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Exclusive Articles written by Ajay Setia

गेंद अब जल्द ही होगी गवर्नर के पाले में

Publsihed: 06.Oct.2007, 13:58

अब दिल्ली की कवायद एकदम बेकार। अपन ने तो शुरू में ही लिख था- 'येदुरप्पा-कुमारस्वामी की बेमेल जोड़ी कब तक?' बात तो तभी से साफ थी। बेंगलूर में जब बीजेपी की वर्किंग कमेटी हुई। तभी ही दिखने लगा था- कुमारस्वामी अपनी पारी पूरी करते ही पलट जाएंगे। सितंबर में बातें साफ होनी शुरू हो गई। देवगौड़ा परिवार को तब तक बीजेपी में कोई खोट नहीं दिखा। न ही येदुरप्पा में कोई खोट दिखा। जब तक तीन अक्टूबर नजदीक नहीं आ गई।

'मौकापरस्ती ही राजनीति' कुमारस्वामी उवाच

Publsihed: 05.Oct.2007, 13:58

बीजेपी को अभी भी उम्मीद। देवगौड़ा की नौटंकी अब अनाड़ियों को भी समझ आ चुकी। पर बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड को समझ नहीं आई। जमीनी हकीकत से कितनी दूर चली गई बीजेपी। जब छोटी-छोटी राजनीतिक चालें समझ न आएं। तो पार्टी का मेंटल लेवल कितना गिर गया होगा। अपन को अंदाज लगाने में मुश्किल नहीं। चेन्नई आईआईटी के एक प्रोफेसर हैं इंद्रसेन। उनने एक थ्योरी दी।

कर्नाटक ट्वंटी-20 में बीजेपी लड़खड़ाई

Publsihed: 04.Oct.2007, 14:00

अपन को येदुरप्पा का पंद्रह अगस्त वाला बयान नहीं भूलता। उनने कहा था- 'अगली बार बेंगलूर में झंडा मैं फहराऊंगा।' येदुरप्पा बहुत जल्दी में थे। पंद्रह अगस्त से भी पहले उनने बचकानी हरकत की। जब उनतीस जुलाई को विधानसभा में कहा- 'तीन अक्टूबर से मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा।' यह बात उनने बगल में बैठे कुमारस्वामी की मौजूदगी में कही। जैसे कुमारस्वामी को कुर्सी खाली करने के लिए चिढ़ा रहे हों। स्याने लोग इतनी जल्दबाजी नहीं दिखाते।

कुर्सी के लिए मचलते कुमारस्वामी - येदुरप्पा

Publsihed: 03.Oct.2007, 14:04

आम चुनाव दूर नहीं। रेवड़ियां बंटने लगीं। लेफ्ट ने हाथ न भी खींचा। तो कांग्रेस कोई और बहाना ढूंढेगी। अगले साल तक लटका। तो रेवड़ियां खत्म हो चुकी होंगी। अपन रेवड़ियों की गिनती बाद में करेंगे। पहले गांधी को याद कर लें। इस बार कांग्रेस को गांधी कुछ ज्यादा ही याद आए। प्रणव मुखर्जी संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में गए। तो सोनिया को साथ ले गए। संयुक्त राष्ट्र ने इस बार गांधी के जन्मदिन को मान्यता दी। अब यह दिन दूनियाभर में 'अहिंसा दिवस' होगा।

जेटली के डिनर से बीजेपी में खलबली

Publsihed: 02.Oct.2007, 14:04

अरुण जेटली का डिनर न्यौता चौंकाने वाला था। तीस सितंबर को न जेटली का जन्मदिन। न पत्नी संगीता का जन्मदिन। न शादी की सालगिरह। संगीता और अरुण के न्यौते ने बीजेपी में हलचल मचा दी।  हफ्ताभर लोग पूछताछ करते रहे। वेंकैया नायडू जब अध्यक्ष बने। तो उनने सालाना लंच-डिनर का सिलसिला शुरू किया। खास तेलुगू स्टाइल के व्यंजन। उससे पहले अपने रामदास अग्रवाल ही भोज राजनीति करते रहे। आडवाणी ने कभी भोज दिया हो। अपन को याद नहीं आता।