क्या मोदी 9 अगस्त को कश्मीर दिवस बना देंगे

Publsihed: 03.Aug.2019, 12:14

इंडियागेट से अजय सेतिया / कश्मीर के इतिहास में 9 अगस्त का दिन महत्वपूर्ण हो सकता है | अपन को इस के कुछ संकेत मिल रहे हैं | 1942 में इसी दिन मुम्बई के मेयर यूसुफ मेहराली ने मुम्बई के कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजों " भारत छोडो " का नारा बुलंद किया था | समाजवादी चिंतक हुकुमदेव यादव बताते हैं कि जब डाक्टर लोहिया ज़िंदा थे , तो समाजवादी पार्टी 9 अगस्त को जगह जगह सभाएं करती थी , जिन में अनुच्छेद 370 खत्म करने की मांग की जाती थी |

क्या मोदी सरकार 9 अगस्त को कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण बनाने जा रही है | ताज़ा घटनाक्रम इस दिशा की ओर संकेत कर रहा है | पहले सरकार का प्रस्ताव संसद सत्र 9 अगस्त तक बढाने का ही था , पर बाद में 7 अगस्त तक बढाया गया , 30 जुलाई को भाजपा संसदीय दल की बैठक में अमित शाह संकेत दे चुके हैं कि संसद का सत्र एक बार फिर बढाया जा सकता है | याद होगा कि जुलाई में शुरू हुई अमरनाथ यात्रा को पिछले सालों की यात्रा के मुकाबले ज्यादा महत्व दे कर प्रचारित किया गया था | सुरक्षा के कड़े इंतजाम बताए गए , हालांकि पिछले कुछ सालों में यात्रा पर कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ था | फिर जुलाई के आखिरी हफ्ते में अचानक 10000 सुरक्षाकर्मी भेजने का एलान हुआ | हालांकि इस दौरान कोई बहुत बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ था | तब से अटकलों का बाजार शुरू है | अटकल यह लगाई जा रही है कि मोदी सरकार कश्मीर पर एतिहासिक फैसले लेने जा रही है , जिस की प्रतिक्रिया में व्यापक हिंसा हो सकती है इसलिए एहतियाती तैयारी की जा रही है | इन अटकलों को तब और बल मिला जब पहली अगस्त को 25000 सुरक्षाकर्मी और भेज दिए गए |

बिना किसी वारदात के 2 अगस्त को यह कहते हुए अमरनाथ यात्रा रद्द कर दी गई कि बड़े आतंकी हमले की आशंका है | हैरानी है कि जुलाई में जब अमरनाथ यात्रा शुरू की गई तो सुरक्षा की गारंटी दे कर हिन्दुओं को गौरान्वित होने का एहसास करवाया गया था | जैसे जैसे 9 अगस्त नजदीक आ रहा है कश्मीर में गतिविधिया तेज हो रही हैं , लेकिन किसी को कुछ नहीं पता कि 9 अगस्त को कुछ होने भी जा रहा है या सिर्फ गुबार खड़ा किया जा रहा है |

भाजपा का कोई नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं , अलबत्ता सच तो यह है कि ज्यादातर भाजपा नेताओं को कुछ आईडिया ही नहीं कि क्या होने जा रहा है | इस सप्ताह जब अचानक जम्मू कश्मीर भाजपा की कोर कमेटी की दिल्ली में बैठक बुलाई गई थी , तो उस बैठक में जानबूझ कर अमित शाह नहीं गए | सिर्फ संगठनात्मक चर्चा  हुई और विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए कहा गया | लेकिन अपन को लगता है कि अक्टूबर -नवम्बर में चुनाव नहीं होने जा रहे , जैसा कि कहा जा रहा है | अलबत्ता भ्रमित करने के लिए चुनाव की बात कही गई | उस बैठक में जब एक सांसद ने पूछा कि कश्मीर में 10000 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती से अफवाह है कि 370 और  35 ए पर कोई फैसला होने जा रहा है तो उन्हें जवाब मिला कि यह सरकार पर छोड़ दो कि वे क्या करने जा रहे हैं या नहीं करने जा रहे | हाँ इस बैठक की जो अति महत्वपूर्ण बात थी वह यह थी कि सभी को हिदायत दी गई कि वे 370 या 35 ए पर कुछ न बोलें |

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