भारत-विभाजन के पीछे बहके मुसलमानों का फितूर (भाग दो)

Publsihed: 13.Dec.2010, 20:36

ईरानियों का वर्चस्व

‘ताज महल बनाने के लिए 20 हजार लोग 22 साल तक दिनरात जुटे रहे’-अपने इस वाक्य के लिए मशहूर हुआ फ्रांसीसी जवाहरात व्यापारी टेवरनिअर बताता है: ‘यहां तक कि सरदार ईरानी भगोड़े हैं, जिनकी जन्मभूमि हिन्दुस्तान नहीं है और जो दिल के बहुत छोटे हैं। ऐसे तंगदिल लोगों को उन लोगों का साथ मिल गया, जिन्होंने इस धरती को अपना सर्वस्व दे डाला।’ वह आगे लिखता है: ‘मैंने कहीं उल्लेख किया है कि मुगलों की रियाया में शामिल देशी मुसलमानों में से महज कुछ मुसलमानों को ही बड़े ओहदे हासिल थे, और यही वजह थी कि अनेक ईरानी लोग किस्मत आजमाने हिन्दुस्तान चले आए।

भारत-विभाजन के पीछे बहके मुसलमानों का फितूर (भाग एक)

Publsihed: 13.Dec.2010, 20:18

भारत को जीतने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के अनेक अधिकारियों ने भारत का ‘इतिहास’ लिखा। उन्होंने जगह-जगह लिखा कि भारत पर अंग्रेजों से पहले मुसलमानों का राज था। उन्होंने अपनी इस शरारत के जरिये मुसलमानों के दिमाग में एक गलत धारणा बैठा दी, जिसका नतीजा अंतत: यह निकला कि वे बेचारे घमंड, हठधॢमता और अदम्य महात्वाकांक्षा का शिकार बन गए। इसकी परिणति 1947 में भारत-विभाजन के रूप में सामने आई। ब्रिटिश हुक्मरानों ने कहा कि उन्होंने मुसलमानों के हाथों से हुकूमत ली। इससे बड़ा झूठ तो कोई हो ही नहीं सकता।