएगा | अगर यहां कोई समस्या आती है तब भी नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण में विलम्ब हो सकता है | हालांकि, भारत सरकार के कई अधिकारी ब्रिटिश सरकार के साथ करीबी संपर्क बनाए हुए हैं, ताकि मंत्रालय में कोई पेंच न फंसे | प्रत्यर्पण के कागज पर दस्तखत करने के लिए होम ऑफिस के पास 28 दिन का समय होता है | लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान नीरव मोदी के पास अभी भी एक विकल्प हैं | उसे हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार है | वह अपील करेगा ही , तो फिर वहां नए सिरे से सुनवाई शुरू होगी , वकीलों की दलीलें होगी , जो महीनों चल सकती है | मई 2020 में लन्दन की हाईकोर्ट ने विजय माल्य की अर्जी खारिज की थी , फिर भी अभी उसे भारत नहीं लाया जा सका |

 

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