सोनिया ने 2024 की हार भी मान ली

Publsihed: 20.Aug.2021, 22:34

अजय सेतिया / लिखने को अपन आज भी अफगानिस्तान पर लिखते , वहां से कई नई खबरें आई हैं | एक खबर तो यह है कि अब जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है तो उसने पिछली सरकार के कर्मचारियों को चुन चुन कर ढूंढना शुरू कर दिया है | उन में से कुछ को गोली मार दी गई है | वहीं चौंकाने वाली खबर यह है कि तालिबान प्रमुख हैबतुल्‍लाह अखुंदजादा कहाँ है | वह न तो दोहा वार्ता में शामिल था और न ही अफगानिस्तान पर तालिबान के बाद कहीं दिखाई दे रहा है | अमेरिका ने उसे वार्ता में शामिल क्यों नहीं किया था | 50 वर्षीय हैबतुल्‍लाह अखुंदजादा को एक सैनिक/लड़ाके के बजाय एक कानूनविद के रूप में जाना जाता है | उसी ने तालिबान में इस्‍लाम की चरम व्‍याख्‍याओं को लागू करवाया था | क्या इसी लिए अमेरिका ने उसे वार्ता में शामिल नहीं किया | मई 2016 में जब तालिबान प्रमुख अख्तर मंसूर की अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी | तब हैबतुल्‍लाह अखुंदजादा तालिबान प्रमुख बनाया गया था | खबर यह है कि अब्दुल गनी बरादर की तरह वह भी पाकिस्तान की जेल में है | लेकिन अमेरिका ने पाकिस्तान से अब्दुल गनी को रिहा करवाया , हैबतुल्‍लाह अखुंदजादा को नहीं | क्या यह अमेरिका की तालिबान में फूट डालने की भावी रणनीति का हिस्सा है |

पर आज अफगानिस्तान पर बस इतनी ही टिप्पणी के बाद अपन भारत में विपक्ष की एकता पर चर्चा करेंगे | कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को 19 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी | यह बैठक बुला कर सोनिया गांधी ने यह स्वीकार कर लिया है कि कांग्रेस अकेले भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती | कांग्रेस ने 1998 में अपने पचमढी सम्मेलन में अकेला चलने का फैसला किया था | पर सोनिया गांधी ने 2003 में शिमला में कांग्रेस मुख्यमंत्रियों की बैठक में यह फैसला बदलवा दिया | उन्होंने बाकी विपक्षी दलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का फैसला किया | जिस के साकारात्मक नतीजे भी निकले थे | कांग्रेस की अगवाई में 2004 में ही यूपीए की सरकार बन गई थी | जिस ने भ्रष्टाचार के चरम सीमा पर पहुंचने तक दस साल राज किया | लगातार दो बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद अब सोनिया गांधी फिर से वही कोशिश कर रही हैं | अब नई रणनीति यह है कि जहां जहां गैर कांग्रेसी गैर भाजपा दल हावी हैं वहां वहां कांग्रेस उन का नेतृत्व स्वीकार कर लेगी |

सोनिया ने इस वर्च्युल बैठक में कहा कि विपक्ष को वर्ष 2024 के आम चुनाव के लिए व्‍यवस्थित योजना बनानी होगी | मतभेदों , मजबूरियों और बाध्‍यताओं  से ऊपर उठना होगा | हमें एकजुट होना होगा इसके अलावा कोई विकल्‍प नहीं है | साफ़ है कि कांग्रेस ने 2024 में भी भाजपा से हार मान ली है | बैठक में कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, शिवसेना, जेएमएम, सीपीआई, सीपीएम, नेशनल कॉन्‍फ्रेंस, आरजेडी, एआईयूडीएफ, वीसीके, लोकतांत्रिक जनता दल, जेडीएस, आरएलडी, आरएसपी, केरल कांग्रेस मनीला, पीडीपी और आईयूएमएल के नुमाईन्दों ने शिरकत की |

सोनिया गांधी ने अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों पर भी चर्चा की | जो उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , पंजाब और हिमाचल प्रदेश में होने वाले हैं | पंजाब में कांग्रेस को अपनी सरकार बचानी है | उत्तराखंड और हिमाचल में वह प्रमुख विपक्षी पार्टी है | लेकिन पंजाब की तरह वहां भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए आम आदमी पार्टी ने खम थोक दिया है | सोनिया की बैठक में आम आदमी पार्टी शामिल ही नहीं हुई | यूपी में वह प्रमुख पार्टी है ही नहीं | वहां की प्रमुख पार्टियों बसपा और सपा के नुमाईंदे भी बैठक में नहीं थे | इस लिए 19 पार्टियों की विपक्षी एकता का कांग्रेस को इन चारों राज्यों में कोई लाभ नहीं होगा | शायद बाकी क्षेत्रीय दलों से सोनिया इन तीनों दलों को साधना चाहती हैं | पर ऐसा कुछ होना जाना नहीं | बैठक में शामिल हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछले 7 वर्षों में विपक्ष एक ही तरीक़े से चुनाव लड़ रहा है | बिहार और बंगाल ने दिखाया है कि भाजपा से कैसे लड़ा जा सकता है | यानी कांग्रेस अब क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व स्वीकार करे और उन से चुनाव लड़ना सीखे |

 

 

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