दुनिया को इस्लामो-लेफ्टिज्म का खतरा

Publsihed: 22.Feb.2021, 15:32

अजय सेतिया / रविवार शाम को रिपब्लिक टीवी पर पीपुल्स आर्मी के पेंगोंग झील से पीछे हटने पर बहस हो रही थी | रक्षा विशेषग्य इसे भारत की कूटनीतिक और सामरिक जीत बता रहे थे | मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता विवेक श्रीवास्तव इसे मानने को तैयार नहीं थे , क्योंकि चीन का पीछे हटना उन्हें रास नहीं आ रहा था | अपन को ताज्जुब तब हुआ जब उन्होंने छाती ठोक कर कहा कि वह चीन को बेहतर जानते हैं | इसे कहते हैं बिल्ली का थैले से बाहर आ जाना | जिस तरह मुसलमान भारत को मातृभूमि मानने को तैयार नहीं होते , वे मक्का को अपनी मातृभूमि-पितृभूमि मानते हैं , उसी तरह कम्युनिस्ट चाहे कहीं भी रह रहे हों चीन को अपनी मातृभूमि पितृभूमि मानते हैं | इस लिए विवेक श्रीवास्तव का ताल ठोक कर कहना था कि चीन पीछे नहीं हटेगा |

हालांकि विवेक श्रीवास्तव की इस बात में दम है कि जब चीन पीछे हट रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का यह दावा गलत साबित हो गया है कि चीन ने भारत में घुसपैठ नहीं की थी | अपना मानना यह है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कूटनीतिक , सामरिक दबाव के कारण अपने बयान में यह स्पष्ट नहीं कर सके कि पेंगोंग झील में चीन जहां आगे बढा था , वहां भारत और चीन दोनों देशों की सेनाएं 1962 से ही पेट्रोलिंग करती रही हैं | अगर विवेक श्रीवास्तव चीन को गैर कम्युनिस्ट भारतीयों से बेहतर समझते हैं , तो उन्हें भी यह पता होना चाहिए था कि चीन हमेशा से फिंगर 4 तक पेट्रोलिंग करता रहा था | वैसे उन्हें पता ही होगा क्योंकि जब 1996 से 1998 के बीच कम्युनिस्टों के समर्थन से देवेगौडा और इंद्र कुमार गुजराल की सरकार थी , तब चीन ने फिंगर चार तक सडक बना ली थी , क्योंकि वह फिंगर 4 को एलएसी मानता हैं , जबकि भारत ने यह बड़ी सफलता हासिल की है कि पीपुल्स आर्मी अब फिंगर 8 से आगे नहीं आ सकेगी |

इस समय पेंगोंग के अलावा भी चार जगहों पर दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने खडी है , जिन पर बात चल रही है | 1962 की जंग के समय कम्युनिस्ट पार्टी ने जंग के लिए भारत को जिम्मेदार बताया था , यह उसका पितृभूमि-मातृभूमि चीन के प्रति आस्था का प्रमाण था | अभी भी कोई कम्युनिस्ट चीन की विस्तारवादी हरकतों की निंदा नहीं करते , अलबत्ता एलएसी पर जो कुछ भी हुआ , उस के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं | कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के मोदी पर हमलों की बात कुछ समझ नहीं आ रही थी , लेकिन रविवार को जब कान लगा कर विवेक श्रीवास्तव को सुना तो बात समझ में आई | रिपब्लिक टीवी पर जब अर्नब गोस्वामी बहस करवा रहे हों , तो कान लगा कर कोई कुछ नहीं सुन-समझ सकता | लेकिन बहस क्योंकि निरंजन करवा रहे थे , इस लिए समझ आ गया |

मार्क्सवादी विवेक श्रीवास्तव ने खुलासा किया कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में इस लिए घुसपैठ की क्योंकि नरेंद्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में चुनाव प्रचार किया था , जिसे चीन अपना दुश्मन नम्बर एक मानता था | उन का कहना था कि मोदी ने भारत की विदेश नीति अमेरिका के सामने गिरवी रख दी है , जबकि उसे नेहरु की गुटनिरपेक्ष नीति पर चलना चाहिए था | इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि भारत को चीन के साथ पंचशील के आधार पर ही बात करनी चाहिए | कितना हास्यस्पद है कि जिस पंचशील के कारण चीन ने भारत के 43180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया , भारत की माकपा उसी का समर्थन कर रही है | हो सकता है कि कुछ दिन बाद मार्क्सवादी ट्रंप की हार को ही चीन के पीछे हटने का कारण भी बता दें , क्योंकि वे मोदी की कूटनीतिक और सामरिक नीति को कभी श्रेय नहीं देंगे , तो कोई दूसरा कारण ढूंढना ही होगा | 

कालम शुरू करते हुए अपन ने कम्युनिस्टों और मुसलमानों के भारत से कोई प्रेम नहीं करने का जिक्र किया था | मुसलमानों के बारे यह धारणा इस लिए बनी क्योंकि वे राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम का इस लिए सम्मान नहीं करते क्योंकि उस में भारत को मातृभूमि का दर्जा देकर पूजनीय बताया गया है | हालांकि अपने देश चीन में कम्युनिस्ट मुसलमानों को गुलाम बना कर रखे हुए हैं , उन्हें सामान्य मानवाधिकार भी नहीं है , न वे अपनी अलग पहचान के लिए दाढी रख सकते हैं , न मस्जिद में जा कर नमाज पढ़ सकते हैं | इस के बावजूद चीन से बाहर सारी दुनिया में कम्युनिस्ट–मुस्लिम गठजोड़ बना हुआ है , जिसे दुनिया अब खतरे के रूप में देख रही है | अपन जेएनयू, जाधवपुर विवि, जामिया मिल्लिया के बाद शाहीन बाग़ में यह गठजोड़ देख चुके हैं | लेकिन यह इस्लामो-लेफ्टिजम सिर्फ भारत में ही नहीं है , फ्रांस के लिए भी बड़ा सिरदर्द बना हुआ है | फ्रांस ने हाल ही में नए क़ानून बना कर अपने विश्व विद्यालयों में घोले जा रहे इस्लामो-लेफ्टिज्म को उखाड़ फेंकने का फैसला कर लिया है | देश को बचाने के लिए भारत को भी अब वही करना होगा |

 

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