मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश का निशाना यूपी बिहार

Publsihed: 11.Dec.2023, 20:30

इंडिया गेट से अजय सेतिया / मध्यप्रदेश में यादव और छतीसगढ़ में आदिवासी को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा ने बड़ा संदेश दे दिया है| वैसे तो शिवराज सिंह चौहान भी पिछड़े समुदाय से थे, लेकिन नाम के पीछे यादव लगा हो, वह बिहार और यूपी के यादवों पर निश्चित ही असर डालेगा| विधानसभा चुनाव नतीजों में अगर भाजपा ने कांग्रेस को झटका दिया था| तो मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने सपा और राजद को बड़ा झटका दिया है, क्योंकि इन दोनों दलों का आधार ही यादव वोट बैंक है| लोकसभा चुनावों को सामने रख कर संघ परिवार ने सोशल इंजीनियरिंग का बड़ा दांव चला है| गोबिन्दाचारी ने भाजपा में सोशल इंजीनियरिंग जो बुनियाद रखी थी, संघ उसे नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के माध्यम से क्रियान्विंत कर रहा है| यूपी बिहार के यादवों को छोड़कर बाकी पिछड़ी जातियां पहले से ही भाजपा के साथ हैं| मध्यप्रदेश में यादव को मुख्यमंत्री बनाने से अब यूपी बिहार के यादव भी भाजपा से जुड़ेंगे|

दोनों मुख्यमंत्री संघ और विद्यार्थी परिषद पृष्ठभूमि के है| इन दोनों राज्यों में बदलाव के बाद अब यह मानकर चलना चाहिए कि राजस्थान में भी कोई चौंकाने वाला चेहरा हो सकता है| शुरू में जैसे लगता था कि संघ भी वसुंधरा राजे को ही मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहता है, वह अब सही नहीं लगता| वसुंधरा राजे ने जिस तरह भाजपा विधायकों से मुलाकातों का सिलसिला शुरू किया है, उसे संघ तो क्या भाजपा भी पसंद नहीं करती | विद्यार्थी परिषद की ही पृष्ठभूमि के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें समझाया है कि वह गुटबाजी को बढावा न दें| लेकिन वसुंधरा राजे 20-25 विधायक अपने साथ दिखाकर एक साल की मोहलत मांग रही हैं, लेकिन अगर संघ ने किसी को मुख्यमंत्री बनवाने का फैसला करवाया है, तो बदलाव संभव नहीं होगा|

ऐसा नहीं है की पहले विद्यार्थी परिषद के लोग पार्टी और सरकार में नहीं थे| अरुण जेटली और अनंत कुमार विद्यार्थी परिषद से ही थे| फर्क यह है कि अब भारतीय जनता पार्टी की सारी कमान विद्यार्थी परिषद के हाथ में आ गई है| नरेंद्र मोदी की भले ही विद्यार्थी परिषद में डायरेक्ट भूमिका नहीं रही, लेकिन अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह सब विद्यार्थी परिषद से ही हैं| तो हो सकता है की राजस्थान की पर्ची भी किसी विद्यार्थी परिषद वाले के पक्ष में ही निकले| वहां पर्यवेक्षक भी विद्यार्थी परिषद पृष्ठभूमि के राजनाथ सिंह को बना कर भेजा गया है| देखते हैं, राजस्थान में किस की किस्मत जागती है, जब पूरी तरह अनुशासित रहने वाले और विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे शिवराज सिंह चौहान को बड़े उद्देश्य के लिए बदल दिया गया तो राजस्थान क्यों नहीं|  

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