बिडेन के बलंडर से आतंकवाद के ख़तरे

Publsihed: 27.Aug.2021, 21:51

अजय सेतिया / 26 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमले में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं , इन में बारह तो अमेरिका के सैनिक ही हैं | इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन को समझ नहीं आ रहा कि उस ने आतंकवाद के साथ समझौता कर के सही किया या गलत किया | क्योंकि अफगानिस्तान की चुनी हुई सरकार अमेरिका को बार बार समझा रही थी कि तालिबान में किसी तरह का सुधार होने की कोई सम्भावना नहीं है | अफगानिस्तान सरकार के उपराष्ट्रप्ति रहे अमरुल्ला सालेह ने अब साफ़ साफ़ शब्दों में कहा है कि अमेरिका ने अफगानिस्तान और अफगान नागरिकों के साथ धोखा किया है | आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का सहयोगी पाकिस्तान पिछले 20 साल से उसी की पीठ में छूरा घोंप कर तालिबान की मदद कर रहा था और अमेरिका हमेशा से इसे नजरअंदाज करता रहा | उन्होंने कहा है कि क्या यह सबूत काफी नहीं है कि पाकिस्तान ने ही अमेरिका से तालिबान की बातचीत शुरू करवाई थी | फिर अमेरिका ने चुनी हुई सरकार को तालिबान के साथ दोहा में बातचीत में शामिल होने के लिए मजबूर किया | अपने गलत फैसले पर पश्चाताप करने की बजाए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन अभी भी तालिबान का बचाव करते हुए दिखाई देते हैं | काबुल एयरपोर्ट पर मारे गए 12 सैनिकों को व्हाइट हाउस में श्रद्धांजली देते हुए जो बिडेन ने कहा कि उन्हें इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि तालिबान ने काबुल में घातक हमलों को अंजाम देने में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के साथ मिलीभगत की थी | हालांकि सब जानते हैं की आईएसआईएस की तालिबान से मिलीभगत है |
 
 जहां सारी दुनिया अब अमेरिका और नाटो देशों के अफगानिस्तान से निकल कर तालिबान को सत्ता सौंपने को गलत मान रही है , वहीं जो बिडेन अभी भी अपनी इस बात पर अड़े हुए हैं कि 31 अगस्त तक अमेरिकी फ़ौज अफगानिस्तान से पूरी तरह हट जाएगी | जबकि अनेक देश ऐसा मानते हैं कि तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद दुनिया भर में आतंकवाद की नई शुरुआत होगी क्योंकि अफगानिस्तान फिर से इस्लामिक आतंकवादियों की पनाहगाह बनेगा |
 
अमेरिका की ओर से जल्दबाजी में छोड़े गए आधुनिक हथियारों के विशाल जखीरे से लैस तालिबान पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली हो गया है | ऊपर से उसे सभी इस्लामिक कट्टरवादी संगठनों का समर्थन मिल रहा है | अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी , जिसे  न 1982 में सोवियत संघ जीत पाया था और न 1996 से 2001 तक काबुल पर काबिज तालिबान जीत पाया था , लेकिन अब पहली बार अमेरिकी हथियारों की बदौलत तालिबान ने पंजशीर के रास्ते बंद कर के नार्दन अलांस को चुनौती दे दी है | अगर वह पंजशीर पर कब्जा करने में कामयाब हो गया तो उस का दूसरा निशाना पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते कश्मीर में आतंवाद की लड़ाई को तेज करने का होगा , पाकिस्तान के नेताओं ने इस के संकेत देने शुरू भी कर दिए हैं |
 
उधर गलत समय पर गलत फैसले से जो बिडेन के खिलाफ अमेरिका में भी गुस्सा पनप रहा है , लोग पूछ रहे हैं की अगर तालिबान को ही सत्ता सौंपनी थी तो अमेरिका ने  2500  सैनिकों की बलि क्यों दी और उन के टेक्सों से उगाहे गए अरबों डालर क्यों बर्बाद किए | अगर अफगानिस्तान को फिर से तालिबान के हवाले ही करना था तो दस साल पहले ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद ही अमेरिका वहां से हट जाता | अमेरिका में शुरू हुई आलोचना के बाद जो बिडेन ने धमकी दी है कि हमले के जिम्मेदार लोगों को उनके किए की सजा दी जाएगी | वह बोले “ हम माफ नहीं करेंगे, हम भूलेंगे नहीं , चुन-चुन कर तुम्हारा शिकार करेंगे और मारेंगे. आपको इसका अंजाम भुगतना होगा | “ एक तरफ जो बिडेन की यह धमकी है तो दूसरी तरफ काबुल हवाई अड्डे और दूतावासों पर और हमले होने की आशंका बनी हुई हैं |

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