सिर्फ शक्ल नहीं , अक्ल का भी डंका

Publsihed: 13.Mar.2019, 19:11

 

प्रियंका गांधी ने चुनाव का नेरेटिव बदलने की कोशिश की है | सिर्फ मोदी विरोध और बेसिरपैर के आरोपों की बजाए उन्होंने मोदी सरकार की नाकामियों को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है | कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रियंका की मेडन स्पीच से गदगद हैं |

इंडिया गेट से अजय सेतिया

प्रियंका गांधी को कांग्रेस महासचिव बनाया गया , तो भाजपा समर्थकों ने सोशल मीडिया पर खिल्ली उड़ाते हुए लिखा कि उन की योग्यता सिर्फ यह है कि उन के नैन-नक्श खासकर नाक इंदिरा गांधी से मिलती-जुलती है | सोनिया गांधी को छोड़ कर गांधी परिवार के सभी सदस्यों ने हमेशा अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस महासचिव पद से और उत्तरप्रदेश से ही की है, इसलिए प्रियंका गांधी ने भी अपनी पहली राजनीतिक झलक लखनऊ में रोड शौ से दिखाई  | लेकिन कांग्रेस ने इस बात का ध्यान रखा कि सारा शौ प्रियंका न लूट जाए, इसलिए राहुल गांधी भी उन के साथ थे | भाई–बहन की जोड़ी उसी तरह मैदान में उतरी , जैसे कभी मुलायम सिंह ने अपने बेटे अखिलेश को लांच किया था | लखनऊ की सिर्फ एक झलक के बाद प्रियंका गांधी राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गई थी , ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें 2014 के मैदान में पूरी तरह उतारा जाए या नहीं , यह सोचा जा अहा है | इस का लाभ उठा कर भाजपा समर्थकों ने सोशल मीडिया पर फैला दिया था कि वह लांच होने से पहले ही फ्यूज हो गई हैं |

कांग्रेस अपने इतिहास के सब से बड़े संकटकाल से गुजर रही है | शुरू में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग थी कि वारिस के तौर पर प्रियंका गांधी को लाया जाए, लेकिन सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग को दरकिनार कर राहुल को अपने वारिस के तौर पर उतारा था, तब प्रियंका गांधी ने अपने भाई के लिए त्याग करते हुए एलान किया था कि वह राजनीति में नहीं आएंगी | राहुल गांधी की विफलताओं से हताश कांग्रेस कार्यकर्ता समय-बे-समय प्रियंका को लाने की मांग करते रहे थे | नरेंद मोदी के मुकाबले राहुल गांधी काफी कमजोर पड जाते थे , सिर्फ भाषण शैली की बात नही थी, राजनीतिक परिपक्वता और विषयों की समझ न होने की बात भी थी | सब कुछ ठीक करने की पूरी तैयारी के बाद हर घटना के अंत में वह कुछ ऐसी गलती कर जाते थे, जो सारे किए कराए पर पानी फेर देती थी | राहुल के मुकाबले प्रियंका शुरू से ही राजनीतिक तौर पर ज्यादा परिपक्वता दिखाती रही हैं |

अंतत: कांग्रेस ने समय और स्थान बदलते हुए प्रियंका गांधी को महात्मा गांधी की जन्मभूमि और नरेंद्र ओदी के गृह राज्य गुजरात से उतारने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक गुजरात में रखी | यह मोदी के सामने प्रियंका को उतारने की रणनीति का हिस्सा है | सोनिया गांधी और राहुल गांधी आज भी बिना लिखा भाषण देने में असमर्थ हैं , लेकिन प्रियंका ने अपनी दादी की तरह बिना अटके प्रवाह में बोल कर मौजूदा  परिवार में भी आगे निकल जाने के संकेत दे दिए | प्रियंका का भाषण सोनिया और राहुल के व्यक्तिगत हमलों से हट कर राजनीतिक मुद्दों को केंद्र बिन्दु बना कर हुआ | भले ही भाषण बहुत संक्षिप्त था, लेकिन एक एक शब्द धारदार था | प्रियंका गांधी ने चुनाव का नेरेटिव बदलने की कोशिश की है | सिर्फ मोदी विरोध और बेसिरपैर के आरोपों की बजाए उन्होंने मोदी सरकार की नाकामियों को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है | कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रियंका की मेडन स्पीच से गदगद हैं , क्योंकि वे जानते हैं कि मोदी पर राफेल के आरोप लगा कर नहीं घेरा जा सकता , उन्हें चोर कहने से जनता में उलटे चिढ पैदा हुई है | सर्जिकल स्ट्राईक पर सवाल उठा कर भी राहुल गांधी ने मोदी के हाथ में सेना और कश्मीर का भावनात्मक मुद्दा थमा दिया है | प्रियंका गांधी ने अपनी मेडन स्पीच में अपनी अक्ल का डंका बजाया है |

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