तालिबान से भारत को खतरा कितना

Publsihed: 26.Aug.2021, 21:13

अजय सेतिया / अमेरिका की ओर से जल्दबाजी में छोड़े गए आधुनिक हथियारों के विशाल जखीरे से लैस तालिबान पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली हो गया है | अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी , जिसे  न 1982 में सोवियत संघ जीत पाया था और न 1996 से 2001 तक काबुल पर काबिज तालिबान जीत पाया था , लेकिन अब पहली बार अमेरिकी हथियारों की बदौलत तालिबान ने पंजशीर के रास्ते बंद कर के नार्दन अलांस को चुनौती दे दी है | अमेरिकी हथियारों से लैस तालिबान ने पहले अफगानिस्तानियों को देश छोड़ने से रोकने के लिए उन की मार पिटाई शुरू की थी और अब उन्हें हवाई अड्डे से भगाने के लिए बम धमाके शुरू कर दिए हैं | काबुल एयरपोर्ट पर हो रही इन वारदातों से अमेरिका का यह दावा भी खोखला साबित हो गया है एयरपोर्ट उस के कब्जे में है | एयरपोर्ट को अपने कब्जे में लेने के लिए अमेरिका ने पांच हजार सैनिक भेजे थे | साफ़ है कि तालिबान के कट्टरपंथी मुसलमानों ने अमेरिका को अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं |

इस बीच तालिबान ने यह भी साफ़ कर दिया है कि पाकिस्तान उनके 'दूसरे घर' जैसा है | एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल से बात करते हुए तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि न सिर्फ अफगानिस्तान की सीमाएं पाकिस्तान से लगती हैं , बल्कि दोनों देशों का मजहब भी इस्लाम है | तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान की  सरजमीं पर ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे जो पाकिस्तान के हितों के खिलाफ हो | तालिबान का इशारा अफगानिस्तान के रास्ते बलूचिस्तान में हो रही गतिविधियों को ले कर है | पाकिस्तान आरोप लगाता रहा है कि बलूचिस्तान के विद्रोह के पीछे भारत का हाथ है | इस लिए तालिबान के इस बयान को भारत के खिलाफ समझा जाना चाहिए |

इस की गंभीरता को समझने के लिए अपन को पाकिस्तान की सतारूढ़ पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रवक्ता नीलम इरशाद शेख के बयान को देखना पड़ेगा , जो उन्होंने 24 अगस्त को दिया था | उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ अपने सीमा मुद्दों से निपटने में तालिबान की सहायता लेगा | उन्होंने कहा कि तालिबान कश्मीर को जीतने में पाकिस्तान की मदद करेगा | जहां एक तरफ भारत की सरकार तालिबान को लेकर कोई नीति स्पष्ट नहीं कर पा रही है , वही ऐसा लगता है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार और तालिबान में कश्मीर को ले कर सहमति बनी है | नीलम इरशाद शेख ने एक टीवी डिबेट में इस का खुलासा करते हुए कहा कि  "तालिबान कह रहे हैं कि वे हमारे साथ हैं और वे कश्मीर में हमारी मदद करेंगे | " इस लिए इस आशंका को हवा में नहीं उड़ाया जा सकता कि अमेरिका की और से छोड़ा गया हथियारों का जखीरा भारत के खिलाफ इस्तेमाल होगा |

जहां एक तरफ पूरी दुनिया तालिबान की दहशतगर्दी और अमेरिका को दिए गए धोखे से खफा है , वहीं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के सहयोगी देश पाकिस्तान में खुशियाँ मनाई जा रही हैं | हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें इस्लामाबाद की लाल मस्जिद से जामिया हफ्सा के छात्रों को 'सलाम तालिबान' गाते हुए सुना जा सकता है – इस गीत में तालिबान की बर्बरता की तारीफ़ की गई है | इतना ही नहीं इस्लामाबाद में एक मदरसे की छत पर तालिबान के झंडे लहराए गए | जिस दिन तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था उस दिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान दिया था कि अफगानों ने "गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया" | स्पष्ट है की पाकिस्तान उस समय भी अमेरिका की पीठ में छुरा घोंप कर तालिबान की मदद कर रहा था , जब वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का सहयोगी देश बना हुआ था | अब तालिबान और पाकिस्तान की यह दोस्ती भारत के लिए आतंकवाद के नए खतरे की घंटी है |

 

 

 

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