अजय सेतिया / नरेंद्र मोदी के हर काम, हर बात की सोशल मीडिया से ले कर गलियों-गलियारों में चर्चा और समीक्षा होती है | अपन इंदिरा गांधी के बाद से 9 प्रधानमंत्री देख चुके हैं , ऐसी पब्लिक स्क्यूर्टीनी किसी और प्रधानमंत्री की होते नहीं देखी | मोदी ने 2014 का चुनाव सोशल मीडिया के माध्यम से सीधे वोटरों से रू-ब-रू हो कर लडा था , उन का वही सिलसिला अभी जारी है | नरेंद्र मोदी ने जब गुलामनबी आज़ाद की राज्यसभा से विदाई पर बहाए थे तो उनके आंसुओं की भी पब्लिक स्क्यूर्टीनी शुरू हो गई थी | सोशल मीडिया पर अटकलों का बाज़ार लग गया था कि मोदी उन्हें भाजपा में ला रहे हैं , लेकिन गुलाम नबी ने यह कह कर अटकलों पर विराम लगा दिया था कि वह भाजपा में तब आएँगे , जब काली बर्फबारी होगी |
लेकिन सोनिया और राहुल के नेतृत्व को चुनौती देने वाले जी-23 की जम्मू में बैठक के दौरान गुलामनबी ने मोदी की चाय पर चर्चा कर के सोशल मीडिया को फिर से सक्रिय कर दिया है | गुलामनबी आज़ाद का इरादा आजकल नेक नहीं लगता , जब कांग्रेस के नेता मोदी के चाय बेचने के दावे पर सवाल उठाते रहे हैं , तो गुलामनबी ने इसी मुद्दे पर उन की तारीफ़ के पुल क्यों बांधे | जम्मू में केसरिया पगड़ी पहनते ही यह कह कर मोदी की तारीफ़ करने लगे कि वह चाय बेचने वाली अपनी पृष्ठभूमि बताने से हिचकते नहीं , यह बड़ी बात है | वैसे तो यह बात कई अखबारों की सुर्खियाँ बनी हैं , पर किसी ने यह नहीं लिखा कि क्या मोदी का जिक्र कर के उन्होंने सोनिया गांधी पर हमला किया है , जिन्हें शादी पूर्व के नाम एंटोनिया माईनों कहे जाने पर भी एतराज होता है |
पहली मार्च को अखबारों और टीवी चेनलों ने भी गुलामनबी के कथन को मजे लेते हुए सुनाया | पर पहली मार्च को ज्यादा चर्चा रही नरेंद्र मोदी के भारत बायोटेक का कोरोनावायरस रोधक टीका लगवाने की , सुबह नौ बजे टीवी पर लाईव दिखाई गई इस तस्वीर ने सारे विपक्ष की हवा निकाल कर रख दी | मोदी चाहते तो अपने घर पर टीका लगवाते , डाक्टरों की फ़ौज प्रधानमंत्री आवास पर पड़ी रहती है , लेकिन उन्होंने एम्स में जा कर टीका लगवाया , और वह भी भारत बायोटेक कम्पनी का टीका लगवा कर विपक्ष के मुहं पर करारा तमाचा मारा है | जिसकी विश्वसनीयता को ले कर विपक्ष ने बवाल मचाया हुआ था | अखिलेश यादव ने भाजपा का अविश्वसनीय टीका कह दिया था और सुरजेवाला ने देश की जनता से खिलवाड़ कह दिया था | मनीष तिवारी ने टीके को अविश्वसनीय बता कर कहा था कि पहले मोदी ने ख़ुद क्यों लगवाया ।
मोदी के बाद भाजपा और सहयोगी दलों के मुख्यमंत्रियों के टीका लगवाने की खबर आने लगी , तो कांग्रेस के दिग्गज इसे चुनावी स्टंट बताने लगे, जैसे खिसियानी बिल्ली खम्बा नोच रही हो | अपन भी विपक्ष की इस मांग से सहमत थे कि मोदी खुद भारत में टीका लगवाने की शुरुआत करते , वह चाहते तो शुरुआत कर भी सकते थे , वह कभी ऐसा मौक़ा चूकते भी नहीं | लेकिन जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने तय कर दिया कि पहले कोरोना वारियर को टीका लगेगा , फिर 60 से ज्यादा उम्र वालों को , तो मोदी ने उस दिशा-निर्देश का पालन किया , वरना यह कह कर आलोचना होती कि देश के बाकी सीनियर सीटीजन की उपेक्षा कर पहले खुद टीका लगवा लिया | तृणमूल के सांसद सौगत राय ने कुछ ऐसी छींटाकसी करी भी थी | पर मोदी को यह भी पता होता है कि असमी गमछा और बंगाली शाल पहन कर कब पुदुच्चेरी की नर्स से टीका लगवाना चाहिए ।
पर इसी बीच आई इस खबर ने लोकतंत्र में मिले सब को बराबरी के हक को चोट पहुंचाई कि सुप्रीमकोर्ट के जजों को यह चुनने का अधिकार होगा कि वह भारत बायोटेक का टीका कोवैक्सीन लगवाना चाहते है या सीरम कम्पनी का कोविशील्ड | इस खबर ने मोदी के किए कराए पर पानी फेर दिया | जब कोरोना वारियर्स को कम्पनी चुनने का अधिकार नहीं दिया गया था तो सुप्रीमकोर्ट के जजों को यह अधिकार क्यों ? इस के साथ यह खबर भी आई कि जजों के परिजनों को भी टीका लगाया जाएगा , यह भी गलत है क्योंकि अभी तो 60 साल से ज्यादा उम्र वालों और 45 से ज्यादा उम्र वाले उन्हों लोगों को लगना तय किया गया है , जिन्हें कोई घातक बीमारी है | सुप्रीमकोर्ट के जजों के परिजन कोई सुपर नागरिक तो है नहीं | इस बीच यह उत्साहवर्धक खबर आई है कि मोदी मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों ने प्राईवेट अस्पतालों से 250 रुपया देकर टीका लगवाने का फैसला किया है |
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