बच्चों की चिंता , पर प्राथमिकता नहीं

Publsihed: 21.May.2021, 16:57

अजय सेतिया / 2020 निकल गया था , तो उम्मींद लगा कर बैठे थे कि 2021 ठीक निकलेगा | पर 2021 तो 2020 से भी खराब निकला | संक्रमण ज्यादा और व्यापार भी ठप्प | इतना खराब कि नरेंद्र मोदी भी अंदर तक इतने हिल गए कि महीना भर कुछ बोल नहीं पाए | अब वैज्ञानिक और डाक्टर उम्मींद बंधा रहे हैं कि मई के आखिर में कोरोना शांत हो जाएगा | मोदी भी इसी उम्मींद से एक्टिव हो गए हैं कि सारे बन्दोबस्त हो गए हैं , अब कोरोना शांत हो जाएगा | ऐसी ही उम्मींद दिसम्बर जनवरी में भी बंधाई गई थी | पर सब अंदाजे –भविष्यवाणियाँ चंडूखाने की निकली | एक दिन कोरोना केस घटते हैं , तो आशा की किरण दिखाई देने लगती है | पर दूसरे ही दिन केस फिर बढ़ जाते हैं | अब जब एक हफ्ते से केस घट रहे थे , तब भी मौतें बढ़ रहीं थीं |

इसी लिए यह मान कर चलना कि जुलाई से सब ठीक हो जाएगा , गलतफहमी होगी | सरकार से जो लापरवाही फरवरी-मार्च में हुई है , उस का खामियाजा पूरा साल भुगतना पड़ेगा | अब तो परमात्मा से यही दुआ मांगो कि 2022 ठीक ठाक रहे | यह उम्मींद भी अपन तब कर रहे हैं , जब केंद्र सरकार ने दिसम्बर तक 216 करोड़ वेक्सीन जुटाने का वायदा किया है | यह वायदा डाक्टर हर्ष वर्धन ने शुक्रवार को भी दोहराया | पर उन ने साथ ही वह बात भी कह दी , जिस की आशंका अपन को मई के शुरू से बनी हुई थी | उस आशंका को वैज्ञानिक व्यक्त कर रहे थे , लेकिन सरकार की तरफ से सोचा तक नहीं गया था | वह आशंका है बच्चों में कोरोना फैलने की | ऐसी हालत में तो भारत को 276 करोड़ वेक्सीन चाहिए |

फाईजर ने अमेरिका में 25 मार्च को बच्चों पर ट्रायल शुरू कर दिया था | अपनी सरकार तो तब कोरोना पर झूठ मूठ की विजय का जश्न मना रही थी | भारत बायोटेक और सीरम से सिर्फ एक करोड़ वेक्सीन ही खरीदी थी | उस के बाद टास्क फ़ोर्स लंबी तान कर सौ गई थी और उधर अमेरिका में भविष्य की चिंता शुरू हो चुकी थी | हालांकि अमेरिका में तो अब नए खु;लासे हो रहे हैं कि अमेरिका शासन भी वुहान वायरस के प्रयोग के लिए चीन को फंडिंग कर रहा था | इस पर अपन बाद में लिखेंगे | फिलहाल बात बच्मचों की | मई के शुरू में बच्चों में कोरोना वायरस की खबर भारत से भी आनी शुरू हो गई थी | सरकार ने भारत बायोटेक को 19 मई को बच्चों पर ट्रायल की इजाजत दी | यानी अमेरिका से दो महीने बाद | बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी 15 मई को तब जागा जब डाक्टर टीवी चेनलों पर बच्चों में कोरोनावायरस फैलने की आशंकाएं व्यक्त करने लगे | आयोग ने स्वास्थ्य सचिव को चिठ्ठी लिख कर बताया कि वैज्ञानिक और डाक्टर तीसरे दौर में बच्चों में संक्रमण की आशंका जता रहे हैं , इस लिए उसी हिसाब से तैयारियां की जानी चाहिए, खासकर एम्बुलेंस वगैरह की |

मोदी खुद 21 मई को इस चिंता पर तब बोले जब वह अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के स्वास्थ्य कर्मियों से बात कर रहे थे | पहले दौर में खतरा 55 से ऊपर की उम्र वालों को था , दूसरे दौर में 40 से ज्यादा उम्र वाले लपेटे में आए , कुछेक उस से कम उम्र के भी | अब तीसरे दौर में आशंका है कि बच्चे कोरोनावायरस के शिकार होंगे | बच्चो की म्यून पावर कम होती है , इस लिए अपनी आशंका है कि खतरा पहले के दोनों दौरों से ज्यादा होगा | डाक्टर हर्ष वर्धन शुक्रवार को जब 9 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से बात कर रहे थे तो उन्होंने भी कहा कि कोरोना आने वाले समय में बच्चों पर प्रभाव डाल सकता है | लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की तैयारी तेज कर दी है | अब यह कैसी तेज की है, यह तो वक्त ही बताएगा |

राज्य सरकारें कोई न कोई बहाना लगा कर वेक्सीनेशन का ठीकरा केंद्र सरकार के सिर फोड़ना चाहती है | स्वास्थ्य राज्यों का मामला बता कर केंद्र राज्यों के सिर फोड़ना चाहता था | विपक्ष की आलोचना झेलते झेलते तंग आ कर केंद्र सरकार ने पहली मई से 18 साल की उम्र से वेक्सीन का एलान कर दिया | अब सारे राज्यों के हाथ पाँव फूले हैं , कहीं वेक्सीन एक दिन चलती है तो बंद हो जाती है , कहीं चार दिन चल के बंद हो जाती है | ऐसे में डाकटर हर्षवर्धन के बयान को कोई चाटेगा क्या कि जुलाई में हमारे पास 55 करोड़ वेक्सीन होगी और दिसम्बर में 216 करोड़ | अब जब बच्चों का भी वेक्सीनेशन किया जाना है , तो केंद्र और राज्य सरकारों को प्राथमिकता तय करनी पड़ेगी | तीसरे दौर के संक्रमण को रोकने के लिए नीति यह हो सकती है कि जब तक बच्चों पर परीक्षण पूरा नहीं होता , तब तक 15 से 25 साल उम्र और 45 से ऊपर उम्र की प्राथमिकता तय कर वेक्सीनेशन किया जाए | दो से पन्द्रह साल का वेक्सीनेशन बच्चों पर ट्रायल पूरा होने पर प्राथमिकता में रखा जाए | इसी तरह 26 से 45 साल उम्र का टार्गेट अक्टूबर,नवम्बर , दिसम्बर पर छोड़ दिया जाए |   

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